भाजपा विधायक की दो टूकः पार्टी अनुशासन का मतलब गुलामी नहीं
चार बार लगातार जीत के बाद भी योगी सरकार में मंत्री नहीं बनाये जाने को लेकर भी कई सवाल उठते हैं। फेसबुक पोस्ट को पढ़कर लगता है कि वह विपक्ष के विधायक हैं।
कभी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चुनाव का संचालन करने वाले डॉ राधा मोहन दास अग्रवाल गोरखपुर शहर सीट से लगातार चौथी बार विधायक हैं। योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के घोषित प्रत्याशी शिव प्रताप शुक्ला के खिलाफ बगावत कर डॉ राधा मोहन दास अग्रवाल को न सिर्फ चुनावी मैदान में उतारा बल्कि जितवा भी लिया था। तबसे डॉ राधा मोहन दास अग्रवाल भाजपा के सिंबल पर लगातार विधानसभा चुनाव जीत रहे हैं।
उनका दावा है कि जीत का बढ़ता अंतर उनकी लोकप्रियता और बेहतर कामकाज का सर्टिफिकेट है। पेशे से बाल रोग विशेषज्ञ डॉ राधा मोहन दास अग्रवाल पर आरोप लगता है कि प्रशासनिक अधिकारी उनसे नाखुश रहते हैं। चार बार लगातार जीत के बाद भी योगी सरकार में मंत्री नहीं बनाये जाने को लेकर भी कई सवाल उठते हैं। उनकी सादगी को लेकर सवाल हैं तो उनके फेसबुक पोस्ट को पढ़कर लगता है कि वह विपक्ष के विधायक हैं। ऐसे ही जुड़े सवालों को लेकर हमारी संवाददाता पूर्णिमा श्रीवास्तव ने नगर विधायक से लंबी बात की। प्रस्तुत है लंबी बातचीत के प्रमुख अंश -
राजनीति में कब और कैसे आये?
राजनीति में वैसे तो मैं छात्र जीवन से ही सक्रिय हूँ। लेकिन सक्रिय राजनीति में लाने का श्रेय गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ को जाता है। वर्ष 1998 में योगी आदित्यनाथ के संसदीय चुनाव का संचालक बना। इसके बाद उन्होंने वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में हिन्दू महासभा के बैनर तले भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव में उतारा। ऐतिहासिक मतों से जीत दर्ज की।
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इसके बाद से भाजपा के टिकट पर लगातार जीत रहा हूं। इसके पहले वर्ष 1974 में एमबीबीएस करने के दौरान आरएसएस का स्वयंसेवक बना। बीएचयू में छात्रसंघ के उपाध्यक्ष का चुनाव लड़ा। इस दौरान जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन का अध्यक्ष बना। गोरखपुर में आया तो स्वदेशी जागरण मंच, कश्मीर बचाओ मंच और प्रज्ञा प्रभाव से जुड़कर सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहा।
राजनीति जीवन नहीं, जीवन का छोटा अंग
राधा मोहन दास ने जीवन में राजनीति का क्या महत्व है? के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि राजनीति जीवन से अलग नहीं होती है। व्यक्ति स्वभाव से राजनीतिक होता है। तभी वह हर मुद्दे पर हस्तक्षेप करता है। मैं भी चुनाव लड़ने के पहले मुद्दों पर हस्तक्षेप करता था। देखिये, राजनीति जीवन नहीं है। यह जीवन का छोटा का अंग है। जीवन की सम्पूर्णता प्राप्त करनी है तो राजनीति करना आवश्यक है।
