धमाके से कांपी दुनिया: 150 लोगों के उड़े चीथड़े, कभी नहीं भूल पाएंगे मंजर

राजधानी बेरूत में हुए भयंकर धमाके ने पूरी दुनिया को हिला के रख दिया। इस धमाके में 150 लोगों की मौत हो गई और 5000 लोग जिंदगी के लिए जंग अभी भी लड़ रहे हैं।

Update: 2020-08-10 07:50 GMT
धमाके से कांपी दुनिया: 150 लोगों के उड़े चीथड़े, कभी नहीं भूल पाएंगे मंजर

बेरूत। राजधानी बेरूत में हुए भयंकर धमाके ने पूरी दुनिया को हिला के रख दिया। इस धमाके में 150 लोगों की मौत हो गई और 5000 लोग जिंदगी के लिए जंग अभी भी लड़ रहे हैं। धमाके के बाद से बेरूत का पूरा का पूरा नक्शा ही मानो बदला सा गया हो। इस भीषण धमाके में जिंदा बचकर आए लोगों ने बताया कि किस तरह से उन्होंने इस जानलेवा विस्फोट से खुद को बचाया और हादसे का खुली आंखों से सामना किया। किन मुश्किल हालातों में उनकी जान बच पाई।

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धमाके के साथ खिड़कियां टूट गईं

बेरूत धमाके के चश्मदीद तौफीक नासर ने बताया कि वह अपने घर पर पापा के साथ सोफे पर बैठे हुए थे। उन्होंने कुछ आवाजें सुनीं और इसके कुछ ही सेकंड बाद धमाके के साथ खिड़कियां टूट गईं।

उन्होंने कहा कि एक तरीके से धीरे-धीरे सब कुछ टूट रहा था, शराब की बोतलें फर्श पर गिर रहीं थीं। पूरी बिल्डिंग में ऐसा लगा जैसे कोई बड़ा भयानक भूकंप आ गया हो। ये बहुत ही डरावना और भयानक था।

बताते हुए उन्होंने कहा कि हम अपने पड़ोसी के घर में कूदे, जहां एक बुजुर्ग महिला रहती हैं, उनकी ऑक्सीजन की टैंक थी, वो फंस गई थी, उसे निकालना पड़ा। वो गैस के चूल्हे पर काम कर रही थीं, उसे बंद करना था। ये एक पुरानी इमारत है, इसलिए बहुत कुछ करने को था। खैर जब सब शांत हो गया तो फिर मैंने अपने परिवार को देखा और सफाई शुरू की।

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इस हादसे का करीब से देखा मरियम नाउन

दूसरी शख्स जिसने इस हादसे का करीब से देखा मरियम नाउन। उन्होंने भी अपने डरावने अनुभव को कुछ इस तरह बयां किया। उन्होंंने कहा कि वो बेरूत के एक कैफे में अपने दोस्त के साथ थीं। तभी उनके नीचे की जमीन हिलने लगी और फिर तेज हवा चली। हमारे कान सुन्न पड़ गए। हम समझ ही नहीं क्या हो रहा।

इसके बाद उन्होंने बताया कि मुझे लगा इस्राइल ने हम पर हमला बोल दिया है। मैं जहां थी वो जगह समुद्र के पास थी तो लगा कि उसी में समा जाऊंगी। वहां लोग कैफे से बाहर की तरफ भागने लगे और हम भी अपनी कार की तरफ भागे। सभी सड़कों पर ट्रैफिक था और कांच ही कांच बिखरा पड़ा था। भगवान ने लोगों की मदद की। मेरे कान अभी भी सुन्न हैं।

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