बंगाल की जंग में राहुल-प्रियंका की एंट्री नहीं, निकाले जा रहे कई सियासी मायने
पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव में सबकी नजर पश्चिम बंगाल पर विशेष रूप से टिकी हुई है। इस जंग को जीतने के लिए भाजपा और तृणमूल कांग्रेस दोनों सियासी दलों ने पूरी ताकत झोंक रखी है।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में पहले चरण के मतदान की तारीख नजदीक आने के साथ ही चुनाव प्रचार चरम पर पहुंच गया है। इस चुनाव में भाजपा और टीएमसी में सीधी जंग मानी जा रही है और दोनों सियासी दलों ने पूरी ताकत झोंक रखी है। टीएमसी की ओर से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मोर्चा संभाल रखा है तो भाजपा की ओर से पीएम मोदी सहित तमाम दिग्गज बंगाल के रणक्षेत्र में उतर चुके हैं।
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सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह है कि अभी तक बंगाल के चुनाव में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की एंट्री नहीं हुई है। वामदलों के साथ गठबंधन करके चुनाव मैदान में उतरने वाली कांग्रेस के चुनाव प्रचार के लिए अभी तक प्रियंका गांधी भी राज्य के दौरे पर नहीं पहुंची हैं। कांग्रेस के इन दोनों स्टार प्रचारकों के बंगाल से दूर रहने के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।
कोई बड़ा चेहरा नहीं पहुंचा बंगाल
पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव में सबकी नजर पश्चिम बंगाल पर विशेष रूप से टिकी हुई है। इस जंग को जीतने के लिए भाजपा और तृणमूल कांग्रेस दोनों सियासी दलों ने पूरी ताकत झोंक रखी है। कांग्रेस ने इन दोनों दलों को जवाब देने के लिए वाम दलों और पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की पार्टी इंडियन सेकुलर फ्रंट के साथ गठबंधन किया है।
कांग्रेस की ओर से स्टार प्रचारकों की सूची तो जारी कर दी गई है मगर अभी तक राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने एक बार भी राज्य का दौरा नहीं किया है। राहुल और प्रियंका ही नहीं कांग्रेस का कोई और बड़ा चेहरा भी पार्टी का चुनाव प्रचार करने के लिए अभी तक पश्चिम बंगाल नहीं पहुंचा है।
असम व दक्षिणी राज्यों पर राहुल का जोर
पश्चिम बंगाल की अपेक्षा कांग्रेस नेता राहुल और प्रियंका दोनों असम और दक्षिणी राज्यों को ज्यादा महत्व दे रहे हैं। असम में कांग्रेस की चुनावी संभावनाओं को मजबूत बनाने के लिए राहुल गांधी असम के दो दिवसीय दौरे पर पहुंच गए हैं।
राहुल 19 और 20 मार्च को असम में डेरा डालेंगे और विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लेकर पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में मतदान करने की अपील करेंगे। राहुल के दौरे के बाद प्रियंका गांधी 21 और 22 मार्च को असम में कांग्रेस का चुनाव प्रचार करेंगी। राहुल और प्रियंका दोनों का यह असम का दूसरा दौरा है।
चौधरी ने अकेले संभाल रखा है मोर्चा
पश्चिम बंगाल में कांग्रेस प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी अकेले वरिष्ठ कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने संभाल रखी है। अधीर रंजन चौधरी अकेले भाजपा और टीएमसी को जवाब देने में की कोशिश में जुटे हुए हैं। पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं की ओर से अभी तक पार्टी की चुनावी फिजां बनाने की कोई कोशिश नहीं दिख रही है। यही कारण है कि पार्टी का चुनाव प्रचार जोर नहीं पकड़ पा रहा है।
सहयोगी दलों ने भी कांग्रेस को दिया झटका
वैसे विभिन्न राज्यों में कांग्रेस के सहयोगी दलों को भी बंगाल में कांग्रेस की स्थिति ज्यादा मजबूत नहीं लग रही है। यही कारण है कि सहयोगी दलों ने भी कांग्रेस को छोड़कर दीदी का समर्थन करने का एलान किया है। महाराष्ट्र में शिवसेना कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर गठबंधन की सरकार चला रही है मगर शिवसेना में बंगाल में दीदी का समर्थन करने का एलान किया है।
इसी तरह झारखंड में कांग्रेस के साथ गठबंधन सरकार चलाने वाले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी दीदी के पाले में खड़े नजर आ रहे हैं।
राजद भी दीदी के साथ
बिहार में कांग्रेस ने पिछला विधानसभा चुनाव राजद के साथ महागठबंधन बनाकर लड़ा था। राजद ने कांग्रेस को चुनाव लड़ने के लिए 70 सीटें दी थीं। हालांकि कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा था। राजद को बिहार से सटे बंगाल के इलाकों में ममता से सीट की उम्मीद थी। ममता ने राजद को एक भी सीट चुनाव लड़ने के लिए नहीं दी है।
इसके बावजूद राजद ने कांग्रेस को छोड़कर ममता बनर्जी का ही समर्थन करने का एलान किया है। इससे समझा जा सकता है कि सहयोगी दलों को भी बंगाल में कांग्रेस से ज्यादा उम्मीदें नहीं हैं।
इस कारण बना रखी है बंगाल से दूरी
सियासी जानकारों का मानना है कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस की कमजोर स्थिति को देखते हुए ही राहुल और प्रियंका जैसे दिग्गज भी बंगाल के चुनावी रण से अभी तक दूर बने हुए हैं। बाद में इसके लिए नेतृत्व को जिम्मेदार भी नहीं ठहराया जा सकेगा। बंगाल में पहले चरण का मतदान 27 मार्च को होना है।
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पहले चरण के मतदान की तारीख नजदीक आने के बावजूद राहुल और प्रियंका के बंगाल न पहुंचने के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। बंगाल की अपेक्षा कांग्रेस का नेतृत्व असम और दक्षिणी राज्यों तमिलनाडु और केरल को ज्यादा महत्व दे रहा है। जानकारों का मानना है कि स्टार प्रचारकों की कमी के कारण कांग्रेस का चुनाव प्रचार जोर पकड़ता नहीं दिख रहा है।
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