असीम पोर्टल : एक अनार सौ बीमार, बहुत कम लोगों को मिला रोजगार

पंजीकरण कराने वाले 69 लाख प्रवासी कामगारों में से 1.49 लाख लोगों को ही रोजगार की पेशकश की गई। लेकिन इनमें से भी सिर्फ 7,700 लोग ही रोजगार पा सके।

Update:2020-08-29 15:15 IST
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 11 जुलाई को शुरू किए गए सरकारी जॉब पोर्टल पर सिर्फ 40 दिनों के भीतर 69 लाख से अधिक लोगों ने रोजगार के लिए पंजीकरण कराया था

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 11 जुलाई को शुरू किए गए सरकारी जॉब पोर्टल पर सिर्फ 40 दिनों के भीतर 69 लाख से अधिक लोगों ने रोजगार के लिए पंजीकरण कराया था। लेकिन पंजीकरण कराने वालों में से एक बेहद छोटी संख्या में ही लोगों को रोजगार मिल पाया। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 14 अगस्त से 21 अगस्त के बीच एक सप्ताह के भीतर पोर्टल पर सात लाख से ज्यादा लोगों ने रोजगार के लिए पंजीकरण कराया लेकिन इस दौरान सिर्फ 691 लोगों को ही रोजगार मिला।

दो फीसदी ही सफल

कौशल विकास मंत्रालय एवं उद्यमिता मंत्रालय द्वारा अपने आत्मनिर्भर स्किल्ड एंप्लॉएज एंप्लोयर मैपिंग (असीम) पोर्टल पर जुटए गए आंकड़ों से पता चलता है कि रोजगार की तलाश कर रहे 3.7 लाख उम्मीदवारों में से सिर्फ दो फीसदी ही रोजगार पा सके। पंजीकरण कराने वाले 69 लाख प्रवासी कामगारों में से 1.49 लाख लोगों को ही रोजगार की पेशकश की गई। लेकिन इनमें से भी सिर्फ 7,700 लोग ही रोजगार पा सके। मंत्रालय से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पोर्टल समय-समय पर विभिन्न क्षेत्र में प्रशिक्षित लोगों की सहायता के लिए बना था।

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असीम पोर्टल पर नौकरी करने वालों की भरमार (फाइल फोटो)

जिन लोगों ने पंजीकरण कराया, वे सिर्फ प्रवासी कामगार नहीं हैं। इनमें दर्जी, इलेक्ट्रीशियन, फील्ड तकनीशियन, सिलाई मशीन ऑपरेटर और फिटर भी हैं जबकि कूरियर डिलीवरी एग्जीक्यूटिव, नर्स, एकाउंट एग्जीक्यूटिव, मैनुअल क्लीनर और सेल्स एसोसिएट की मांग सबसे अधिक है। आंकड़ों से पता चलता है कि कर्नाटक, दिल्ली, हरियाणा, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे राज्यों में श्रमिकों की भारी कमी है। मार्च में लॉकडाउन की शुरुआत के बाद से इन राज्यों में प्रवासी कामगारों का पलायन भी देखा गया, जिनमें अधिकतर उत्तर प्रदेश और बिहार से थे।

80 फीसदी बढ़े उम्मीदवार

असीम पोर्टल पर नौकरी करने वालों की भरमार (फाइल फोटो)

रोजगार की तलाश कर रहे उम्मीदवारों की संख्या एक सप्ताह में 80 फीसदी बढ़ी। यह 14 से 21 अगस्त के दौरान 3.78 लाख से बढ़कर 2.97 लाख हो गई। लेकिन जिन उम्मीदवारों को वास्तव में रोजगार मिला।

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उनकी संख्या में सिर्फ 9.87 फीसदी की ही इजाफा हुआ और यह इस समयावधि में 7,009 से बढ़कर 7,700 हो गई। पोर्टल पर पंजीकृत लोगों की संख्या भी 21 अगस्त को समाप्त हुए सप्ताह में 11.98 फीसदी बढ़कर 61.67 लाख से बढ़कर 69 लाख हुई है।

मात्र 5.4 फीसदी महिलाएं

असीम पोर्टल पर नौकरी करने वालों की भरमार (फाइल फोटो)

असीम पोर्टल के आंकड़ों के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा जून में देश के 116 जिलों में शुरू किए गए गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत रोजगार की तलाश कर रहे लोगों में सिर्फ 5.4 फीसदी महिलाएं हैं। पोर्टल पर 514 कंपनियां पंजीकृत हैं, जिनमें से 443 कंपनियों ने 2.92 लाख रोजगार की जानकारी पोस्ट की हैं। इनमें से 1.49 लाख लोगों को रोजगार दिया गया।

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लॉजिस्टिक्स, हेल्थकेयर, बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं और बीमा (बीएफएसआई), रिटेल और कंस्ट्रक्शन ऐसे शीर्ष क्षेत्र हैं, जिन्होंने पोर्टल पर लगभग 73.4 फीसदी नौकरियों की पेशकश की है। रोजगार के लिए पंजीकृत कराने वाले 42.3 फीसदी लोग उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा, तमिलनाडु और दिल्ली से शीर्ष राज्यों से हैं। पोर्टल पर पोस्ट किए गए कुल रोजगार में से 77 फीसदी से अधिक पांच राज्यों कर्नाटक, दिल्ली, हरियाणा, तेलंगाना और तमिलनाडु में हैं।

