Kisan Protest in Delhi: बुधवार को फिर रामलीला मैदान में जुटेंगे देशभर के किसान, केंद्र के खिलाफ करेंगे प्रदर्शन

Kisan Protest in Delhi: 15 दिन के भीतर दिल्ली में किसान संगठनों का दूसरा बड़ा आंदोलन होने जा रहा है। पहले पिछले माह 20 मार्च को संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के बैनर तले देशभर के किसान दिल्ली की रामलीला मैदान में जुटे थे ।

Update:2023-04-04 18:38 IST
Kisan Protest in Delhi (photo: social media )

Kisan Protest in Delhi: किसान संगठनों के आह्वान पर एकबार फिर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में देशभर के किसान जुटेंगे। बुधवार को देश के विभिन्न हिस्सों से आए किसान और मजदूर रामलीला मैदान में केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे। कृषक संगठनों का आरोप है कि केंद्र लगातार किसानों की उपेक्षा कर रहा है, जिसके कारण आज देशभर में उनकी हालत खराब है।

महज 15 दिन के भीतर दिल्ली में किसान संगठनों का दूसरा बड़ा आंदोलन होने जा रहा है। इससे पहले पिछले माह 20 मार्च को संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के बैनर तले देशभर के किसान दिल्ली की रामलीला मैदान में जुटे थे और किसान महापंचायत की थी। जिसमें उन्होंने तीन साल पूर्व तीन कृषि कानूनों के विरोध में बुलाए गए व्यापक आंदोलन को खत्म करने के दौरान सरकार द्वारा किए गए वादों को याद दिलाते हुए चेतावनी दी थी।

किसान मोर्चा के नेता दर्शन पाल ने कहा था कि केंद्र सरकार ने 9 दिसंबर 2021 को लिखित में हमें जो आश्वासन दिए थे, उन्हें उसे पूरा करना चाहिए। किसानों के सामने लगातार बढ़ते संकट को देखते हुए उन्हें राहत पहुंचाने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाने चाहिए। 20 मार्च को 15 किसान नेताओं की केंद्रीय कृषि मंत्री से बात भी हुई थी। दोनों पक्षों के बीच करीब 2 घंटे तक चली थी।

क्या है किसान संगठनों की मांगें ?

- MSP की कानूनी गारंटी के लिए नई समिति

- उर्वरकों और फसलों पर लागत में कमी की मांग

- सभी फसलों के लिए फसल बीमा और मुआवजा पैकेज

- खेती के लिए मुफ्त बिजली की मांग

- स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश लागू हो

- किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए किसान पेंशन योजना

- सिंघु बॉर्डर पर जान गंवाने वाले किसानों के स्मारक के लिए जमीन

- आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों के परिवार को मिले मुआवजा

- आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज केस वापस लिए जाएं

- लखीमपुर खीरी कांड में एक्शन हो

बता दें कि साल 2020 में मोदी सरकार द्वारा तीन नए कृषि कानून लाए गए थे। जिसके विरोध में लाखों की तादात में किसान सड़कों पर उतर गए थे। इन कानूनों का विरोध खास तौर पर पंजाब, हरियाणा और वेस्ट यूपी में सबसे अधिक हुआ था। किसानों के एक साल तक चले आंदोलन के बाद आखिरकार केंद्र को ये तीनों कानून वापस लेने पड़े थे।

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