बेशर्म चीन: मदद की जगह कर रहा ये गंदा काम, देशों को बेच रहा मेडिकल उपकरण   

कोरोना वायरस फैलने की शुरुआत वाले देश चीन में हालात नियंत्रण में आ गए हैं। हुबेई ही नहीं वुहान (Wuhan) शहर में भी पाबंदियां हटा दी गई हैं। ऐसे में पूरी दुनिया की नजरें चीन पर टिक गई हैं। सब जानना चाहते हैं कि उसने हालात पर कैसे काबू पाया।

Update:2020-03-29 19:35 IST

नई दिल्ली: कोरोना के कारण अब कुछ देश तो तबाही की कगार पर खड़े नजर आ रहे हैं। इनमें अमेरिका, इटली, स्‍पेन, जर्मनी, फ्रांस, ईरान की हालत सबसे ज्‍यादा खराब है। अमेरिका (US) में अब तक 1,23,780 तो इटली में 92,472 लोग संक्रमित हो चुके हैं। स्‍पेन में संक्रमितों की संख्‍या लगातार बढ़ते हुए 73,235 हो गई है।

इस बीच कोरोना वायरस फैलने की शुरुआत वाले देश चीन में हालात नियंत्रण में आ गए हैं। हुबेई ही नहीं वुहान (Wuhan) शहर में भी पाबंदियां हटा दी गई हैं। ऐसे में पूरी दुनिया की नजरें चीन पर टिक गई हैं। सब जानना चाहते हैं कि उसने हालात पर कैसे काबू पाया। साथ ही चीन उनकी कैसे मदद कर सकता है। इसका फायदा उठाते हुए अब चीन ने कोरोना वायरस को काबू करने के लिए मदद के नाम पर कारोबार (Trade) करना शुरू कर दिया है।

चीन के बेचे काफी उपकरण घटिया गुणवत्‍ता वाले निकले

चीन ने मदद के नाम पर कमाई की शुरुआत स्‍पेन के साथ बचाव और मेडिकल उपकरणों का बड़ा सौदा करके की है।चीन ने स्‍पेन को 3,456 करोड़ रुपये के मेडिकल उपकरण बेचे हैं। हद तो ये है कि इसमें काफी मैटेरियल घटिया दर्जे का है। विदेश मामलों के विशेषज्ञ गॉर्डन चांग का कहना है, 'चीन अपने पैसे, मेडिकल उपकरण और डॉक्‍टर व पैरा मेडिकल स्‍टाफ का इस्‍तेमाल दुनिया को ये दिखाने में कर रहा है कि जिस समय अमेरिका (America) कोरोना वायरस को अपनी सीमाओं में रोकने में नाकाम हो गया है, वहीं वो अमेरिका के सबसे करीबी देशों की मदद कर रहा है। इस समय स्‍पेन, इटली (Italy), फ्रांस (France) और जापान (Japan) जैसे अमेरिका के करीबी देश मदद के लिए चीन की ओर देख रहे हैं।

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'वैश्विक महामारी के दौर को बेकार नहीं जाने देना चाहता चीन'

अटलांटिक काउंसिल के यूरेशिया सेंटर में सीनियर फेलो दिमितर बेचेव का कहना है कि चीन वैश्विक महामारी के इस दौर को बेकार नहीं जाने देना चाहता है।उनका कहना है कि चीन पर इस वैश्विक महामारी को पैदा करने और फैलाने को लेकर तरह-तरह के आरोप लग रहे हैं।ऐसे में वह अपने प्रति लोगों का नजरिया बदलने के साथ ही मुनाफ कमाने में भी जुट गया है।

मौजूदा समय में इसके लिए इससे बेहतर विकल्‍प कुछ नहीं हो सकता है कि हर देश में चीन के मेडिकल उपकरण और डॉक्‍टरों के दल लोगों को COVID-19 से बचाते हुए नजर आएं। चीन हमें ये दिखाना चाहता है कि वह पूरी दुनिया में कैसे इस महामारी से निपटता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, चांग का कहना है कि चीन दुनिया को ये दिखाने की कोशिश कर रहा है कि वह मेडिकल उपकरणों को दान कर रहा है, जबकि असल में ऐसा नहीं है। दरअसल, जिन उपकरणों को वो दान (Donation) में दिया हुआ दिखा रहा है, वो सभी उपकरण संबंधित देशों को बेचे (Sold) जा रहे हैं। '

गैर-लाइसेंसी चीनी कंपनी की बनाई किट्स स्‍पेन को बेचीं

स्‍पेन में खुद स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री सैल्‍वाडोर इला ने बुधवार को घोषणा की है कि देश ने 3,456 करोड़ रुपये में चीन से 950 वेंटिलेटर, 55 लाख टेस्टिंग किट्स, 1.1 करोड़ ग्‍लब्‍स और 50 करोड़ से ज्‍यादा फेस मास्‍क खरीद लिए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, मेडिकल आपूर्ति पहुंचने के तुरंत बाद स्‍पेन ने घटिया क्‍वालिटी की होने के कारण 9,000 कोरोना टेस्‍ट किट (Corona test Kits) चीन को लौटा दीं। इसके बाद चीन ने ये भी स्‍वीकार किया कि उसने स्‍पेन को बेचीं टेस्‍ट किट चीनी कंपनी बायोइजी (Bioeasy) से खरीदी थीं। इस चीनी कंपनी को अभी तक कोरोना टेस्‍ट किट्स बनाने का लाइसेंस तक जारी नहीं किया गया है। इस तरह के उपकरणों पर पैसा और समय बर्बाद करना स्‍पेन के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। बता दें कि पॉजिटिव मामलों की संख्‍या बढ़ने के बाद स्‍पेन में करीब दो हफ्ते पहले ही लॉकडाउन कर दिया गया है।