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हर नागरिक को राजनीति करनी चाहिए। सबसे बड़ी समस्या है कि लोग राजनीति को पाप समझते हैं, और वोट देने भी जाते हैं। पाप है तो वोट देने नहीं जाए। हर व्यक्ति सार्थक राजनीति करता तो देश की राजनीति की दशा-दिशा ही कुछ और होती। अच्छे लोग जगह छोड़ देते हैं तो भ्रष्ट, जातिवादी इसपर कब्जा कर लेते हैं। अच्छे लोगों की निष्क्रियता का प्रतिफल होती है भ्रष्ट राजनीति।
मीडिया न हो तो चुनाव काफी सस्ते
चुनाव में होने वाले अथाह खर्च पर विधायक ने कहा कि चुनाव महंगे होते हैं, मैंने इसे कभी महसूस नहीं किया। हकीकत यह है कि मीडिया न हो तो चुनाव काफी सस्ते हो जाएं। अखबारों में विज्ञापन देने के सिवा मेरा कोई खर्च नहीं है। पार्टी जितना रुपये देती है, उतने में चुनाव जीत जाता हूं। चुनाव जीतने के लिए प्रत्याशी को पैसा खर्च करना पड़े यह शर्मनाक है। ऐसी स्थिति में नेता को आत्महत्या कर लेनी चाहिए। मैने एक रुपये भी विधायक बनने के लिए खर्च नहीं किया है। ब्रह्मभोज, मुंडन, विवाह आदि समारोहों में जाता हूं लेकिन एक रुपये भी नहीं देता हूं।
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इसे लेकर लोगों की मुझसे उम्मीदें भी नहीं होती हैं। इसके बाद भी रिकार्ड मतों से जीता। घर पर बैठकर 1.22 लाख से अधिक वोट से चुनाव जीत गया। राजनीति जिनके लिए पेशा होगी वह निवेश करेंगे। जीवन का हिस्सा राजनीति को मानेंगे तो एक रुपये खर्च करने की जरूरत नहीं होगी। कोई कह दे कि राधा मोहन को मैने एक रुपये दिया है। नागरिकों का काम करने के लिए रुपये नहीं लिया। विधायक निधि से सड़कें बनती हैं तो 100 रुपये में 100 रुपये खर्च होते हैं। राजनीति करने वाले अच्छे खराब होते हैं, राजनीति खराब नहीं होती है।
चुनाव आयोग नहीं चाहता ईमानदारी से हो चुनाव
चुनाव सुधार पर विधायक राधा मोहन ने कहा कि चुनाव आयोग नहीं चाहता है कि ईमानदारी से चुनाव हो। चुनाव आयोग सुधार के नाम पर सिर्फ नाटक और रस्मअदायगी करता है। जो मतदाता सूची हमारे पास है, वह पीपुल्स रिप्रेजेंटेशन एक्ट के खिलाफ है। इसके सुधार को लेकर दर्जनों पत्र चुनाव आयोग को भेजे गए हैं, लेकिन वह कान में तेल डालकर बैठा रहता है।
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मैं तो कहता हूँ चुनाव के दो महीने पहले ही प्रचार पर बंदिश लगा देनी चाहिए। आप सांसद या विधायक बनना चाहते हैं तो पांच साल जनता की सेवा नहीं करनी चाहिए? किसी को जाति, धर्म, गुंडई और ग्लैमर के आधार पर चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं है। ऐसे लोग सांसद, विधायक क्यों बनेंगे? चुनाव आयोग सुधार की सिर्फ नौटंकी करता है। सच यह है कि चुनाव सुधार हो जाएंगे तो आयोग की नौटंकी खत्म हो जाएगी।
जनता की लड़ाई हमेशा लड़ूंगा
मुझे जनता की अपेक्षाओं को लेकर कोई दिक्कत नहीं होती। मैं जनता की अपेक्षाओं को अस्वीकार और नकारने का साहस नहीं कर सकता। हाँ! मैं उनके गलत काम की सिफारिश को इंकार करता हूं। सत्ता और विपक्ष का विधायक होना एक भ्रम है। विधायक विधायक होता है। सत्ता मतलब विधायक नहीं होता, सत्ता का मतलब मंत्रीपरिषद होता है। मंत्री सत्ता का होता है, लेकिन विधायक जनता का होता है। विधायक यह कहकर नहीं बच सकता कि मेरी सरकार नहीं है, काम नहीं करुंगा।
