टिड्डियों का नाश्ता: कभी सोच नहीं सकते आप, लेकिन यहां चाव से खाते हैं लोग

देश इन दिनों टिड्डियों के हमले से काफी परेशान है। इस बार टिड्डियों का हमला ज्यादा बड़ा है। ऐसा कहा जा रहा है कि टिड्डियों के हमले से काफी नुकसान झेलना पड़ सकता है।

Update: 2020-05-29 10:47 GMT

नई दिल्ली: देश इन दिनों टिड्डियों के हमले से काफी परेशान है। इस बार टिड्डियों का हमला ज्यादा बड़ा है। ऐसा कहा जा रहा है कि टिड्डियों के हमले से काफी नुकसान झेलना पड़ सकता है। इनसे सबसे ज्यादा नुकसान हरे भरे जगहों को पहुंचेगा। क्योंकि हरे-भरे इलाके टिड्डियों का खुराक बन सकते हैं। टिड्डों को फसलों, अर्थ व्यवस्था और जीवन सभी के लिए बड़ा खतरा माना जा रहा है कि। ये खतरा कई हफ्तों तक भी बना रह सकता है।

कई देशो में टिड्डियों को चाव से खाते हैं लोग

जहां कई देशों में टिड्डियों का खतरा लगातार पनपता रहता है और उनसे बचने के लिए वहां पर कई तरह के उपाय भी किए जाते रहते हैं तो वहीं कई देश ऐसे भी हैं, जहां पर उन्हें खाया जाता है। दरअसल, रिसर्च में पता चलता है कि बहुत से कीड़े मकौडे़ और टिड्डे प्रोटीन और अन्य पोषक तत्वों का अच्छा स्त्रोत होते हैं।

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कुवैत में 1980 के दशक से खाए जाते हैं टिड्डे

जब 1980 के दशक के आखिर में कुवैत पर बड़े स्तर पर टिड्डियों का हमला हुआ तो वहां पर स्थानीय निवासियों ने टिड्डों को इकट्ठा कर, उन्हें खाना शुरू कर दिया। हालांकि इन टिड्डों पर कीटनाशकों का छिड़काव किया गया था।

मानव शरीर पर पड़ता है बुरा असर

रिसर्च से सामने आया कि इन केमिकल्स के छिड़काव की वजह से इनमें फास्फोरस और अन्य केमिकल तत्व बने रहते हैं। जिससे इंसान के शरीर प्रतिकूल असर पड़ता है। इन केमिकल्स का किडनी, लीवर और हृदय पर बेहद खराब असर पड़ सकता है। यहां तक कि व्यक्ति को आस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारी तक हो सकती है।

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अफ्रीका में भी लोग चाव से खाते हैं टिड्डे

वहीं जब हाल ही में पूर्वी अफ्रीका में टिड्डों का हमला हुआ था तो वहां पर एक अभियान शुरू किया गया था और कहा गया था कि उन टिड्डों को कोई ना खाए। चाहे वो जिंदा हो या फिर मरे। क्योंकि कीटनाशक से कई बार कीट तुरंत नहीं मरते हैं। अफ्रीका में भी लोग इसका खाने में इस्तेमाल करते हैं। मेडागास्कर में तो लोगों ने इसे पशुआहार भी बनाया। वो आज भी ऐसा ही करते हैं।

हालांकि टिड्डों को खाना हमेशा से खतरनाक नहीं रहा है। जब अफ्रीका में टिड्डों का हमला होता था तो लोग उन्हें जुटा कर खाने में इस्तेमाल करने लग जाते थे। मध्य पूर्व में खाड़ी देशों और दक्षिण एशियाई देशों के लोग भी ऐसा ही करते आए हैं।

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लातीनी अमेरिकी देशों में भी होता आया है खाने में प्रयोग

यहीं नहीं लातीनी अमेरिकी देशों में भी टिड्डों का खाने में इस्तेमाल किया जाता रहा है। चूंकि टिड्डों का खतरा प्राचीन काल से ही है, इसलिए मनुष्य ने उन्हें भोजन में शामिल करना शुरू कर दिया। अमेरिका के मूल निवासी बहुत पहले से ही टिड्डे और अन्य कीटों को खाया जाता रहा है।

बाइबल में भी है इसका जिक्र

बाइबल में इस बात का जिक्र है कि क्राइस्ट का एक जॉन नाम का एक शिष्य जब जंगलों में रहता था तो वो टिड्डों और मधुमक्खियों का सेवन करता था। इसलिए कुछ लोग ये तर्क देते हैं कि ये वेजेटेरियन फूड हैं।

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