मस्जिद गिराकर बनेगा पुल: 40 सालों पहले बनाई गई थी भव्य इबादतगाह

गौरतलब है कि 10 करोड़ रुपये की लागत वाली यह परियोजना 2002 में शुरू हुई थी लेकिन अधिग्रहण और अड़चनों को दूर करने के कारण इसे पूरा नहीं किया जा सका था।

Update: 2019-12-23 05:29 GMT

श्रीनगर: जहां एक तरफ देश में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर मुस्लिमों को चिंता सता रही है,और जगह जगह इसको लेकर हिंसक प्रदर्शन भी देखने को मिल रहा है वहीं श्रीनगर से एक भाईचारे के मिसाल से जुड़ी खबर सामने आई है।

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दरअसल, यहां के झेलम नदी पर लंबे समय से पुल के काम को पूरा करने के लिए मुस्लिम समुदाय एक 40 साल पुरानी मस्जिद को गिराने के लिए सहमत हो गया है। बता दें कि साल 2002 से ये प्रोजेक्ट लटका हुआ था। अधिकारियों के मुताबिक मस्जिद और कुछ आवासीय और कमर्शियल प्रापर्टी के चलते कई समस्याएं सामने आ रही थी।

मस्जिद गिराने का काम भी हो गया शुरू

सरकारी अधिकारियों ने बताया कि कमरवारी के रामपुरा क्षेत्र में श्रीनगर जिला विकास आयुक्त शाहिद इकबाल चौधरी और मस्जिद अबू तुराब की प्रबंध समिति के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर हो चुका है, और हस्ताक्षर के 24 घंटे बाद शनिवार को मस्जिद गिराने का काम शुरू हुआ।

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ऐसे बनी सहमति

शीर्ष अधिकारियों ने बताया कि जिला विकास आयुक्त ने प्रमुख भूमि अधिग्रहण मुद्दे के समाधान के लिए मस्जिद प्रबंधन के साथ कई बैठकें कीं, फिर जाकर मस्जिद प्रबंधन के बीच समझौता हुआ। इस​के बाद मस्जिद के पुनर्निर्माण की पूरी लागत वहन करने और 12 महीने के भीतर इसे पूरा किए जाने का प्रस्ताव भी शामिल हैं।

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परियोजना 2002 में हुई थी शुरू

गौरतलब है कि 10 करोड़ रुपये की लागत वाली यह परियोजना 2002 में शुरू हुई थी लेकिन अधिग्रहण और अड़चनों को दूर करने के कारण इसे पूरा नहीं किया जा सका था।

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