CJI केस में आया चौंकाने वाला मोड, महिला ने किया कुछ ऐसा
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने वाली उच्चतम न्यायालय की एक पूर्व कर्मी ने मंगलवार को फैसला किया कि आंतरिक जांच समिति के सामने अब और पेश नहीं होगी
नई दिल्ली: प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने वाली उच्चतम न्यायालय की एक पूर्व कर्मी ने मंगलवार को फैसला किया कि आंतरिक जांच समिति के सामने अब और पेश नहीं होगी। कर्मचारी ने एक बयान में कहा कि मंगलवार तीसरा दिन था जब वह न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति के समक्ष पेश हुई।
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उन्होंने बयान में कहा, 'लेकिन गंभीर चिंता और आपत्तियों की वजह से मैं आंतरिक समिति की इन कार्यवाहियों में अब भाग नहीं ले रही हूं।' गौरतलब है कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली उच्चतम न्यायालय की पूर्व कर्मचारी सोमवार को आंतरिक जांच समिति के सामने पेश हुईं थी और अपना बयान रिकार्ड कराया था।
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वह न्यायमूर्ति एस ए बोवडे के नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय समिति के सामने दूसरी बार पेश हुईं थी। समिति में दो महिला न्यायाधीश भी हैं -न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी। सुप्रीम कोर्ट के सूत्रों ने बताया था कि सुनवाई के दौरान केवल महिला ही मौजूद थी। शिकायतकर्ता को अपने साथ वकील ले जाने की अनुमति नहीं दी गयी। सूत्रों ने बताया कि तीन घंटे तक कार्यवाही चली। इस दौरान महिला ने अपना बयान रिकार्ड कराया था।
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गौरतलब है कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन शोषण के आरोपों की खबर के बाद हर कोई सकते में था। सुप्रीम कोर्ट में काम करने वाली एक महिला ने इस तरह के संगीन आरोप लगाए थे और इस संबंध में 26 वरिष्ठ कानूनविदों को चिट्ठी भी लिखी गई थी। इस तरह की खबर को चीफ जस्टिस ने सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि आज तक के कानूनी करियर में यह बेहद दुख का पल है।
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न्यायपालिका और उससे जुड़े लोगों के लिए साख के अलावा और क्या है। अपनी पीड़ा का इजहार करते हुए उन्होंने गहरी साजिश की तरफ इशारा किया।
वहीं दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को उस अर्जी पर सुनवाई से इनकार कर दिया था जिसमें मीडिया को प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई के खिलाफ लगे यौन उत्पीड़न के आरोप प्रकाशित करने से रोकने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व कर्मी ने न्यायमूर्ति गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे।
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मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी की पीठ ने एक एनजीओ की तरफ से दायर की गई इस याचिका का निपटारा करते हुए कहा था कि शीर्ष अदालत मामले पर विचार कर रहा है और विभिन्न आदेश पारित किए गए हैं, जिनमें कुछ जांच शुरू करने के निर्देश भी शामिल हैं।पीठ ने कहा कि एक बार सर्वोच्च अदालत मामले पर सुनवाई कर रहा है तो इस अदालत के दखल की कोई जरूरत ही नहीं है।