भारत ने चीन की ओर किया इस खतरनाक तोप का मुंह, अब होकर रहेगा युद्ध!

सीमा पार के दुश्मन से मुकाबला करने के लिए सेना भी सैनिकों के लिए नए आश्रय और पूर्वनिर्मित संरचनाओं का निर्माण करके भयंकर सर्दियों से लड़ने के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रही है।

Update:2020-09-27 13:50 IST
लेह से 200 किलोमीटर दूर पूर्वी लद्दाख के चुमार-डेमचोक क्षेत्र में रविवार को भारतीय सेना ने टैंक और पैदल सेना के वाहनों की एलएसी के पास तैनाती की।

नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच सीमा विवाद का मुद्दा दिनों-दिन उलझता ही जा रहा है। दोनों देशों की तरफ से कई दौर की वार्ताएं भी हुई लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला।

जिसके बाद से अब सीमा पर तनाव और भी ज्यादा बढ़ गया है। भारत को आशंका है कि चीन ठण्ड में हमले की साजिश रच रहा है। इसे देखते हुए भारतीय सेना को अभी से ही तैयार रहने को कहा गया है।

भारतीय सेना की बख्तरबंद रेजिमेंट 14,500 फीट से अधिक ऊंचाई पर चीनी सेना का मुकाबला करने को पूरी तरह से तैयार है।

सीमा पार के दुश्मन से मुकाबला करने के लिए सेना भी सैनिकों के लिए नए आश्रय और पूर्वनिर्मित संरचनाओं का निर्माण करके भयंकर सर्दियों से लड़ने के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रही है।

लेह से 200 किलोमीटर दूर पूर्वी लद्दाख के चुमार-डेमचोक क्षेत्र में रविवार को भारतीय सेना ने टैंक और पैदल सेना के वाहनों की एलएसी के पास तैनाती की।

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तोप की फोटो(साभार-सोशल मीडिया)

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टी-90 और टी-72 टैंकों को किया गया तैनात

इतना ही नहीं एलएसी पर बीएमपी-2 इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स के साथ टी-90 और टी-72 टैंकों को भी डेप्युट किया गया है। इन्हें पूर्वी लद्दाख में माइनस 40 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में संचालित किया जा सकता है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार भारतीय सेना की मशीनीकृत पैदल के पास किसी भी मौसम की स्थिति और किसी भी इलाके में काम करने का एक्सपीरियंस है। उच्च गतिशीलता गोला बारूद और मिसाइल भंडारण जैसी सुविधाओं की वजह से यह लंबी अवधि तक लड़ाई करने की सामर्थ्य रखती है।

पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में भीषण सर्दी पड़ती है। यहां रात में तापमान सामान्य से 35 डिग्री कम होता है और उच्च गति वाली ठंडी हवाएं चलती हैं।

 

भारतीय सेना की फोटो(सोशल मीडिया)

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 14 कॉर्प्स के चीफ ऑफ स्टाफ के मेजर जनरल अरविंद कपूर ने हुए कहा, 'फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स भारतीय सेना का एकमात्र फॉरमेशन है और दुनिया में भी ऐसे कठोर इलाकों में यंत्रीकृत बलों को तैनात किया गया है। टैंक, पैदल सेना के लड़ाकू वाहनों और भारी बंदूकों का इस इलाके में रखरखाव करना एक चुनौती है।

चालक दल और उपकरण की तत्परता सुनिश्चित करने के लिए, जवान और मशीन दोनों के लिए समुचित इंतजाम किये गये हैं।'

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