Mamata Banerjee: अल्पसंख्यक वोट बैंक को लेकर ममता हुईं सतर्क,अब खुद संभाली मंत्रालय की जिम्मेदारी
Mamata Banerjee:अल्पसंख्यक और मदरसा शिक्षा मंत्री गुलाम रब्बानी को पद से हटाते हुए ममता बनर्जी ने अल्पसंख्यक मंत्रालय की कमान खुद संभाल ली है।
Mamata Banerjee: सागरदिघी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में मिली हार के बाद ममता बनर्जी अब सतर्क हो गई हैं। अल्पसंख्यक मतों को तृणमूल कांग्रेस के साथ एकजुट रखने के लिए उन्होंने बड़ा कदम उठाया है। अल्पसंख्यक और मदरसा शिक्षा मंत्री गुलाम रब्बानी को पद से हटाते हुए ममता बनर्जी ने अल्पसंख्यक मंत्रालय की कमान खुद संभाल ली है। इसके साथ ही अल्पसंख्यक विकास बोर्ड के गठन का ऐलान भी किया गया है।
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ममता बनर्जी की ओर से उठाए गए इस कदम को डैमेज कंट्रोल के रूप में देखा जा रहा है। पश्चिम बंगाल में 2024 की सियासी जंग से पहले पंचायत चुनाव भी होने हैं। पंचायत चुनाव के दौरान ममता बनर्जी अपनी ताकत दिखाना चाहती हैं ताकि 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए मजबूत जमीन तैयार हो सके। सियासी जानकारों का मानना है कि इसी कारण उन्होंने फेरबदल का यह फैसला किया है।
उपचुनाव में मिली हार से लगा था बड़ा झटका
पश्चिम बंगाल की सागरदिघी विधानसभा सीट पर पिछले दिनों हुए उपचुनाव में टीएमसी के उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस प्रत्याशी की जीत के बाद पश्चिम बंगाल विधानसभा में पार्टी का खाता खुला था। इस उपचुनाव में हार के बाद ममता ने भाजपा, कांग्रेस और वामपंथी दलों पर जोरदार हमला बोला था और पश्चिम बंगाल में अकेले दम पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया था।
सागरदिघी में मिली हार से ममता को करारा झटका लगा था क्योंकि इस विधानसभा क्षेत्र में 60 फ़ीसदी अल्पसंख्यक आबादी है। पश्चिम बंगाल में हुए पिछले तीन विधानसभा चुनावों में मुस्लिम मतदाताओं का टीएमसी को खासा समर्थन मिलता रहा है। इस कारण ममता इस हार के बाद सतर्क हो गई हैं। उन्होंने गुलाम रब्बानी को हटाकर अल्पसंख्यक मंत्रालय की कमान खुद संभाल ली है। इसके साथ ही ताजुल हुसैन को राज्यमंत्री बनाकर अल्पसंख्यकों को पार्टी से जोड़ने की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है।
अल्पसंख्यक विकास बोर्ड बनाने का ऐलान
अल्पसंख्यक मतदाताओं को रिझाने के लिए ममता की ओर से कई और कदम भी उठाए जा रहे हैं। इसके तहत ममता की ओर से अल्पसंख्यक विकास बोर्ड बनाने का ऐलान भी किया गया है। राज्य के कानून मंत्री मलय घटक ने बताया कि इस विकास बोर्ड के जरिए अल्पसंख्यकों से जुड़ी समस्याओं का निदान करने के साथ ही उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बनाने की कोशिश भी की जाएगी। पश्चिम बंगाल में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 30 फ़ीसदी है और राज्य के विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं की भूमिका काफी प्रमुख मानी जाती रही है।
इसी कारण ममता की ओर से अल्पसंख्यक मतदाताओं को टीएमसी के साथ एकजुट रखने के लिए गंभीर प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। सागरदिघी में मिली हार के कारणों का पता भी लगाया जा रहा है। ममता बनर्जी ने पार्टी के मुस्लिम विधायकों और मंत्रियों से कहा है कि वे इस बात का पता लगाएं कि आखिरकार टीएमसी उम्मीदवार की हार किन कारणों से हुई।
पार्टी संगठन में भी हुआ बदलाव
अल्पसंख्यक विकास बोर्ड के गठन के जरिए सरकार ने अल्पसंख्यकों को रिझाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। कानून मंत्री मलय घटक को इस विकास बोर्ड के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है। उपचुनाव में मिली हार के बाद टीएमसी संगठन के साथ है ही पार्टी के माइनॉरिटी सेल भी बदलाव किया गया है। हाजी नुरुल इस्लाम की माइनॉरिटी सेल से छुट्टी कर दी गई है।
सियासी जानकारों का मानना है कि लोकसभा चुनाव से पहले ममता पंचायत चुनाव के दौरान अपनी ताकत दिखाना चाहती हैं। इसी कारण उन्होंने अल्पसंख्यकों को रिझाने की दिशा में मजबूत कदम उठाया है। आने वाले दिनों में इसका सियासी असर दिखने की संभावना जताई जा रही है।