मैथमेटिक्स गुरु RK Srivastava के आदर्श ये शिक्षक, पदचिन्हों पर चल रचा कीर्तिमान

देश में शिक्षकों का दर्जा भगवान से भी ऊपर दिया गया है। भारत ने दुनिया को कई बड़े दार्शनिक दिये जो विश्व गुरु के रूप भी आज भी  विख्यात हैं।

Update:2020-09-25 11:55 IST
देश में शिक्षकों का दर्जा भगवान से भी ऊपर दिया गया है। भारत ने दुनिया को कई बड़े दार्शनिक दिये जो विश्व गुरु के रूप भी आज भी  विख्यात हैं।

पटना : भारत ने दुनिया को कई बड़े दार्शनिक दिये, जो विश्व गुरु के रूप में आज भी विख्यात हैं। उन महान शिक्षकों के साथ-साथ वर्तमान के भी उन शिक्षकों की बात करेंगे ।जो भारतीय इतिहास में श्रेष्ठ शिक्षकों के पदचिन्हो पर चलकर ला रहे शिक्षा में बदलाव।भारत में शिक्षकों को सर्वोच्च दर्जा प्राप्त है। आदि काल से शिक्षकों का आदर होता आया है। शिक्षक ना केवल मानव को ज्ञान प्रदान करते हैं, बल्कि एक बच्चे को उसकी ताकत और कमजोरियों की पहचान करने में भी मदद करते हैं। इससे उसे एक बेहतर इंसान बनने में मदद मिलती है। देश में शिक्षकों का दर्जा भगवान से भी ऊपर दिया गया है। भारत ने दुनिया को कई बड़े दार्शनिक दिये जो विश्व गुरु के रूप भी आज भी विख्यात हैं।

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भारत का एक गहरा इतिहास

 

जहां तक शिक्षा के क्षेत्र का संबंध है, भारत का एक गहरा इतिहास रहा है। वैसे तो पुराने समय से गुरु पूर्णिमा के दिन शिक्षक दिवस मनाया जाता रहा है।इस दिन वेद व्यास की जयंती है। महर्षि वेद व्यास ने महाभारत महाकाव्य की रचना की थी। गुरु पूर्णिमा का दिन इन्हीं को समर्पित है। वहीं, 5 सितंबर को भारत के पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली डॉ राधाकृष्णन की जयंती के दिन देशभर में शिक्षक दिवस मनाया जाता है।हमारे देश के बहुत से शिक्षाविदों, शिक्षकों और व्याख्याताओं के योगदान, प्रतिभा और कौशल को विश्व स्तर पर स्वीकार किया गया है।ऐसे ही कुछ महान शिक्षकों और उनके पदचिन्हों पर चलने वाले वर्तमान शिक्षको से हम आपका परिचय करवाते हैं...

सर्वपल्ली राधाकृष्णन

भारत के पूर्व राष्ट्रपति और दार्शनिक तथा शिक्षाविद डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 1888 को तमिलनाडु के एक छोटे से गांव तिरुतनी में हुआ था। राधाकृष्णन ने कलकत्ता, मैसूर, हार्वर्ड विश्वविद्यालय, हैरिस मैनचेस्टर कॉलेज और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय सहित दुनिया भर के असंख्य विश्वविद्यालयों में पढ़ाया है. 17 अप्रैल 1975 को उन्होंने देह छोड़ दी।

 

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डॉ एपीजे अब्दुल कलाम

-भारत के 'मिसाइल मैन' कहे जाने वाले पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने हमेशा चाहा कि उनको एक अच्छे शिक्षक के तौर पर याद किया जाए। पढ़ाने का उनको जुनून था। उनका निधन 27 जुलाई 2015 को आईआईएम शिलॉन्ग में पढ़ाते समय ही हुआ था ।डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को धनुषकोडी, रामेश्वरम, तमिलनाडु, भारत में हुआ था।उनकी जयंती को विश्व छात्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।

 

आचार्य चाणक्य

आचार्य चाणक्य महान शाषक चंद्रगुप्त मौर्य के महामंत्री और गुरु थे।वे 'कौटिल्य' के नाम से भी विख्यात हैं।वे तक्षशिला विश्वविद्यालय के आचार्य थे, उन्होंने मुख्यत: भील और किरात राजकुमारों को प्रशिक्षण दिया।उन्होंने नंदवंश का नाश करके चन्द्रगुप्त मौर्य को राजा बनाया ।उन्होंने राजनीति, अर्थनीति, कृषि, समाजनीति आदि के कई महान ग्रंथों की रचना की. अर्थशास्त्र मौर्यकालीन भारतीय समाज का दर्पण माना जाता है।

