गोरखपुर: राज्‍यपाल ने शिक्षिका के रूप में छात्राओं को दिया गुरुमंत्र

राज्‍यपाल आनंदी बेन पटेल ने शिक्षिका के रूप में छात्-छात्राओं को गुरुमंत्र दिया। वहीं सीएम योगी आदित्‍यनाथ ने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के शिक्षा के क्षेत्र में योगदान को बताते हुए कहा कि परिषद ने महिला शिक्षा को आगे बढ़ाया और देश के पहले महिला कालेज की नींव रखी।

Update:2019-12-10 19:29 IST

गोरखपुर: गोरक्षपीठ द्वारा संचालित महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के संस्थापक सप्ताह समारोह के समापन के अवसर पर मुख्य महोत्सव एवं पुरस्कार वितरण कार्यक्रम गोरखनाथ मंदिर के ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ स्मृति सभागार में आयोजित किया गया। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समारोह में पहुंचे।

राज्‍यपाल आनंदी बेन पटेल ने शिक्षिका के रूप में छात्-छात्राओं को गुरुमंत्र दिया। वहीं सीएम योगी आदित्‍यनाथ ने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के शिक्षा के क्षेत्र में योगदान को बताते हुए कहा कि परिषद ने महिला शिक्षा को आगे बढ़ाया और देश के पहले महिला कालेज की नींव रखी।

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अभिभावक के रूप में श्रीमती आनंदी बेन पटेल का मार्गदर्शन हमें मिलता रहा

गोरखनाथ मंदिर के ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ स्‍मृति सभागार में आयोजित मुख्‍य समारोह में राज्यपाल आनन्दीबेन पटेल और मुख्यमंत्री गोरक्षपीठाधीश्वर महन्त योगी आदित्यनाथ ने 715 छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत किया। इसके पहले उन्‍होंने गोरखनाथ मंदिर में पूजन-अर्चन किया। इस अवसर पर सीएम योगी आदित्‍यनाथ ने अपने उद्बोधन में कहा कि हम सब जानते हैं कि यूपी के राज्यपाल और प्रथम नागरिक के साथ अभिभावक के रूप में श्रीमती आनंदी बेन पटेल का मार्गदर्शन हम सभी को प्राप्त हो रहा है।

शिक्षा के क्षेत्र में भी मार्गदर्शन प्राप्त हो रहा है। शिक्षा के साथ राजनीति में भी उनका लंबा अनुभव है। वे शिक्षक के दायित्‍वों के निर्वहन के साथ राजनतिक क्षेत्र में कई महत्‍वपूर्ण पदों का निर्वहन कर चुकी हैं।

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1932 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की हुई थी स्थापना

योगी आदित्‍यनाथ ने कहा कि जब कोई स्वाभिमानी समाज अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए आगे बढ़ता है तो आजादी मिलने में समय नहीं लगता है। संत समाज भी उस वक्त आजादी के लिए चिंतित था। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी द्वारा शिक्षा की अलख जगाने के लिए किया गया था। यही वजह है कि उन्होंने 1932 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की।

देश का पहला महिलाओं के लिए विद्यालय महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद ने खोला। गोरखपुर में विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए शिक्षा परिषद ने दो महाविद्यालयों को दान में देकर विध्वविद्यालय की स्थापना में योगदान दिया। शिक्षा के मूल्य उद्देश्यों को प्राप्त करने के उद्देश्य से अन्य जिलों में भी शिक्षण संस्थाओं का विस्तार कर रहा है।

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नेक नियति से की गई मेहनत बेकार नहीं होती है

आज मुख्य महोत्सव शिक्षण संस्थाओं के आंकलन और मेधावियों को सम्मानित करने का आयोजन होता है। हमारे कर्मों से संस्था उन्नति और अवनति की ओर जाती है। 25 वर्षों के अनुभव के साथ कह सकता हूँ कि कौन सी संस्था प्रगति और कौन अवनति की ओर जा रही है। नेक नियति से की गई मेहनत बेकार नहीं होती है। राष्ट्रपति ने पिछले वर्ष 2032 का लक्ष्य दिया था। 2032 में परिषद शताब्दी वर्ष मना रहा होगा। हम उस लक्ष्य को प्राप्त करने की ओर अग्रसर होंगे। आपके अंदर अनेक प्रतिभा है। परिश्रम का कोई मूल्य नहीं हो सकता है।

