ममता को तगड़ा झटका: शुभेंदु ने दिया इस्तीफा, बीजेपी ने किया स्वागत
शुभेंदु अधिकारी के इस्तीफे के बाद बीजेपी के उपाध्यक्ष मुकुल राय ने कहा कि जिस दिन सुवेंदु अधिकारी ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया था, मैंने बताया था कि अगर वह टीएमसी छोड़ देंगे और हम उनका स्वागत करेंगे तो मुझे खुशी होगी।
कोलकाता: पश्चिम बंगाल की राजनीति में आजकल भूचाल आया हुआ है। भारतीय जनता पार्टी की ओर से ममता सरकार पर लगातार सियासी हमला किया जा रहा है। इस बीच तृणमूल के बागी कद्दावर नेता व विधायक शुभेंदु अधिकारी ने 2021 में होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले टीएमसी को बड़ा झटका देते हुए विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है। शुभेंदु अधिकारी ने बुधवार को टीएमसी विधायक के पद से इस्तीफा दे दिया।
सचिवालय को अपना इस्तीफा सौंपा
बता दें कि शुभेंदु अधिकारी विधानसभा में अपना इस्तीफा सौंपने के लिए पहुंचे थे लेकिन स्पीकर की गैरमौजूदगी में उन्होंने सचिवालय को अपना इस्तीफा सौंप दिया। यह भी बताया जा रहा है कि शनिवार(19 दिसंबर) को केंद्रीय गृहमंत्री व कद्दावर नेता अमित शाह की मौजूदगी में भाजपा का झंडा थाम सकते हैं। अमित शाह शुभेंदु के गढ़ मेदिनीपुर पहुंच रहे हैं।
बीजेपी के उपाध्यक्ष मुकुल राय ने स्वागत किया
शुभेंदु के इस्तीफे के बाद बीजेपी के उपाध्यक्ष मुकुल राय ने कहा कि जिस दिन सुवेंदु अधिकारी ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया था, मैंने बताया था कि अगर वह टीएमसी छोड़ देंगे और हम उनका स्वागत करेंगे तो मुझे खुशी होगी। आज उन्होंने पश्चिम बंगाल विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है और मैं उनके फैसले का स्वागत करता हूं।
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20 वर्षों का साथ हो जायेगा खत्म
तृणमूल से शुभेंदु विधायक के पद से इस्तीफा दे देंगे। इसी के साथ तृणमूल व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ 20 वर्षों का साथ खत्म हो जाएगा। अधिकारी के भाजपा में शामिल होने की खबर को इस बात से भी बल मिल रहा है कि केंद्र सरकार ने उन्हें तीन दिन पहले सोमवार को ही जेड श्रेणी की सुरक्षा दे दी थी।
2007 के नंदीग्राम आंदोलन के हीरो थे शुभेंदु अधिकारी
बताते चलें कि 2006 में तृणमूल के टिकट पर कांथी दक्षिण विधानसभा सीट से पहली बार विधायक निर्वाचित हुए। 2007 के नंदीग्राम आंदोलन में शुभेंदु पोस्टर ब्वॉय बन गए। इसके बाद 2009 में तमलुक से सांसद निर्वाचित हुए। इसके बाद वह 2014 में पुनः सांसद निर्वाचित हुए।
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आखिर क्या है शुभेंदु अधिकारी का पार्टी छोड़ने का कारण?
बता दें कि 2016 में नंदीग्राम से विधायक चुने जाने के बाद उन्होंने सांसद पद छोड़ दिया और बंगाल के परिवहन मंत्री बने। उनका राजनीतिक करियर का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा था। परंतु, 2019 में लोकसभा चुनाव में भाजपा को जबर्दस्त जीत मिलने और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की नियुक्ति के बाद पार्टी में जैसे ही ममता के सांसद भतीजे अभिषेक बनर्जी का कद बढ़ा वह क्षुब्ध हो गए और उसी का नतीजा है कि अब वह तृणमूल को अलविदा कहने जा रहे हैं। उनके भाई दिव्येंदु अधिकारी तमुलक और पिता शिशिर अधिकारी कांथी से तृणमूल के सांसद हैं।
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