चीन तबाही को तैयार: परमाणु हथियारों का बना रहा गोदाम, अलर्ट हुए सारे देश
महामारी के इस दौर में देशों की बिगड़ती हालत और अर्थव्यवस्था के बीच भारत, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे दुनिया के तमाम देशों से तनातनी के चलते चीन ने अपने परिमाणु हथियारों में दोगुनी बढ़ोत्तरी करके प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया है।
नई दिल्ली। महामारी के इस दौर में देशों की बिगड़ती हालत और अर्थव्यवस्था के बीच भारत, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे दुनिया के तमाम देशों से तनातनी के चलते चीन ने अपने परिमाणु हथियारों में दोगुनी बढ़ोत्तरी करके प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया है। ऐसे में अमेरिका के रक्षा मंत्रालय पेंटागन से मंगलवार को एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें कहा गया है कि इस दशक के अंत तक चीन अपनी परमाणु हथियारों के भंडार को दोगुना करने की तैयारी में लगा हुआ है।
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अलर्ट और सतर्क
सामने आई अमेरिका की इस रिपोर्ट के अनुसार, चीन इस दौरान परमाणु वॉरहेड ले जाने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइलों को भी शामिल करेगा। ये मिसाइलें अमेरिका तक मार करने में सक्षम होंगी। साथ ही China Military Power नाम की इस रिपोर्ट में पेंटागन ने एशिया के देशों को भी चीन के इस नए प्रोजेक्ट के प्रति अलर्ट और सतर्क रहने को कहा गया है।
आगे इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के परमाणु बलों का आधुनिकीकरण और विस्तार पेइचिंग के विश्व स्तर पर अधिक मुखर स्थिति विकसित करने का साधन है। चीन एशिया प्रशांत क्षेत्र में एक प्रमुख शक्ति बनने के साथ ही 2049 तक अमेरिका के बराबर या अधिक परमाणु शक्ति को बढ़ाने के अपने लक्ष्य के लिए लगातार जूझ रहा है।
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न्यूक्लियर फोर्स का लगातार आधुनिककरण और विस्तार
अमेरिका के पेंटागन से आई रिपोर्ट के अनुसार, चीन की न्यूक्लियर फोर्स अगले दशक में महत्वपूर्ण रूप से विकसित हो जाएगी। इस दौरान चीन जमीन, हवा और पानी से परमाणु हमला करने के अपने साधनों की संख्या को भी बढ़ा लेगा। फिर अगले दशक में चीन के परमाणु युद्धक भंडार कम से कम दोगुने हो जाएंगे क्योंकि चीन अपनी न्यूक्लियर फोर्स का लगातार आधुनिककरण और विस्तार कर रहा है।
लेकिन इसमें दावा किया गया है कि चीन के परमाणु हथियार दोगुने होने के बाद भी अमेरिका के परमाणु बम भंडार की तुलना में बहुत कम होंगे। हालांकि इस रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन के पास तब सक्रिय और रिजर्व भंडारों को मिलाकर 3800 वॉरहेड होंगे।
पर अमेरिका की तरह चीन के पास कोई न्यूक्लियर एयरफोर्स नहीं होगी लेकिन वह हवा से लॉन्च होने वाले न्यूक्लियर बैलिस्टिक मिसाइलों को विकसित कर इस गैप को भरने की कोशिश कर रहा है।
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हथियारों की संधि से बाहर
ऐसे में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अमेरिकी प्रशासन चीन के रणनीतिक परमाणु हथियारों को सीमित करने के लिए रूस को भी आमंत्रित कर रहा है। लेकिन इस बीच चीन ने इस बातचीत में शामिल होने से मना कर दिया है।
इस बारे में चीनी विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा है कि चीन का शस्त्रागार बातचीत की सीमा में शामिल होने के लिए बहुत छोटा है। चीन से परमाणु हथियारों को लेकर बातचीत के लिए बेताब अमेरिका खुद रूस के साथ न्यू स्टार्ट नाम के हथियारों की संधि से बाहर निकल गया है।
बता दें, अमेरिका और रूस के बीच हथियारों के बढ़ती दौड़ को रोकने के लिए हुई यह संधि फरवरी 2021 में खत्म होने वाली है। ऐसे में अगर रूस और अमेरिका इसे आगे बढ़ाने पर राजी होते हैं तो यह संधि आने वाले 5 साल के लिए ये फिर से लागू हो जाएगी।
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