अर्जुन से कांपे चीन-पाकिस्तान: ये टैंक दुश्मनों की करेगा हवा टाइट, बना और घातक

यह भारतीय सेना के लिए भारत के रक्षा अनुसंधान एंव विकास संगठन के द्वारा बनाया गया है। अर्जुन की खासियत उसे और ज्यादा घातक बनाती है। इस टैंक में 14 नए बदलाव किए गए हैं।

Update:2021-02-24 14:24 IST
अर्जुन से कांपे चीन-पाकिस्तान: ये टैंक दुश्मनों की करेगा हवा टाइट, बना और घातक

नई दिल्ली: पड़ोसी देशों से बढ़ती दुश्मनी के बाद से भारत सरकार सेना की ताकत में इजाफा करने में लगी हुई है। इसी क्रम में अभी बीते दिनों सेना को 'अर्जुन मार्क-1 ए' टैंक सौंपा गया है। इसके सेना में शामिल होने से सैन्य ताकत में और बढ़ोतरी हुई है। आधुनिक तकनीकी से लैस अर्जुन टैंक देश का मुख्य युद्धक टैंक है, जो दुश्मनों के छक्के छुड़ाने के लिए काफी है।

अर्जुन के नाम पर रखा गया नाम

आपको बता दें कि देश में बनाए जा रहे अर्जुन टैंक को आठ हजार करोड़ रुपये की लागत से खरीदा जा रहा है। अर्जुन टैंक भारत के तीसरी पीढ़ी के सबसे शाक्तिशाली टैंक है। इस टैंक का नाम महाभारत के मुख्य पात्र अर्जुन के नाम पर रखा गया है। जिस तरह अर्जुन से उनका निशाना नहीं चुकता, वैसे ही यह टैंक भी अपने लक्ष्य पर निशाना साधने में सक्षम है।

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किए गए बड़े बदलाव

यह भारतीय सेना के लिए भारत के रक्षा अनुसंधान एंव विकास संगठन के द्वारा बनाया गया है। अर्जुन की खासियत उसे और ज्यादा घातक बनाती है। इस टैंक में 14 नए बदलाव किए गए हैं। तो चलिए जानते हैं कि आखिर इस टैंक में ऐसा क्या है जो उसे इतना घातक बनाता है-

(फोटो- सोशल मीडिया)

जानिए क्या है इसकी खासियत

68.5 टन वजनी इस टैंक में चार लोगों के बैठने की क्षमता है। जो कि कमांडर, गनर, लोडर और ड्राइवर होंगे। अर्जुन मार्क-1ए टैंक की मुख्य गन 120 मिलीमीटर की है। इस टैंक में 39 गोले आराम से रखे जा सकते हैं और यह एक मिनट में छह से आठ गोले दागने की क्षमता रखता है।

यह टैंक PKT 7.62 मिमी और NSVT 12.7 मिमी गन से संपन्न है। जिसकी क्षमता 1400 हार्सपावर है। इसके अलावा इसमें 12 स्मोक ग्रैनेड्स होंगे, जो युद्ध क्षेत्र में दुश्मन को धोखा देने के काम आते हैं। इस टैंक की रेंज 450 किलोमीटर है। फ्यूल टैंक में 1610 लीटर ईंधन डालने पर यह टैंग 65 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से 450 किलोमीटर की दूरी तक जा सकती है।

डीआरडीओ ने बढ़ाई फायर पावर क्षमता

देश के शक्तिशाली अर्जुन टैंक की डीआरडीओ ने फायर पावर क्षमता को काफी बढ़ाया है। ये अर्जुन टैंक में नई टेक्नोलॉजी का ट्रांसमिशन सिस्टम है। इस तकनीकी से अर्जुन टैंक आसानी से अपने लक्ष्य को ढूंढ लेता है। साथ ही अर्जुन टैंक युद्ध के मैदान में बिछाई गई माइंस हटाकर आसानी से आगे बढ़ने में सक्षम है।

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(फोटो- सोशल मीडिया)

रिमोट कंट्रोल्ड वीपन सिस्टम

इसके साथ ही Arjun Mark-1A टैंक में रिमोट कंट्रोल्ड वीपन सिस्टम है। एक खास तरह की मशीन गन है, जिसे दुश्मन को देखते ही रिमोटली चलाया जा सकता है और इसे चलाने के लिए टैंक के ऊपर बैठने की जरूरत भी नहीं होगी। इसकी सबसे बड़ी खासियत है ऑटो टारगेट ट्रैकर। जिसके जरिए टैंक के अंदर बैठकर भी कमांडर दुश्मन के टैंक और बंकरों को ट्रैक कर सकते है।

यही नहीं अगर कमांडर किसी दूसरे काम में बिजी हैं तो यह सिस्टम खुद ही दुश्मन को ट्रैक कर उस पर निशाना साधने का काम करेगा। टैंक में एडवांस्ड लैंड नैविगेशन सिस्टम भी है, जो टैंक में बैठ सैनिकों को कई तरह की जानकारी देने क काम करेगा। जैसे की युद्ध क्षेत्र में जमीन कैसे है, कहां पर गड्ढा है और कहां पर पानी है वगैरह वगैरह।

इसके अलावा भी इस टैंग में कई खास अत्याधुनिक सुविधाएं हैं। बता दें कि यह खतरनाक टैंक 2004 में ही भारतीय सेनाओं में शामिल कर लिया गया था। लेकिन इस अर्जुन टैंक पुराने मॉडल होने के कारण भारतीय सेनाओं ने इसकी सुधार की आवश्यकता जताई थी। जिसके बाद डीआरडीओ ने नए संस्करण को तैयार किया है।

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