Sonbhadra News: अल्ट्रासाउंड सेंटरों को लेकर बड़ा स्कैम! बगैर रेडियोलाजिस्ट के ही ज्यादातर सेंटर संचालित, भ्रूण परीक्षण क

Sonbhadra News: यूपी के आखिरी छोर पर बसे तथा चार राज्यों से घिरे सोनभद्र में अल्ट्रासाउंड सेंटरों को लेकर एक बड़ा स्कैम संचालित होने की शुरू हुई चर्चाओं ने हड़कंप मचा दिया है।

Update:2023-07-31 20:55 IST
एक शिकायत की जांच करते नोडल डॉक्टर गुलाब शंकर यादव

Sonbhadra News: यूपी के आखिरी छोर पर बसे तथा चार राज्यों से घिरे सोनभद्र में अल्ट्रासाउंड सेंटरों को लेकर एक बड़ा स्कैम संचालित होने की शुरू हुई चर्चाओं ने हड़कंप मचा दिया है। जिले में संचालित 36 प्राइवेट अल्ट्रासाउड सेंटरों में ज्यादातर रेडियोलाजिस्ट-सोनोग्राफिस्ट के ही संचालित किए जा रहे हैं। गाइनिकोलाजिस्ट की भी तैनात शायद ही किसी सेंटर पर नजर आती है। कुछ दिन पूर्व हुई जांच में महज जिला मुख्यालय पर ही तीन सेंटर बगैर रेडियोलिस्ट या अन्य अनुमन्य विशेषज्ञ डॉक्टर के मौजूदगी के बगैर संचालित पाए जा चुके हैं।

जिले में कुल 42 अल्ट्रासाउड सेंटर पंजीकृत

भ्रूण परीक्षण के लिहाज से भी जनपद काफी संवेदनशील है। इसको देखते हुए, इस मसले पर प्रभावी कार्रवाई की मांग उठाई जा रही है। बताते चलें कि जिले में कुल 42 अल्ट्रासाउड सेंटर पंजीकृत हैं। इसमें छह जिला अस्पताल एवं अन्य चिकित्सा केंद्रों पर स्थापित हैं। वहीं 36 का निजी तौर पर संचालन किया जा रहा है। चूंकि सोनभद्र की सीमा झारखंड, बिहार, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ से सटी हुई है। साथ ही यह इलाका शैक्षिक रूप से पिछड़ा हुआ है। इसको देखते हुए, कई सेंटरों पर जब-तब भू्रूण परीक्षण की भी चर्चा होती रहती है।

पीसीपीएनडीटी एक्ट की हो रही अनदेखी

बताते हैं कि इस पर आसानी से किसी की नजर न पड़ने पाए, इसके लिए जिले की बजाय, सीमावर्ती प्रांतों से आने वालों के भ्रूण परीक्षण पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। बताते हैं कि इसको लेकर स्थानीय स्तर से पड़ोसी राज्यों तक अच्छा-खासा नेटवर्क भी बना हुआ है। बता दें कि पिछले दिनों सीएमओ डा. अश्वनी कुमार के निर्देश पर नोडल डा. गुलाबशंकर यादव की तरफ से जिला मुख्यालय पर आधा दर्जन अल्ट्रासाउड सेंटरों की भी स्थिति जांची गई थी, जिसमें तीन सेंटर बगैर रेडियोलाजिस्ट के ही संचालित पाए गए थे। यहां किसी सोनोग्राफिस्ट-गाइनिकोलाजिस्ट की भी मौजूदगी नहीं मिली थी। इसको लेकर संचालकों को नोटिस भी जारी की गई थी लेकिन पीसीपीएनडीटी एक्ट की अनदेखी कर संचालित हो रहे इन सेंटरों पर अभी तक कोई कार्रवाई अमल में नहीं आई है। चर्चाओं की मानें तो निजी क्षेत्र में महज तीन सेंटर ही ऐसे हैं, जहां रेडियोलाजिस्ट मौजूद हैं। उधर, सीएमओ डा. अश्वनी कुमार का कहना है कि जिले में बगैर विशेषज्ञ चिकित्सकों के कितने अल्ट्रासाउड सेंटर संचालित किए जा रहे हैं। इसकी जांच कराई जा रही है। किसी को भी पीसीपीएनडीटी एक्ट की अनदेखी या इससे जुड़े निर्देशों को लेकर उदासीनता की इजाजत नहीं दी जा सकती। जल्द ही ऐसे सेंटरों को सीज करने की कार्रवाई प्रारंभ की जाएगी।

जानिए क्या कहता है पीसीपीएनडीटी एक्ट

गिरते लिंगानुपात को रोकने और इसके स्तर को बेहतर बनाए रखने के लिए केंद्र की तरफ से पीसीपीएनडीटी एक्ट लागू किया गया था। इसके लिए इस अधिनियम में जन्म से पूर्व शिशु के लिंग की जांच पर प्रतिबंध लगाया गया है। साथ ही अल्ट्रासाउड सेंटर्स में जांच करने के लिए अनुभवी गाइनिकोलाजिस्ट, रेडियोलाजिस्ट के पास एमडी या सोनोग्राफी का प्रशिक्षण लेने वाले एमबीबीएस डॉक्टर की मौजूदगी अनिर्वाय की गई है।

कल की पीसीपीएनडीटी एक्ट की बैठक में उठ सकता है यह मुद्दा

जिला मुख्यालय पर मंगलवार को होने वाली पीसीपीएनडीटी एक्ट की बैठक में यह मुद्दा उठ सकता है। चूंकि खुद स्वास्थ्य महकमे की ही तरफ से जांच में जिला मुख्यालय पर बगैर रेडियोलाजिस्ट तीन बड़े और चर्चित अल्ट्रासाउड सेंटर पाए गए हैं। माना जा रहा है इस बैठक में ऐसे सेंटरों पर बड़े एक्शन का निर्णय लिया जा सकता है।

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