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यहाँ यह भी सही है कि मैं जनप्रतिनिधि हूं, सरकार नहीं हूं। मुझे जनता की लड़ाई लड़नी पड़ेगी, वरना त्याग पत्र देना होगा। घुटना टेक मीडिया को लगता है कि जनता की लड़ाई लड़ना सरकार का विरोध है। वास्तविक सत्ता का विधायक वही है, जो सरकार तक आम लोगों की पीड़ा को पहुँचाने का माध्यम बने। विधायक सरकार के आंख, कान और नाक होते हैं। जनता से मेरी अपेक्षा है कि वह सत्ता की चाभी नेताओं को न सौंपे। उसे घोड़ा समझे। उसकी सवारी करना सीखा। नेताओं के लिए असली लोकतंत्र जनता की लड़ाई लड़ना है।
पार्टी अनुशासन का मतलब गुलामी नहीं
भाजपा विधायक से जब दल बदल के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा देखिये, दलबदल से अधिक घृणात्मक कार्य कुछ नहीं हो सकता है। आप भले ही लोकप्रिय हों, जिस पार्टी के टिकट पर चुने गए हैं, उससे आपकी बाध्यता है। जो वोट आपको मिला है वह आप का है या फिर पार्टी का, इसे कोई डंके की चोट पर तय नहीं कर सकता है। ऐसे में यदि किसी को पार्टी से निष्ठा नहीं है तो उसे तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए।
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साथ ही यह भी कहूंगा कि पार्टी अनुशासन का मतलब गुलामी नहीं है। पार्टी के व्हिप और संगठन का काम करना चाहिए। पार्टी के व्हिप से असहमति है तो पार्टी में अपनी बात रखे। किसी भी व्यक्ति को पांच साल तक दलबदल करने का अधिकार नहीं है। भाजपा में 100 फीसदी आंतरिक लोकतंत्र है। पार्टी हमें जनता के बीच नीतियों के प्रचार प्रसार के लिए भेजती है।
मेरा काम गलत काम का विरोध करना
अधिकारियों से असहमति पर विधायक ने कहा प्रशासनिक अधिकारी किसी पार्टी या दल के नहीं होते हैं। यदि कोई विधायक अधिकारी का विरोध नहीं करता है तो इसका साफ मतलब है कि वह प्रशासन के भ्रष्टाचार का हिस्सा है। मेरी उपलब्धियां नागरिकों से पूछनी चाहिए। मैने चार चुनाव जीते हैं। लगातार मतों का अंतर बढ़ा है। काम करता हूं, यह जनता जानती है। तालाब बने मोहल्लों को देखकर दुख होता है। नगर निगम अपने दायित्यों का निवर्हन नहीं कर रहा है।
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लखनऊ फोन कर बताया हूं कि शहर में नागरिकों की स्थिति नारकीय है। नागरिक महापौर और पार्षद का अलग से चुनाव करते हैं। मैं महापौर और पार्षदों का अधिकार नहीं छीन सकता हूं। नगर निगम का 300 करोड़ रुपये का बजट है। जलनिकासी, बिजली, सड़क का काम नगर निगम का है। मेरा काम गलत काम का विरोध करना है, जो मैं करता हूं।
विधायक निधि जनता तक पहुंचने का माध्यम
विधायक निधि के बारे में विधायक राधा मोहन ने कहा कि विधायक निधि विकास का सबसे बेहतर माध्यम है। प्रदेश में सबसे बेहतर निधि का उपयोग मैं करता हूं। मेरी जैसी सीसी सड़क नगर निगम, जीडीए और पीडब्ल्यूडी नहीं दे सकता। विधायक निधि जनता तक पहुंचने का माध्यम है। मैं सीसी सड़कों का लोकार्पण नहीं करता, सिर्फ शिलान्यास करता हूं। निर्माण के पहले पर्चे बांटता हूं। विधायक निधि को समाज बदलने का शस्त्र मानता हूं। नागरिक नगर निगम की सड़क नहीं, मेरी सीसी सड़क चाहते हैं। कोविड 19 में विधायक निधि रोकने का विरोध मेरे नागरिक कर रहे हैं।
