अब बंगाल में किसान आंदोलन की एंट्री, भाजपा को सियासी नुकसान की आशंका

किसान नेताओं ने घोषणा की है कि वे चुनावी राज्य पश्चिम बंगाल में भी सभाएं करके केंद्र सरकार को घेरेंगे। किसान नेताओं ने तो यहां तक कहा कि इन सभाओं के जरिए ऐसे लोगों को चुनाव में सबक सिखाने की अपील की जाएगी

Update: 2021-02-18 04:12 GMT
अब बंगाल में किसान आंदोलन की एंट्री, भाजपा को सियासी नुकसान की आशंका (PC: social media)

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव जीतने के लिए पूरी ताकत लगाने वाली भारतीय जनता पार्टी को अब किसान संगठन राज्य में अपनी ताकत दिखाएंगे। मोदी सरकार की ओर से पारित तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ कई महीनों से आंदोलन कर रहे किसान संगठनों ने अब पश्चिम बंगाल में भाजपा को घेरने का एलान किया है।

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किसान नेताओं ने घोषणा की है कि वे चुनावी राज्य पश्चिम बंगाल में भी सभाएं करके केंद्र सरकार को घेरेंगे। किसान नेताओं ने तो यहां तक कहा कि इन सभाओं के जरिए ऐसे लोगों को चुनाव में सबक सिखाने की अपील की जाएगी जो किसानों की रोजी-रोटी छीनने की साजिश में जुटे हुए हैं।

farmer-rally (PC: social media)

गुजरात और बंगाल में भी होगी महापंचायत

किसान आंदोलन के सबसे मजबूत नेता बनकर उभरे राकेश टिकैत का कहना है कि हम पूरे देश का दौरा करेंगे। पश्चिम बंगाल इससे अछूता नहीं है। टिकैत ने गढ़ी सांपला की किसान महापंचायत ने कहा कि किसानों के मुद्दे को लेकर हमारी पूरे देश का दौरा करने की योजना है। किसान नेता महाराष्ट्र के साथ ही गुजरात और पश्चिम बंगाल भी जाएंगे और वहां भी सभा का आयोजन करेंगे।

बंगाल के किसान भी मुसीबत में

उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल के किसान भी राज्य सरकार और केंद्र सरकार की नीतियों के कारण विभिन्न समस्याओं का सामना कर रहे हैं और यही कारण है कि हमने वहां भी पंचायत आयोजित करने का फैसला किया है। बाद में मीडिया से बातचीत में टिकैत ने कहा कि हमारा पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से कोई लेना देना नहीं है।

टिकैत ने कहा कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व कर रहे 40 नेता पूरे देश का दौरा करेंगे और आंदोलन को और व्यापक बनाने की रूपरेखा तैयार करेंगे। हम सिर्फ किसानों के मुद्दों को लेकर ही वहां जाएंगे।

भाजपा को हो सकता है नुकसान

टिकैत ने भले ही किसान पंचायत के दौरान सियासी मुद्दों पर चर्चा न करने की बात कही हो मगर किसानों की पंचायत से भाजपा को ही नुकसान पहुंचने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

केंद्र सरकार की ओर से पारित नए कृषि कानूनों को लेकर किसान नेताओं का भाजपा से ही सबसे ज्यादा टकराव चल रहा है और विपक्षी दलों ने भी इसे लेकर मोदी सरकार की घेरेबंदी कर रखी है।

भाजपा की हार से सफल होगा आंदोलन

यही कारण है कि किसान संगठनों की पंचायत से विधानसभा चुनाव में भाजपा को सियासी नुकसान पहुंचने की आशंका जताई जा रही है। किसान नेताओं ने साफ तौर पर कहा है कि पंचायत के दौरान ऐसे लोगों को वोट नहीं देने की अपील की जाएगी जो किसानों की आजीविका छीनने की साजिश रच रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर पश्चिम बंगाल में भाजपा की हार होती है तो निश्चित रूप से उनका आंदोलन सफल माना जाएगा।

किसान विरोधियों को वोट न देने की अपील

हरियाणा बीकेयू के मुखिया गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने गढ़ी सांपला की महापंचायत में आक्रामक तेवर दिखाए। उन्होंने महापंचायत में मौजूद लोगों से अपील की कि पंचायत से लेकर संसद तक के चुनाव में से किसी ऐसे व्यक्ति को वोट नहीं देना चाहिए जो प्रदर्शनकारी किसानों का विरोध करता हो।

उन्होंने कहा कि किसानों की मदद न करने वाले और उनके आंदोलन का समर्थन न करने वाले चेहरों को पहचाना जाना चाहिए और ऐसे लोगों को चुनाव में वोट नहीं देना चाहिए।

माननी होगी किसानों की जायज मांगें

बाद में टिकैत के साथ मीडिया से बातचीत में भी चढ़ूनी ने भाजपा पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि हमें पता है कि भाजपा और पश्चिम बंगाल में जोरदार तरीके से प्रचार करने में जुटी हुई है, लेकिन अगर भाजपा के लोग बंगाल में हार जाते हैं तभी हमारा आंदोलन सफल होगा। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में भी काफी संख्या में खेती पर निर्भर लोग हैं और हम वहां जाकर किसानों से ऐसे लोगों को हराने की अपील करेंगे जिन्होंने किसान विरोधी रवैया अपना रखा है। उन्होंने कहा कि कोई भी सरकार लोगों से ऊपर नहीं है और सरकारों को भी किसानों की जायज मांगों को मानते हुए कृषि कानूनों को वापस लेना होगा।

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टीएमसी को हो सकता है सियासी फायदा

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव को भाजपा ने अपनी प्रतिष्ठा की लड़ाई बना रखा है और ऐसे में अगर किसान वहां भाजपा को हराने की मुहिम में जुट जाएंगे तो निश्चित रूप से पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी ने किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए केंद्र सरकार पर हमला बोला है।

उनका कहना है कि केंद्र सरकार को जल्द से जल्द किसानों की मांगें मानते हुए कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए। ममता के इस रुख के कारण तृणमूल कांग्रेस को सियासी फायदा भी मिल सकता है।

रिपोर्ट- अंशुमान तिवारी

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