सऊदी में हमला: US से ईरान बोला, जंग के लिए तैयार, तेल की कीमतों में लगेगी आग!
सऊदी अरब के तेल ठिकानों पर हमले के बाद अमेरिका और ईरान के बीच तनाव बढ़ गया है। इसके साथ ही खाड़ी में भी संकट खड़ा हो गया है। हमले के बाद तेल उत्पादन क्षमता आधी रह गई है।
नई दिल्ली: सऊदी अरब के तेल ठिकानों पर हमले के बाद अमेरिका और ईरान के बीच तनाव बढ़ गया है। इसके साथ ही खाड़ी में भी संकट खड़ा हो गया है। हमले के बाद तेल उत्पादन क्षमता आधी रह गई है।
इन हमलों की जिम्मेदारी यमन स्थित शिया हूती विद्रोहियों ने ली है, तो सऊदी का करीबी सहयोगी अमेरिका ने ड्रोन अटैक के लिए ईरान को जिम्मेदार ठहराया है, तो ईरान ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है।
यह भी पढ़ें...अनुच्छेद 370: कश्मीर के लिए आज बड़ा दिन, SC में 8 याचिकाओं पर अहम सुनवाई
ईरानी सेना के एक सीनियर कमांडर ने तो कहा कि उनका देश अमेरिका के खिलाफ 'पूर्ण युद्ध' के लिए तैयार है। खाड़ी के मौजूदा हालात का भारत पर भी सीधा असर पड़ सकता है, क्योंकि ईरान से तेल आयात पर अमेरिकी प्रतिबंध के बाद नई दिल्ली अपनी तेल जरूरतों के लिए बहुत हद तक सऊदी अरब पर निर्भर है। हालांकि, सऊदी अरब ने तेल सप्लाई बहाल करने के लिए युद्धस्तर पर प्रयास शुरू कर दिए हैं।
सऊदी अरब के तेल ठिकानों पर यमन के हथियारबंद हूथी विद्रोही संगठन के हमले से क्रूड ऑयल की सप्लाई पर बड़े सवाल खड़े हो गए हैं। करीब 100 साल यानी एक सदी पुरानी इस इंडस्ट्री के समक्ष पहली बार आपूर्ति को लेकर इस तरह का संकट खड़ा हो गया है।
यह भी पढ़ें...60 सैलानियों से भरी नाव गोदावरी नदी में पलटी, मृतकों की संख्या 46 तक बढ़ने का डर
इस हमले की वजह से आपूर्ति में 57 लाख बैरल प्रतिदिन की कमी आई है, जो आपूर्ति का 6 फीसदी है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले समय में ग्लोबल क्रूड सप्लाई चेन के लिए यह गंभीर चुनौती है और अनियंत्रित युद्ध की स्थिति में विकट हालात पैदा हो सकते हैं।
बता दें कि शनिवार को हूथी विद्रोही संगठन ने सऊदी अरब की तेल कंपनी अरामको के अबकैक और खुराइस में स्थित तेल कुओं पर ड्रोन अटैक किए थे। तेल कंपनी अरामको दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में शामिल है।
यह भी पढ़ें...मौसम: यूपी, प. बंगाल समेत 13 राज्यों में दो दिन भारी बारिश का अलर्ट
तेहरान के खिलाफ कार्रवाई के लिए झूठ बोल रहा अमेरिका
ईरान ने अमेरिका पर आरोप लगाते हुए कहा है कि वह तेहरान के खिलाफ कार्रवाई को उचित ठहराने के लिए यह झूठ बोल रहा है। ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्बास मूसावी ने कहा है कि ऐसे निराधार और बिना सोचे-समझे लगाए गए आरोप एवं टिप्पणियां निरर्थक और समझ से परे हैं।'
मूसावी के बयान के मुताबिक सऊदी अरब के पूर्वी प्रांत के अब्कैक और खुरैस पर हुए हमलों को लेकर लगाए जा रहे आरोप, ईरान के खिलाफ कार्रवाई को उचित ठहराने के लिए हैं। उन्होंने कहा, 'ऐसी टिप्पणियां... किसी देश की छवि खराब करने के लिए खुफिया संगठनों का कुचक्र रचने और भविष्य के कदमों की रूपरेखा तैयार करने के लिए की गईं ज्यादा लगती हैं।'
यह भी पढ़ें...सऊदी अरब के तेल कुओं पर अटैक, 100 साल में पहली बार खड़ा हुआ ये बड़ा संकट
उन्होंने कहा, 'अमेरिकियों की नीति 'अधिकतम दबाव' बनाने की है और विफलताओं के कारण वे 'अधिक से अधिक झूठ' बोलने लगे हैं।
ईरानी सेना रेवलूशनरी गार्ड्स के एक सीनियर कमांडर ने अमेरिका को कड़ी चेतावनी दी है। उसने कहा कि इस्लामिक रिपब्लिक 'पूर्ण युद्ध' के लिए तैयार है।
ईरान की न्यूज एजेंसी के मुताबिक कमांडर अमीरली हाजीजादेह ने कहा, 'हर किसी को जानना चाहिए कि अमेरिका के सभी सैन्य अड्डे और एयरक्राफ्ट कैरियर ईरान से 2,000 किलोमीटर के दायरे में हैं जो हमारी मिसाइलों की जद में हैं।'
आतंकी हमले का जरूर देंगे जवाब: सऊदी अरब
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने कहा है कि आतंकी हमले के लिए जो भी जिम्मेदार होंगे, उन्हें जरूर जवाब देंगे। उन्होंने कहा कि सऊदी अरब इस 'आतंकवादी अतिक्रमण' का जवाब देना चाह रहा है और वह इसमें सक्षम है। ट्रंप ने प्रिंस सलमान से फोन पर बात की और इस हमले की निंदा की है। उनके कार्यालय वाइट हाउस ने 'ग्लोबल इकॉनमी के लिए महत्वपूर्ण इन्फ्रास्ट्रक्चर' पर हुए हमले की निंदा की।
यह भी पढ़ें...इस कार्यक्रम में एक साथ होंगे मोदी और ट्रंप, इतिहास में पहली बार होगा ऐसा
क्या ईरान के तेल ठिकानों पर भी होगा हमला?
सऊदी अरब और ईरान एक दूसरे के कट्टर विरोधी हैं। इस अमेरिका और ईरान के बीच तनाव के साथ जबानी जंग भी अपने चरम पर है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सऊदी अरब ड्रोन हमलों के जवाब में ईरान के तेल ठिकानों को भी निशाना बना सकता है। विशेषज्ञों की माने तो ऐसा होता नहीं दिख रहा है। इस बात की संभावना बेहद कम है कि सऊदी ईरान के तेल संयंत्रों पर हमला करे।
बढ़ेंगी तेल की कीमतें
सऊदी अरब के तेल ठिकानों पर हमलों के बाद कच्चे तेल की कीमत बीते चार महीने में सबसे अधिक दर्ज की गई है। जो प्रतिदिन वैश्विक तेल आपूर्ति का 5 प्रतिशत है। वैश्विक बाजार में व्यापार की शुरुआत में ब्रेंट क्रूड 19 प्रतिशत बढ़कर 71.95 डॉलर प्रति बैरल हो गया, जबकि अन्य प्रमुख बेंचमार्क, वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट 15 प्रतिशत बढ़कर 63.34 डॉलर हो गया।
बता दें कि कच्चे तेल के दाम बढ़ने के बाद भारत में लगातार पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इजाफा देखने को मिल रहा है।