सावधान: अगर आप नाइट शिफ्ट में काम करते हैं, तो हो सकती है ये बड़ी बिमारी
इन दिनों ज्यादातर लोगों को नाइट शिफ्ट में काम करना पड़ता है या फिर टाइम-टाइम पर उनकी शिफ्ट में बदलाव होता रहता है। अगर आप भी इसी तरह के शेड्यूल में काम करते हैं तो ये खबर आपके लिए ही है।
नई दिल्ली: प्राइवेट कंपनियों में 24 घंटे काम करने का चलन तेजी से बढ़ता जा रहा है। इन दिनों ज्यादातर लोगों को नाइट शिफ्ट में काम करना पड़ता है या फिर टाइम-टाइम पर उनकी शिफ्ट में बदलाव होता रहता है। अगर आप भी इसी तरह के शेड्यूल में काम करते हैं तो ये खबर आपके लिए ही है। दरअसल, ऐसे शेड्यूल में काम करने से मोटापे और डायबीटीज का खतरा अधिक हो सकता है। इसके अलावा बदलती शिफ्ट में काम करने से आपको मानसिक रोग भी हो सकता है।
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हो सकते हैं मानसिक रोग
जी हां, अभी हाल ही में हुए एक शोध में दावा किया गया है कि, ऐसे शेड्यूल में काम करने से लोगों को मानसिक रोग भी हो सकते हैं। ऐसे लोगों में जिनकी नींद में बाधा पड़ती है, उनमें अवसाद और चिंता की समस्या 9 से 5 बजे की शिफ्ट करने वाले लोगों की तुलना में अधिक होती है। इसके अलावा ऐसे लोगों में मानसिक समस्याओं के होने की संभावना 28 प्रतिशत अधिक होती है। शोध का ये परिणाम पिछले सात अध्ययनों में शामिल 28 हजार 438 प्रतिभागियों की जांच करने के बाद सामने आया है।
महिलाओं के ऊपर पड़ता है ज्यादा असर
वैसे तो रात की शिफ्ट में काम करना हर किसी के सेहत के लिए काफी नुकसानदायक होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि रात की नींद हमारे बायलॉजिकल साइकल का के लिए अहम है। लेकिन, एक अध्ययन द्वारा सामने आया है कि, रात की शिफ्ट करने से पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के सेहत पर अधिक बुरा असर पड़ता है।
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नींद में खलल, अवसाद की बड़ी वजह
शोधकर्ताओं ने बताया है कि, नाइट की शिफ्ट में काम करने से नींद में खलल पड़ती है और जो महिलाओं के मस्तिष्क पर पुरुषों के मुकाबले बहुत बुरा असर डाल सकती है। स्टडी में पाया गया है कि, मेंटल वर्क करने की क्षमता पर सर्केडियन (24 घंटों का जैविक चक्र) का प्रभाव पुरुषों के मुकाबले महिलाओं पर पड़ता है। स्टडी में ये भी देखा गया है कि, सर्केडियन का असर महिलाओं पर इतना अधिक होता है कि रात की शिफ्ट पूरी होने के बाद महिलाएं संज्ञानात्मक रूप से ज्यादा क्षीण हो जाती हैं।
अलग-अलग पड़ता है असर
स्टडी में शामिल शोधकर्ता बताती हैं कि, 'हमने ये पहली बार दिखाया कि सर्केडियन क्लॉक को चुनौती देने से पुरुषों और महिलाओं के कार्यक्षमता पर अलग-अलग असर पड़ता है। इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने रात की शिफ्ट के दौरान 16 पुरुषों और 18 महिलाओं के मस्तिष्क के कार्य करने की क्षमता की जांच की।
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चिड़चिड़ापन और सामाजिक अलगाव
अध्ययन से पता चला है कि इस शिफ्ट में काम करने वालों को अवसाद होने की संभावना, नाइट शिफ्ट न करने वाले लोगों की तुलना में 33 प्रतिशत अधिक थी। विशेषज्ञों का कहना है कि, बार-बार शिफ्ट में बदलाव होने की वजह से हमारे सोने और जागने की आदत पर असर पड़ता है। बार-बार हो रहे इस बदलाव को हमारा शरीर झेलने में असमर्थ होता है, जिससे लोगों चिड़चिड़े हो जाते हैं। इसके अलावा मूड स्विंग और सामाजिक अलगाव भी होने लगता है। जिससे परिवार और दोस्तों से हमारे रिश्ते प्रभावित होन लगते हैं।
करें व्यायाम
शोधकर्ताओं का कहना है कि व्यायाम के लिए समय निकालने से, दिन के उजाले के दौरान बाहर जाने और परिवार-दोस्तों के साथ समय बिताने से सामाजिक अलगाव को सीमित करने से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार किया जा सकता है। व्यायाम ऐसी स्थिति में आपके लिए बेहद लाभकारी सिद्ध हो सकता है।
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