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दोस्‍ती की राह सीमाएं नहीं देखती- चीन

स्‍पेन के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय के मुताबिक, अब तक इस देश में 73,235 लोगों को संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। इनमें 5,982 लोगों की मौत हो चुकी है। बीजिंग ने गुरुवार को इटली में भी अपने 300 इंटेंसिव केयर डॉक्‍टर्स का दल भेजा था। इटली में अब तक 92,472 लोग संक्रमित हुए हैं, जिनमें 10,023 लोगों की मौत हो चुकी है। इस बीच इटली ने अमेरिका से अपने समझौतों को रद्द कर दिया है। इस समय ये देश चीन, रूस (Eussia) और क्‍यूबा (Cuba) से मदद की गुहार लगा रहा है। चीन के कई दल मार्च के मध्‍य में इटली पहुंचे थे। इन्‍होंने इटली सरकार को बताया कि उनका लॉकडाउन काफी कमजोर है। इटली ने चीन से सलाह लेकर नियमों को सख्‍त किया। चीन ने इटली को जहाजों से मेडिकल आपूर्ति की। इन जहाजों पर चीन के बड़े-बड़े झंडे और बैनर लगाए गए थे। इन पर लिखा गया था, 'दोस्‍ती की राह सीमाएं नहीं देखती।'

चीन में रोबोट्स के जरिये घर-घर लोगों को दवाइयां पहुंचाई गई थीं

चीन का दावा है कि उसने कोरोना वायरस के खतरे को अपने यहां नियंत्रित कर लिया है। अब दूसरे देशों की मदद करना चाहता है।चीन की सरकार ने घोषणा की है कि वो 82 देशों को स्प्लाई किट देगी। अब स्‍पेन और इटली के अनुभवों से साफ है कि चीन तमाम मेडिकल सप्‍लाई दान में मुफ्त नहीं देने वाला है। चीन ही देश की हर मदद की पूरी कीमत वसूल करेगा। संक्रमण के दौरान चीन में रोबोट्स के जरिये घर-घर लोगों को जरूरी चीजें और दवाइयां पहुंचाई गई थीं। इसके अलावा ड्रोन्‍स के जरिये लोगों को मास्‍क लगाने और घर में रहने की सलाह दी गई थी।वहीं, लॉकडाउन में छूट देने के बाद हर व्‍यक्ति पर टेक्‍नोलॉजी के जरिये नजर रखी जा रही है। अब दुनिया भर से चीन के रोबोट्स की डिमांड आ रही है।

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रूस भी इटली में पहुंचा रहा उपकरण

रूस भी चीन से पीछे नहीं है। रूस ने भी अमेरिका के करीबी देशों को मदद भेजनी शुरू कर दी है। इटली के एक समाचार पत्र में लिखा है कि कभी भी रूस के इतने जहाज किसी नाटो देश में लैंड नहीं किए हें। चीन ने अमेरिका के करीबी फ्रांस को भी मेडिकल आपूर्ति की है। चीनी दूतावास के 18 मार्च को किए गए ट्वीट से इस आपूति के पहुंचने की पुष्टि हुई। इस आपूर्ति में फेस मास्‍क, मेडिकल ग्‍लब्‍स और प्रोटेक्टिव सूट फ्रांस पहुंचाए गए।यही नहीं, चीन जापान के बचाव में भी सामने आया।यहां चीन ने जापान के नेशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ इंफेक्शियस डिजीज को टेस्टिंग किट्स उपलब्‍ध कराईं।वहीं, 7 मार्च को इराक में भी चीन के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के 7 विशेषज्ञों का एक दल नजर आया था।

रिकार्ड तोड़ मास्‍क बना रहा चीन

चीन की सरकारी न्‍यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, बगदाद ने इन विशेषज्ञों से एक महीने तक इराक में रुककर मदद करने की गुहार लगाई है। इससे पहले अमेरिका ने भी इराक को मदद की पेशकश की थी, लेकिन वहां के शीर्ष नेता अयातुल्‍ला अली खामनेई ने इसे स्‍वीकार करने से इनकार कर दिया था। चांग का कहना है कि चेक रिपब्लिक को चीन की ओर से बेची गईं 80 फीसदी टेस्‍ट किट्स या तो खराब थीं या सही रिपोर्ट नहीं दे रही थीं। चीन इस समय हर दिन 11.6 करोड़ फेस मास्‍क बना रहा है, जो उसकी अब तक की क्षमता से 12 गुना ज्‍यादा है।ऐसे में उनकी गुणवत्‍ता को लेकर सवाल उठना लाजिमी है।

 

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