Terror Funding Case: जम्मू कश्मीर में बड़ा एक्शन, सात जिलों में एनआईए ने मारी रेड, टेरर फंडिंग का है मामला
Terror Funding Case: केंद्रीय एजेंसियां आतंक के लिए खाद-पानी मुहैया कराने वालों को दबोचने में भी जुटी हुई है। इसी को लेकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए ने सोमवार को प्रदेश में बड़ी कार्रवाई करते हुए सात जिलों में रेड मारी है।
Terror Funding Case: आतंकवाद प्रभावित केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में एंटी टेरर ऑपरेशन लगातार जारी है। पिछले कुछ महीनो में इसमें सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी भी मिली है। कई दुर्दांत देसी और विदेशी आंतकवादी मारे गए हैं। इसके अलावा केंद्रीय एजेंसियां आतंक के लिए खाद-पानी मुहैया कराने वालों को दबोचने में भी जुटी हुई है। इसी को लेकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए ने सोमवार को प्रदेश में बड़ी कार्रवाई करते हुए सात जिलों में रेड मारी है। इनमें शोपियां, पुलवामा, बांदीपुरा और कुलगाम जैसे संवेदनशील जिले भी शामिल हैं।
इससे पहले 12 जून को एनआईए ने टेरर फंडिंग मामले में कुपवाड़ा में बड़ी कार्रवाई करते हुए जहूर अहमद शाह वटाली की 17 संपत्तियों को कुर्क कर दिया था। अहमद शाह वटाली को 2017 में एजेंसी ने इस मामले में गिरफ्तार किया था। बीते माह 31 मई को एनआईए ने श्रीनगर के बघाट इलाके में स्थित वटाली के घर को कुर्क कर दिया था।
कौन – कौन है टेरर फंडिंग केस में आरोपी ?
NIA ने सबसे पहले 2017 में टेरर फंडिंग का केस दर्ज कर कश्मीर घाटी में आतंक और अलगाववाद को भड़काने वाले बड़े चेहरों पर शिकंजा कसना शुरू किया था। इस मामले में जम्मू कश्मील लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख एवं अलगाववादी नेता यासीन मलिक, मोस्ट वांटेड आतंकी हाफिज सईद, जैश कमांडर सैयद सलाउद्दीन समेत अन्य 17 लोगों को आरोपी बनाया था
टेरर फंडिंग का क्या है मामला
जम्मू कश्मीर में अलगवावादी और पत्थरबाजी जैसी हिंसक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए बड़े पैमाने पर सीमा पार से फंडिंग होने की इनपुट मिलती रही है। घाटी में सक्रिय दहशतगर्दों को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से फंडिंग मिलने के पुख्ता सबूत मिलने के बाद एनआईए ने मामले की जांच शुरू की। आईएसआई पर कश्मीर में सक्रिय आतंकी एवं अलगववादी संगठनों जेकेएलएफ, लश्कर ए तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे समूहों को फंड मुहैया कराने के आरोप लगते रहे हैं।
यासीन मलिक के लिए मांगी गई है सजा
एनआईए ने बीते दिनों टेरर फंडिंग केस में कुख्यात अलगाववादी नेता यासीन मलिक के लिए दिल्ली कोर्ट से फांसी की मांग की थी। लेकिन अदालत ने जांच एजेंसी की इस मांग को यह कहते हुए ठुकरा दिया था कि मौत की सजा केवल असाधारण मामलों में ही दी जानी चाहिए। एनआईए ने कोर्ट के इस आदेश को ऊपरी अदालत में चुनौती देने का निर्णय लिया है। मलिक को विभिन्न मामलों में दोषी ठहराते हुए अदालत ने मई 2022 में आजीवन कारावास के साथ-साथ जुर्माने की सजा की सुनाई थी।