बीस लाख वैक्सीन खुराक फेंकनी पड़ीं, जानिए आखिर क्या है वजह

देश में कोरोना की अभी दो वैक्सीनें लग रहीं हैं - कोवैक्सिन और कोविशील्ड। एक मर्तबा वैक्सीन की एक शीशी या वायल खुल गई तो उसे चार घंटे के भीतर खत्म करना होता है। इसके लिए जरूरी है कि वैक्सीन लगवाने के लिए लोगों का आना लगातार जारी रहे।

Update: 2021-03-19 08:26 GMT
आखिर क्यों हो रहा ऐसा? बीस लाख वैक्सीन खुराक फेंकनी पड़ीं (PC: social media)

नीलमणि लाल

लखनऊ: कोरोना के खिलाफ जंग में अमृत समान वैक्सीन को कूड़े में फेंकना पड़ रहा है। एक अनुमान है कि भारत में कोरोना वैक्सीन की कोई 6.5 फीसदी खुराकें बेकार चली जा रहीं हैं।

इस बर्बादी की वजह जनता की उदासीनता है। लोग शहरों में भले ही वैक्सीन के लिए लाइन लग रहे हों लेकिन कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों में वह उत्साह नजर नहीं आ रहा है। इसका कारण जागरूकता की कमी है।

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देश में कोरोना की अभी दो वैक्सीनें लग रहीं हैं

देश में कोरोना की अभी दो वैक्सीनें लग रहीं हैं - कोवैक्सिन और कोविशील्ड। एक मर्तबा वैक्सीन की एक शीशी या वायल खुल गई तो उसे चार घंटे के भीतर खत्म करना होता है। इसके लिए जरूरी है कि वैक्सीन लगवाने के लिए लोगों का आना लगातार जारी रहे।

corona (PC: social media)

केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को 7 करोड़ 54 लाख खुराकें डिस्ट्रीब्यूट कीं हैं। मिंट की खबर के अनुसार इनमें से 3 करोड़ 60 लाख खुराकें अब तक इस्तेमाल की जा चुकीं हैं। वैसे तो सरकार ने ये खुलासा नहीं किया है कि कितनी खुराकें बेकार जा चुकी हैं लेकिन एक अनुमान है कि ये आंकड़ा 20 लाख से ज्यादा का हो सकता है।

प्रधानमंत्री मोदी भी वैक्सीन की वेस्टेज पर गहरी चिंता जता चुके हैं

प्रधानमंत्री मोदी भी वैक्सीन की वेस्टेज पर गहरी चिंता जता चुके हैं। कोरोना संबंधी टास्क फोर्स के सदस्य वी के पॉल ने तो एक प्रेसवार्ता में कहा है कि अमृत के समान इस बेशकीमती चीज का बेकार चला जाना बहुत गलत बात है।

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सरकार का कहना है कि उत्तर प्रदेश, तेलंगाना और आन्ध्र प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में 9 से 18 फीसदी वेस्टेज देखा गया है। वेस्टेज कम करने के लिए जागरूकता फैलाने के अलावा वैक्सिनेशन के टारगेट ग्रुप का विस्तार करना जरूरी है।

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