कौन हैं 'पीरजादा', जिनके एक एलान से उड़ गई है बंगाल के बड़े-बड़े नेताओं की नींद
पीरजादा की उम्र 34 साल हैं और पहले उनकी गिनती पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीबी लोगों में होती थी। हालांकि कुछ वक्त से सिद्दीकी ममता के खिलाफ बयान दे रहे हैं और टीएमसी का विरोध भी कर रहे हैं।
मिदनापुर: पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को सत्ता की कुर्सी तक पहुंचाने और सिंगूर-नंदीग्राम आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाने वाले फुरफरा शरीफ दरगाह के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी आज बंगाल में आज अपनी नई पार्टी का ऐलान करेंगे।
कुछ दिनों पहले उन्होंने एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी से भी मुलाकात की थी। लंबे वक्त से सिद्दीकी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीबियों में से एक रहे हैं। तो आइए जानते हैं पीरजादा अब्बास के बारें में कुछ रोचक बातें।
पीरजादा अब्बास, अजमेर शरीफ के बाद देश की दूसरी सबसे बड़ी सूफी मजार (बंगाल के टालटोला स्थित फुरुफुरा शरीफ) के प्रमुख हैं।
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ममता बनर्जी को चुनाव जिताने में निभाई थी बड़ी भूमिका
पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की उम्र 34 साल हैं और पहले उनकी गिनती पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीबी लोगों में होती थी। हालांकि कुछ वक्त से सिद्दीकी ममता के खिलाफ बयान दे रहे हैं और टीएमसी का विरोध भी कर रहे हैं।
उन्होंने सिंगूर और नंदीग्राम आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाई थी। पीरजादा फुरफुरा शरीफ दरगाह के संस्थापक भी हैं।
बंगाल के हुगली में फुरफुरा शरीफ का विख्यात दरगाह है। दक्षिण बंगाल में इस दरगाह का विशेष दखल है। लेफ्ट फ्रंट सरकार के दौरान इसी दरगाह की मदद से ममता ने सिंगूर और नंदीग्राम जैसे दो बड़े आंदोलन किए थे।
पीरजादा अब्बास सिद्दीकी जिस फुरफुरा शरीफ दरगाह से जुड़े हैं, उसे इस मुस्लिम वोट बैंक का एक गेमचेंजर माना जाता है। पश्चिम बंगाल की सियासत में 31 फीसदी वोटर्स मुस्लिम हैं।
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पीरजादा जिस फुरफुरा शरीफ दरगाह के प्रमुख हैं, उसका 100 सीटों पर है प्रभाव
34 वर्षीय अब्बास सिद्दीकी एक समय ममता बनर्जी के मुखर समर्थक थे। मगर बीते कुछ महीनों से उन्होंने ममता बनर्जी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है।
सिद्दीकी ममता बनर्जी की सरकार पर मुस्लिमों की अनदेखी करने का आरोप लगा चुके हैं। बंगाल की करीब 100 सीटों पर फुरफुरा शरीफ दरगाह का प्रभाव है।
पीरजादा अब्बास सिद्दीकी 21 जनवरी को नई पार्टी बनाने का एलान कर चुके हैं। ऐसे में दरगाह के प्रमुख नई पार्टी बनाकर ममता बनर्जी के अलावा बीजेपी समेत कई अन्य दलों का सियासी खेल बिगाड़ सकते हैं। ममता बनर्जी के लिए पीरजादा की नाराजगी मोल लेना चुनाव में घाटे का सौदा साबित हो सकती है।
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