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सरकार निधि ले ले इसका कोई विरोध नहीं है, लेकिन वह काम की गुणवत्ता सुनिश्चित करे। नौकरशाही से निजी काम, गलत काम, ठेका पट्टा नहीं कराएंगे तो वह घुटने टेक कर चलेगी। नौकरशाही पर राज करने के लिए आपको घुड़सवार होना पड़ेगा। घोड़े से अधिक ताकतवर होने के लिए नैतिक रूप से मजबूत होना पड़ेगा। मुझे 18 साल में नौकरशाही से कोई दिक्कत नहीं हुई। उन्हें सही काम सुनना पड़ेगा, वे सुनते भी हैं। रोज नई चुनौतियां आती हैं। सभी को मिलकर आगे बढ़ना होगा।
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इंजीनियर या आईपीएस का विरोध या असहमति मेरे लिए तमगा है। मैं अधिकारी का नहीं, जनता का प्रतिनिधि हूं। अधिकारी तो आते-जाते हैं। अधिकारी नहीं जनता राज करने के लिए है। जो जनता का नहीं है उसका इलाज करुंगा। गलत अधिकारियों से नौकरशाही लड़ना चाहिए। कोरोना को लेकर सुविधाओं के बारे में सरकार को बताता रहा हूं। इंसेफेलाइटिस पर मेरी सरकार ने नियंत्रण किया है। 4000 की जगह सिर्फ 28 मौतें हुई है। कोरोना को लेकर भी समय आने पर सरकार की तरफ से जवाब मिलेगा।
कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना
अपने व्यक्तिगत जीवन के बारे में बात करते हुए विधायक राधा मोहन ने बताया कि परिवार और चिकित्सकीय कार्य में काफी समय बिताता हूं। 14 साल तक बेटी को स्कूल छोड़ने जाता था, और लेकर आता था। जब वह एमबीबीएस कर रही थी तो शनिवार और रविवार को उसे पढ़ाने लखनऊ चला जाता था। मैंने पिता के दायित्व को भी बखूबी निभाया है। यही नहीं, रात के 12 बजे लोग बीमार बच्चों को लेकर आते हैं तो उन्हें चिकित्सकीय परामर्श देता हूं। शहर में सबसे कम फीस लेने वाला चिकित्सक हूं।
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परिवार और पेशे के बीच राजनीति बोनस है। साइकिल से चलने और रिक्शा से विधानसभा जाने पर जो लोग तरह तरह की बात करते हैं तो मैं यही कहूँगा कि कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना। जिनकी राजनीति मेरी सादगी से प्रभावित होती है, जो करोड़ों खर्च कर मुझे चुनाव में नहीं हरा पाते हैं, वे ही इस तरह का कुप्रचार करते हैं। ऐसे निराश लोग पार्टी के भीतर भी हैं, और बाहर भी। मेरे खिलाफ वोट लेना है तो उन्हें मेरी बुराई करनी पड़ेगी।
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बीजेपी विधायक ने कहा जब सीसी रोड बनवाता हूं और 80 साल के बुजुर्ग को उसपर मजबूती के लिए पानी डालते देखता हूं, तो खुशी होती है। नौजवान अपनी पत्नी के साथ सड़क पर मिलते हैं तो वह अपनी पत्नी से मुझे नमस्कार करने को कहते हैं। मुझे खुशी होती है कि अपने नागरिकों के किचेन तक मैं दखल रखता हूं। दुख तब होता है जब जनता की लड़ाई लड़ता हूं तो कुछ नासमझ मीडिया के लोग सवाल करते हैं कि आप सत्ता के विधायक होते हुए जनता की लड़ाई क्यो लड़ते है।