बिहार में फिर नीतीशे कुमार मगर अबकी बार बंधे रहेंगे हाथ, भाजपा होगी हावी

बिहार की सियासी पिच पर मंगलवार को दिनभर टी 20 की तर्ज पर सांस रोक देने वाला मुकाबला चलता रहा। लेकिन आखिरकार बाजी एनडीए के हाथ ही लगी और राज्य के मतदाताओं ने युवा तेजस्वी की अपेक्षा पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम नीतीश कुमार की अगुवाई वाले एनडीए के अनुभवी नेतृत्व को तरजीह दी।

Update:2020-11-11 08:41 IST
नीतीश कुमार एक बार फिर बिहार की कमान जरूर संभालने जा रहे हैं मगर उनकी पार्टी जदयू पहले की अपेक्षा काफी कमजोर हो गई है।

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के सारे नतीजे आने के बाद राज्य में एक बार फिर एनडीए की सरकार बनना तय हो गया है और नीतीश कुमार जल्द ही सातवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की कमान संभालेंगे। मंगलवार देर रात आए नतीजों में एनडीए ने 125 सीटें जीतकर बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया।

दूसरी और राजद की अगुवाई वाला महागठबंधन 110 सीटों पर ही सिमट गया। एग्जिट पोल एक बार फिर बिहार की जनता का मन भांपने में नाकाम साबित हुए। नीतीश कुमार सातवीं बार भले ही राज्य के मुख्यमंत्री बनेंगे मगर माना जा रहा है कि वह पहले जैसे प्रभावी नहीं रह पाएंगे क्योंकि इस चुनाव में जहां राजद को 43 सीटें मिली हैं वहीं भाजपा ने 74 सीटों पर विजय हासिल की है।

एनडीए के अनुभवी नेतृत्व को तरजीह

बिहार की सियासी पिच पर मंगलवार को दिनभर टी 20 की तर्ज पर सांस रोक देने वाला मुकाबला चलता रहा। लेकिन आखिरकार बाजी एनडीए के हाथ ही लगी और राज्य के मतदाताओं ने युवा तेजस्वी की अपेक्षा पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम नीतीश कुमार की अगुवाई वाले एनडीए के अनुभवी नेतृत्व को तरजीह दी। राज्य में बहुमत के आंकड़े के लिए 122 सीटों की जरूरत है और एनडीए को इस चुनाव में 125 सीटें हासिल हुई हैं। इस तरह राज्य में एक बार फिर एनडीए की सरकार बनने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।

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पहले से कमजोर हुई जदयू

नीतीश कुमार एक बार फिर बिहार की कमान जरूर संभालने जा रहे हैं मगर उनकी पार्टी जदयू पहले की अपेक्षा काफी कमजोर हो गई है। जदयू को इस बार 43 सीटें मिली हैं और उसे पिछले चुनाव की अपेक्षा 28 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है। पिछला विधानसभा चुनाव जदयू ने राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर गठबंधन में लड़ा था जबकि चुनाव के बाद नीतीश ने पाला बदलकर भाजपा के साथ मिलकर फिर सरकार बना ली थी।

भाजपा और ताकतवर, 21 सीटों का फायदा

दूसरी और भाजपा पिछले चुनाव के मुकाबले और ताकतवर बनकर उभरी है। भाजपा को इस विधानसभा चुनाव में 74 सीटों पर विजय हासिल हुई है और इस तरह पार्टी को 21 सीटों का फायदा हुआ है। पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 53 सीटें जीती थी मगर इस बार पार्टी ने कमाल का प्रदर्शन किया है। भाजपा के जोरदार प्रदर्शन का श्रेय पीएम मोदी के दमदार नेतृत्व के साथ ही महिलाओं के मिले भारी समर्थन को दिया जा रहा है। एक समय तो ऐसा था कि भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आती दिख रही थी मगर आखिरकार राजद ने उसे एक सीट से पछाड़ दिया। राजद को इस विधानसभा चुनाव में 75 सीटों पर विजय हासिल हुई है।

