641 लोगों की जिम्मेदारी 1 पुलिसकर्मी पर, भारत में ऐसी है व्यवस्था
नेशनल लेवल पर प्रति एक लाख लोगों पर वास्तविक पुलिसकर्मियों की संख्या ओसतन 151 ही है। वहीं, कई राज्यों में हालात और भी बुरे हैं।
नई दिल्ली: क्या आपको बता दें कि भारत में हर एक लाख की आबादी की सुरक्षा का भार केवल 156 पुलिसकर्मियों पर है। यानी देश में एक पुलिसकर्मी को 641 व्यक्ति की सुरक्षा करनी होती है। ये बात सामने आई है इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2020 में, जो हाल ही में टाटा ट्रस्ट ने जारी की है। हालांकि नेशनल लेवल पर पुलिसकर्मियों की स्वीकृत संख्या हर एक लाख की आबादी पर 195 है।
रिपोर्ट में सामने आए ये तथ्य
यानी सरकार द्वारा एक पुलिसकर्मी को 512 नागरिकों की सेफ्टी की जिम्मेदारी सौंपी गई है, लेकिन असलियत कुछ और ही है। दरअसल, इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2020 के अध्ययन में सामने आए तथ्य के मुताबिक, नेशनल लेवल पर प्रति एक लाख लोगों पर वास्तविक पुलिसकर्मियों की संख्या ओसतन 151 ही है। वहीं, कई राज्यों में हालात और भी बुरे हैं।
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बीते तीन सालों में स्थिति में हुआ सुधार
बिहार की बात की जाए तो यहां पर एक लाख लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी महज 76 पुलिसकर्मियों पर है। बता दें कि हर राज्य में पुलिस, न्यायपालिका, जेल और कानूनी मदद की भूमिका के बेसिस पर ही इंडिया जस्टिस रिपोर्ट तैयार की जाती है। बता दें कि देश के राज्यों में पुलिस व्यवस्था पुलिसकर्मियों, अफसरों और रिसोर्सेस की कमी से जूझ रही है। हालांकि बीते तीन सालों में आधे से ज्यादा राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में स्थिति में कुछ सुधार आया है।ॉ
कितने पद पड़े हैं खाली?
रिपोर्ट की मानें तो राष्ट्रीय स्तर पर तीन पुलिस अफसरों में से एक पद खाली पड़ा है। बात की जाए मध्य प्रदेश और बिहार की तो यहां पर करीब अधिकारी का दो में से एक पद खाली है। वहीं कॉन्स्टेबल की बात करें तो नेशनल लेवल पर हर पांच में से एक पद खाली है। इस मामले में तेलंगाना और पश्चिम बंगाल में काफी तंग हालत है। दोनों ही राज्य कॉन्स्टेबलों के 40 फीसदी पद पर भर्तियों का इंतजार कर रहे हैं।
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पुलिस रैंकिंग में किस राज्य को कौन सा पायदान
पंजाब और महाराष्ट्र की बात की जाए तो पुलिस रैंकिंग में ये दोनों ही राज्य काफी पिछड़ गए हैं। इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2019 में जहां पंजाब तीसरे नंबर पर था, वहीं इस साल ये राज्य 12वें नंबर पर आ गया है। इसकी वजह पुलिस पर कम हुए सरकारी खर्च को बताया जा रहा है। वहीं महाराष्ट्र में भी ऐसी ही स्थिति है। यहां राज्य 2019 में चौथे पायदान था, जो इस बार 13वें स्थान पर आ गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र में पुलिस स्टेशनों तक गरीब आबादी नहीं पहुंच पा रही है।
वहीं छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों ने पुलिस रैंकिंग में छलांग लगाई है। छत्तीसगढ़ जोरदार उछाल मारते हुए 10वें रैंक पर आ गया है। यहां पर कांस्टेबलों की भर्ती की गई। साथ ही नुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के कोटे को भरा गया। इसके अलावा यहां पर अफसरों और कॉन्स्टेबलों की रिक्तियां कम हुई है।
वहीं इंडिया जस्टिस रिपोर्ट की पुलिस रैंकिंग में कर्नाटक को टॉप स्पॉट हासिल हुई है। आपको बता दें कि कर्नाटक एक मात्र ऐसा राज्य है, जहां अधिकारी और कॉन्स्टेबल भर्ती में एससी/एसटी और ओबीसी कोटे की सभी सीटें भरी थी। आपको बता दें कि इंडिया जस्टिस रिपोर्ट एक कोशिश है, भारतीय न्याय व्यवस्था में सुधार लाने के लिए। ये संस्था 18 बड़े और मध्य आकार के राज्यों और 7 छोटे राज्यों को उनके न्याय देने की क्षमता के मुताबिक, उनकी रैंकिंग करती है।
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