ट्रेन में भोजन-पानी के लिए परेशान हुए मजदूर, झेलनी पड़ीं ये परेशानियां
ज्यादातर यात्रियों ने बताया कि कहा तो गया था कि उनको ट्रेन में भोजन व पानी आदि सभी सुविधाएं मिलेंगी, लेकिन कोई भी सुविधा नहीं मिली।
कन्नौज: वैश्विक कोरोना वायरस की महामारी को लेकर चल रहे देशव्यापी लॉकडाउन में स्पेशल ट्रेन से 1315 यात्रियों को अहमदाबाद से कन्नौज लाया गया। ज्यादातर यात्रियों ने बताया कि कहा तो गया था कि उनको ट्रेन में भोजन व पानी आदि सभी सुविधाएं मिलेंगी, लेकिन कोई भी सुविधा नहीं मिली। ट्रेन का किराया भी दिया, लेकिन खाने-पीने को कुछ नहीं मिला। जो लोग अहमदाबाद से पानी की बोतलें या थर्मस लाए थे, उनका पानी भी खत्म हो गया। रेलवे स्टेशन के बाहर खड़े नगर पालिका परिषद के टैंकर से पानी पीकर कई जनपदों के लोगों ने अपनी-अपनी प्यास बुझाई।
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सिद्धार्थनगर के रहने वाले अनिल कुमार ने बताया कि ट्रेन में न तो भोजन मिला और न ही पानी की व्यवस्था थी। यहां उतरे पर ठेले से केले खरीदे, तब जाकर सुकून मिला।
अशोक कुमार ने बताया कि उनको बस्ती जाना है। टिकट खरीद कर बैठे, लेकिन टे्रन में पानी तक को तरस गए। अभी आगे कोई क्लीयर नहीं है कि अहमदाबाद जाएंगे यहा नहीं।
जयशंकर ने बताया कि इस ट्रेन से वह अहमदाबाद से यहां तक आए हैं। खाना और पानी की काफी दिक्कत हुई है। वहां पढ़ाई कर रहे थे, लॉकडाउन खत्म होने के बाद फिर जाएंगे।
बच्चा गोद में लिए रायबरेली जाने वाली अंजू ने बताया कि पति अहमदाबाद के बॉडी कॉलोनी में काम करते थे। ट्रेन में कोई सुविधा नहीं मिली है। भोजन या नाश्ता कुछ भी नहीं मिला, दिख जाता तो खरीद ही लेते।
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बस में बैठते ही फिजिकल डिस्टेंसिंग तार-तार
देशव्यापी लॉकडाउन में महामारी से बचने के लिए पहले एक मीटर की फिजिकल डिस्टेंसिंग की बात कही जा रही थी। अब दूरी का दायरा बढ़ाकर दो गज कर दिया गया है। लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा है। ट्रेन से उतरने के बाद प्लेटफार्म तक तो शारीरिक दूरी का ख्याल रहा, लेकिन उसके बाद यह नियम टूट गया। बसों में पहुंचने के बाद सामान्य दिनों में जैसे बड़ी सीट पर तीन सवारियां और छोटी सीट पर दो सवारियां बैठती थी, उसी हिसाब से गुरुवार को भी बैठी नजर आईं। दावा था कि एक बस में अधिकतम 30 यात्री ही बिठाए जाएंगे, लेकिन कई बसों में 40 यात्री तक नजर आए।
टिकट खिड़की पर थर्मल स्क्रीनिंग, पर्ची लेकर बाहर निकले
साबरमती एक्सप्रेस से उतरने के बाद यात्रियों की टिकट खिड़की पर थर्मल स्क्रीनिंग हुई। स्वास्थ्य विभाग की ओर से यहां डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ की ड्यूटी लगाई गई थी। राजस्व विभाग के कर्मी व लेखपाल भी जिम्मेदारी संभाले थे। जिनकी स्क्रीनिंग होती गई, उनको रोडवेज बसों में बैठने के लिए कह दिया गया। जिस यात्री का जितना तापमान निकला, उसे लिखकर पर्ची भी दी गई।
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बस न होने से सिद्धार्थनगर के यात्रियों ने किया इंतजार
यूपी के कई जिलों की बसे तो जीटी रोड पर खड़ी थीं, उसमें जाने वाले जिलों का नाम भी लिखा था, लेकिन सिद्धार्थनगर की ओर जाने के लिए कोई भी रोडवेज बस नहीं थी। यात्रियों को बस का इंतजार करना पड़ा। रेलवे रोड के निकट जो दुकानें बनी थीं, वहां बैठकर समय गुजारा। बाद में बस की व्यवस्था हुई तो अपने जिले के लिए यात्री रवाना हुए।
रिपोर्ट: अजय मिश्रा
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