30 साल मैंने आप जैसे बच्चों के साथ बिताया-राज्‍यपाल आनंदी बेन पटेल

राज्‍यपाल आनंदी बेन पटेल ने छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज मुझे हर्ष हो रहा है कि मैं 40-50 गांव से आये हुए छात्र-छात्राओं का दर्शन कर रही हूँ। 30 साल मैंने आप जैसे बच्चों के साथ बिताया। आज फिर आज आपके सामने उपस्थित हुई हूँ। वर्षभर के आयोजनों के पुरस्कार के लिए आप यहां पर आए हैं। आज खुशी है कि सीएम योगी आदित्यनाथ के स्कूल में आने का अवसर मिला है।

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शिक्षा बच्चों के लिए जरूरी है। कक्षा 1 से 8 तक का समय उन्हें अनुशासन सीखने का होता है। पहले स्वास्थ्य की ओर ध्यान देने की जरूरत है। शारीरिक स्वस्थता के लिए हमारा भोजन, खेलकूद और पढ़ाई कैसी होनी चाहिए। इसके साथ ही रुचि कैसे जगाई जाय ये सोचना चाहिए। सबसे ज्यादा भोजन के लिए मना करने वाली लड़कियां ही होती हैं।

अलग-अलग सब्जियों में अलग-अलग पोषक तत्व होते हैं। इसे अपने भोजन में शामिल करना चाहिए। मैं विश्विद्यालय में दीक्षांत समारोह में जाती हूँ। वीसी से कहती हूँ कि बच्चों को जिला अस्पताल ले जाइए। जन्‍म लेने वाले बच्‍चे कितने कुपोषण का शिकार हैं। देखिए कि वहां राज्य सरकार कितना खर्च करती हैं। विश्विद्यालय के छात्राओं का हीमोग्लोबिन 32 से 51 प्रतिशत के कम निकला।

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पहले शिक्षा की सुविधाएं इतनी नहीं थी

उनके शारीरिक विकास पर ध्यान नहीं है। 5 प्रतिशत से 7 प्रतिशत हिमोग्लोबिन निकला। उनकी शादी की चिंता रहती है। उनके स्वास्थ्य की चिंता के लिए हीमोग्लोबिन चेक कीजिये। उसके बाद जिला अस्पताल में स्वस्थ बच्चे जन्म लेंगे। स्वास्थ्य अच्छा होगा तो मेडिकल और इंजीनियरिग में जा पाओगे।

विश्वविद्यालय में गोल्ड मेडल प्राप्त करने वाली 60 से 70 प्रतिशत लड़कियां हैं। लड़के देखते हैं कि उन्हें नहीं मिला। पहले शिक्षा की सुविधाएं इतनी नहीं थी। पढ़ने को दूर-दूर तक शिक्षा के लिए जाते थे। आज सुविधाएं मिल रही हैं। तो ज्यादा सदुपयोग की जरूरत है। आज प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है। पूरे विश्व में प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है।

जीवन में अनुशासन का बहुत महत्व है

विदेश में जाय तो आंख में आंख मिला कर कह सकें कि हमारे अंदर भी प्रतिभा हैं। ये भी चिंता का विषय है। क्योंकि पहले लड़कियां पढ़ती नहीं थी। आज पढ़ रही हैं तो लड़के पीछे हो रहे हैं। सकारात्मक प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए। लड़कियां घर का काम करती हैं। बहन भाई के लिए गर्म रोटियां तक पकाती हैं। लेकिन, लड़के रोटियां नहीं पकाती है। समान शिक्षा मिलनी चाहिये।

जीवन में अनुशासन का बहुत महत्व है। जितने महापुरुष हुए वे अनुशासन को अपनाए। सिलेबस के अलावा भी हमें पढ़ना चाहिए। ये आदत डालनी होगी। अपना काम अपने आप करने की आदत डालनी चाहिए। स्वच्छता का ध्यान रखिए। पानी को बचाना होगा। इसके लिए संकल्प लेना होगा।

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हमारे सीएम पानी बचाने के लिये गांव-गांव जाते हैं। हम लोग पानी बर्बाद करते हैं। करोड़ों बच्चों को दोनों टाइम भोजन नहीं मिलता है। अपनी थाली में भोजन न छोड़ें। यही शिक्षा है। अच्छी और बुरी आदतें बचपन से ही शुरू हो जाती है। हमें घर से ही उनके अंदर संस्कार डालना होगा। भारत एक ऐसा देश है, जहां 65 प्रतिशत युवा हैं। विश्व को युवाओं की जरूरत है। एक मौका आपको मिलने वाला है। हमें ये तय करना पड़ेगा कि वहां क्या जरूरत है। जीवन को आप आगे बढ़ाओ और आगे बढ़ ।

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