आप की दिल्ली विजय की राह में रोड़ा अटका सकती है कांग्रेस
दिल्ली विधानसभा चुनाव में सत्ता पर फिर से काबिज होकर हैट्रिक लगाने की तैयारी में जुटी आम आदमी पार्टी की राह में भारतीय जनता पार्टी के साथ-साथ कांग्रेस भी रोड़ा बनती नजर आ रही है।
मनीष श्रीवास्तव
लखनऊ: दिल्ली विधानसभा चुनाव में सत्ता पर फिर से काबिज होकर हैट्रिक लगाने की तैयारी में जुटी आम आदमी पार्टी की राह में भारतीय जनता पार्टी के साथ-साथ कांग्रेस भी रोड़ा बनती नजर आ रही है। माना जा रहा है कि अगर दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपना प्रदर्शन सुधार लिया और वह 25 फीसदी वोट हासिल करने में कामयाब रही तो आम आदमी पार्टी के लिए विधानसभा की राह मुश्किल हो जायेगी।
दरअसल, दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस को मिलने वाला वोटबैंक एक ही है। यानी आम आदमी पार्टी को ज्यादा वोट मिलते है तो कांग्रेस के वोट कम होते है। दिल्ली के पिछले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 54.34 प्रतिशत वोट मिले थे और कांग्रेस को 9.65 प्रतिशत वोट मिले थे। जबकि भाजपा को 32.19 प्रतिशत मत मिले थे।
इससे पहले वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में पहली बार चुनाव मैदान में उतरी आम आदमी पार्टी को 29 प्रतिशत वोट मिला था और कांग्रेस को 24.55 प्रतिशत वोट प्राप्त हुआ था। जबकि इस विधानसभा चुनाव में भाजपा को 33.09 प्रतिशत मत मिला था। साफ है कि बीते दोनों विधानसभा चुनावों में भाजपा को मिले मतों में कोई खास कमी नहीं आयी लेकिन कांग्रेस के मत में कमी से आप का मत प्रतिशत बढ़ गया।
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आम आदमी पार्टी के आस्तित्व में आने से पहले की स्थिति देखे तो वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने थी। इस चुनाव में भाजपा को 36.37 प्रतिशत वोटों के साथ 23 सीटे तो कांग्रेस को 40.31 प्रतिशत मतो के साथ 43 सीटे मिली थी।
मौजूदा विधानसभा चुनाव में देखे तो कई राज्यों में कांग्रेस अब पहले से ज्यादा मजबूत हो गई है। दिल्ली के पड़ोसी राज्य हरियाणा में उसकी सियासी हैसियत बेहतर हुई है और झारखंड तथा महाराष्ट्र में भाजपा से सत्ता छीन कर उसने यह संदेश भी दे दिया है कि भाजपा से वह ही निपट सकती है।
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इसके साथ ही कांग्रेस ने दिल्ली में पंजाबी समुदाय के सुभाष चोपड़ा और बिहारी समुदाय के कीर्ति आजाद को शामिल करके जहां जातीय व क्षेत्रीय गणित साधना शुरू कर दिया है तो वहीं सीएए जैसे मुद्दों पर मुखर व सक्रिय विरोध करके मुस्लिम समुदाय को भी अपने पाले में करने की जुगत भिड़ाई है।
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अगर कांग्रेस अपने मंसूबों को अमली जामा पहनाने में कामयाब रहती है तो इसका सीधा नुकसान आम आदमी पार्टी को होगा। अहम बात यह है कि भाजपा भी यहीं चाहती है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस मजबूती के साथ लड़ कर चुनाव को त्रिकोणीय बना दे।