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सबसे बड़ा झटका जदयू को ही

यदि नफा नुकसान का आकलन किया जाए तो इस बार के चुनाव में सबसे बड़ा झटका जदयू को ही लगा है क्योंकि सबसे ज्यादा सीटों का नुकसान जदयू को ही उठाना पड़ा है। जदयू को 28 सीटों का नुकसान हुआ है जबकि राजद को पिछले चुनाव की अपेक्षा 5 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है। यदि कांग्रेस के प्रदर्शन को देखा जाए तो उसे 8 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है। सबसे ज्यादा फायदा भाजपा, हम, वीआईपी और वामदलों को हुआ है।

छोटा भाई बनने पर मजबूर हुए नीतीश

सियासी जानकारों का कहना है कि एनडीए टीम के एक खिलाड़ी के तौर पर भाजपा का प्रदर्शन असाधारण माना जा रहा है। जानकारों के मुताबिक नीतीश कुमार भले ही सातवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं मगर छोटे भाई बनने को मजबूर हो गए हैं।

एनडीए की पुरानी सहयोगी लोजपा ने डेढ़ दर्जन से अधिक सीटों पर जदयू को करारा झटका देते हुए उसे भाजपा का छोटा भाई बनने पर मजबूर कर दिया है। इन नतीजों से तय हो गया है कि नीतीश कुमार के हाथ मुख्यमंत्री बनने के बावजूद बंधे रहेंगे और भाजपा उन पर हावी हो जाएगी। एनडीए गठबंधन में नीतीश कुमार पहली बार छोटा भाई बनने पर मजबूर हुए हैं।

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सीएम बदलने की मांग पर शीर्ष नेतृत्व की चुप्पी

हालांकि बिहार में भाजपा का मुख्यमंत्री बनाने की मांग भी तेज होती जा रही है मगर अभी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से नतीजों के बाद इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है। चुनाव से पहले एक इंटरव्यू में भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि यदि भाजपा जदयू से ज्यादा सीटें पाती है तो भी बिहार के अगले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही होंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बिहार में हुई अपनी चुनावी रैलियों में नीतीश कुमार की अगुवाई में एनडीए की सरकार बनाने का आह्वान किया। इसलिए माना जा रहा है कि अभी भाजपा की ओर से इस मुद्दे को नहीं छेड़ा जाएगा बल्कि सही समय का इंतजार किया जाएगा।

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पार्टियों के नफा नुकसान का आकलन

भाजपा-74 (+21)

जदयू- 43 (- 28)

हम- 4 (+ 3)

वीआईपी- 4 (+ 4)

एनडीए- कुल 125

राजद -75 (- 5)

कांग्रेस-19( - 8)

भाकपा माले -12 (+9)

भाकपा -दो (+ दो)

माकपा- दो (+ दो)Post

महागठबंधन- कुल 110

अन्य 8

महागठबंधन का धांधली का आरोप

हालांकि चुनाव नतीजों पर राजद और कांग्रेस ने आपत्ति जताते हुए धांधली करने का आरोप लगाया है। मंगलवार की शाम काउंटिंग के दौरान राजद और कांग्रेस के नेता अपनी शिकायत लेकर चुनाव आयोग भी पहुंचे। उनका आरोप था कि नीतीश कुमार काउंटिंग को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं।

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जीत का सर्टिफिकेट देने में आनाकानी

राजद नेता और सांसद मनोज झा ने आरोप लगाया कि उनके पास ऐसी 119 सीटों की लिस्ट है जिन पर महागठबंधन को साफ तौर पर विजय हासिल हुई है। उन्होंने कहा कि कई विधानसभा सीटों पर जीत के बावजूद विजयी उम्मीदवारों को जीत का सर्टिफिकेट देने में आनाकानी की गई।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि प्रशासनिक मशीनरी ने नजदीकी मुकाबले वाली सीटों पर एनडीए को पूरी मदद पहुंचाई है। एनडीए उम्मीदवारों की रिकाउंटिंग की मांग को तुरंत मान लिया गया जबकि महागठबंधन की ऐसी मांग को पूरी तरह ठुकरा दिया गया।

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