हर सेक्टर प्रभावित

कोरोना वायरस महामारी के दौरान ऐसा कोई सेक्टर नहीं है जहां लोगों को अपनी नौकरी या काम धंधे से ना हाथ धोना पड़ा हो। लॉकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था पर इतना गहरा असर पड़ा कि अब ज्यादातर सेक्टर में छंटाई देखने को मिली। पर्यटन, हॉस्पिैटैलिटी, निर्माण कार्य, आईटी और टेलीकॉम के बाद लॉजिस्टिक्स एक ऐसा सेक्टर है जहां कोरोना वायरस के बाद ज्यादा रोजगार पैदा होगा। लॉजिस्टिक सेक्टर देश के टॉप पांच रोजगार पैदा करने वाले क्षेत्रों में शामिल हो जाएगा।

असीम पोर्टल पर नौकरी करने वालों की भरमार (फाइल फोटो)

राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के मूल्यांकन के आधार पर यह बात कही गई है। एनएससीडीसी के मूल्यांकन के मुताबिक इस क्षेत्र में पांच सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली नौकरियों में कूरियर डिलिवरी, हाउसकीपिंग अटेंडेंट, कस्टमर केयर एक्जीक्यूटिव, वेयरहाउस एसोसिएट और मशीन ऑपरेटर शामिल हैं। ये नौकरियां लोगों की मांग के आधार पर सूची में शामिल की गई हैं।

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ये मूल्यांकन आत्मनिर्भर कौशल कर्मचारी नियोक्या मैपिंग पोर्टल पर उपलब्ध डेटा को इकट्ठा करके बनाया गया है। महामारी और 68 दिनों के लॉकडाउन की वजह से देश के कई क्षेत्रों में नौकरियों को लेकर बड़ा नुकसान हुआ है। दिहाड़ी-मजदूर इस महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित रहा है। हालांकि छह हजार लोग अलग-अलग क्षेत्रों में नौकरी कर रहे हैं लेकिन एनएसडीसी इस बारे में आंकड़ें जुटा रहा है कि क्या जो नौकरियां बची हैं, उस पर भर्तियां हुई हैं या नहीं।

असीम पोर्टल

असीम पोर्टल पर नौकरी करने वालों की भरमार (फोटो. सोशल मीडिया)

आत्मनिर्भर कौशल कर्मचारी नियोक्या मैपिंग (असीम) पोर्टल एक प्लेटफॉर्म के तौर पर बनाया गया, जो उपलब्ध कौशल कर्मचारियों की संख्या का मूल्यांकन और भर्ती करे। इसके अलावा कर्मचारियों की संख्या के बीच मांग और आपूर्ति के रिक्त स्थान को भरे।

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असीम के तहत दिल्ली, आंध्र प्रदेश, बिहार, गोवा, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, पंजाब, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और झारखंड जैसे राज्यों 14 राज्यों में नौकरियां दी जाती हैं। कई राज्यों में लोगों को इस पोर्टल के तहत नौकरियां मिली हैं।

लॉजिस्टिक सेक्टर में है डिमांड

असीम पोर्टल पर नौकरी करने वालों की भरमार (फाइल फोटो)

असीम पोर्टल के तहत सबसे ज्यादा नौकरियां लॉजिस्टिक सेक्टर में मिल रही हैं। जिसमें कूरियर डिलिवरी, वेयरहाउस एक्जीक्यूटिव और पैकर्स जैसी सेवाएं शामिल हैं। इस समय लॉजिस्टिक सेक्टर में नौकरियों की सबसे ज्यादा मांग है। असीम पोर्टल पर कुल नौकरियों का 76.1 फीसदी योगदान इन पांच क्षेत्रों से आता है। एक अधिकारी ने बताया कि कूरियर डिलिवरी, हाउसकीपिंग अटेंडेंट, कस्टमर केयर एक्जीक्यूटिव, वेयरहाउस एसोसिएट, मशीन ऑपरेटर जैसी सेवाएं टॉप पांच में जगह बनाए हुए हैं।

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कौशल विकास और आंत्रेप्रोन्योरशिप मंत्री महेंद्र नाथ पांडे ने कहा है कि असीम पोर्टल का इस्तेमाल कौशल कर्मचारियों का डाटाबेस बनाने के लिए किया जा रहा है। पांडे ने कहा कि हमारे देश में युवा ही भारत के विकास को आगे ले जा सकता है, इस पोर्टल की मदद से कर्मचारियों के बीच मांग और आपूर्ति को पूरा किया जाएगा।

सिर्फ नौकरी पर फोकस

असीम पोर्टल पर नौकरी करने वालों की भरमार (फाइल फोटो)

ये भी ध्यान देने वाली बात है कि सरकारी पोर्टल पर आत्मनिर्भरता के नाम पर सिर्फ नौकरी देने की कवायद की जा रही है। लोगों को खुद का काम धंधा, बिजनेस आदि शुरू करने के लिए कोई सिंगल विंडो सिस्टम नहीं बनाया गया है। जो लोग व्हाइट कालर जॉब यानी आफिस में काम करने वाले थे।

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लेकिन अब बेरोजगार हो गए हैं उनके लिए सहायता देने का सिस्टम अभी डेवलप नहीं किया गया है। पूरा फोकस प्रवासी मजदूरों, सेमी स्किल्ड लोगों को नौकरी दिलाने पर ही है, हर उम्र और हर वाग कजे लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिये फोकस नजर नहीं आता।

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