 

स्वामी दयानंद सरस्वती

 

महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती आधुनिक भारत के महान चिंतक, समाज-सुधारक, अखंड ब्रह्मचारी और आर्य समाज के संस्थापक थे। उनके बचपन का नाम मूलशंकर था। उन्होंने वेदों के प्रचार और आर्यावर्त को स्वतंत्रता दिलाने के लिए मुंबई में आर्य समाज की स्थापना की, वे एक संन्यासी तथा एक चिंतक थे।उन्होंने वेदों की सत्ता को सदा सर्वोपरि माना. वेदों की ओर लौटो यह उनका प्रमुख नारा था. स्वामी दयानंद ने वेदों का भाष्य किया इसलिए उन्हें 'ऋषि' कहा जाता है।उन्होंने कर्म सिद्धांत, पुनर्जन्म, ब्रह्मचर्य तथा सन्यास को अपने दर्शन के चार स्तम्भ बनाये।

 

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रवींद्रनाथ टैगोर

रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार, दार्शनिक और भारतीय साहित्य के नोबल पुरस्कार विजेता हैं। उन्हें गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है। बांग्ला साहित्य के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नयी जान फूंकने वाले युगदृष्टा थे। वे एशिया के प्रथम नोबेल पुरस्कार से सम्मानित व्यक्ति हैं।वे एकमात्र कवि हैं, जिसकी दो रचनाएं दो देशों का राष्ट्रगान बनीं. भारत का राष्ट्र-गान 'जन गण मन' और बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान 'आमार सोनार बांग्ला' गुरुदेव की ही रचनाएं हैं।

 

 

 

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सावित्रीबाई फुले

 

सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 में हुआ था। वे भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारिका एवं मराठी कवियित्री थीं। उन्होंने अपने पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले के साथ मिलकर स्त्री अधिकारों एवं शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए।वे प्रथम महिला शिक्षिका थीं।उन्हें आधुनिक मराठी काव्य का अग्रदूत माना जाता है।1852 में उन्होंने बालिकाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की. सावित्रीबाई फुले भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थीं।उनको महिलाओं और दलित जातियों को शिक्षित करने के प्रयासों के लिए जाना जाता है।

 

स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 में हुआ था।वे वेद वेदांत के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। उनका वास्तविक नाम नरेंद्र नाथ दत्त था। उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था।भारत का आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदांत दर्शन अमेरिका और यूरोप के हर एक देश में स्वामी विवेकानंद के कारण ही पहुंचा। उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी जो आज भी अपना काम कर रहा है।वे रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे।कलकत्ता के एक कुलीन बंगाली कायस्थ परिवार में जन्मे विवेकानंद आध्यात्मिकता की ओर झुके हुए थे।

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मुंशी प्रेमचंद

धनपत राय श्रीवास्तव का जन्म 31 जुलाई 1880 में हुआ था, आगे चलकर ये प्रेमचंद के नाम से विख्यात हुए. वे हिंदी और उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार एवं विचारक थे। उन्होंने सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, गोदान आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा आदि तीन सौ से अधिक कहानियां लिखीं उनमें से अधिकांश हिंदी तथा उर्दू दोनों भाषाओं में प्रकाशित हुईं जीवन के अंतिम दिनों तक वे साहित्य सृजन में लगे रहे ।महाजनी सभ्यता उनका अंतिम निबंध, साहित्य का उद्देश्य अंतिम व्याख्यान, कफन अंतिम कहानी, गोदान अंतिम पूर्ण उपन्यास तथा मंगलसूत्र अंतिम अपूर्ण उपन्यास माना जाता है।

आज भी इन के पद चिह्नों पर चलते हैं ये शिक्षक

इन महान शिक्षकों को रोल मॉडल मानने वाले कुछ भारत के वर्तमान शिक्षकों से भी आपको रुबरु करवाते हैं, उन शिक्षकों की बात करेंगे जो भारतीय इतिहास में श्रेष्ठ शिक्षकों के पदचिन्हों पर चलकर ला रहे शिक्षा में बदलाव।

 

बाबर अली

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के एक छोटे-से गांव में रहने वाले बाबर अली ने उस उम्र से शिक्षक की भूमिका निभानी शुरू कर दी, जिस उम्र में लोग खुद पढ़ना-लिखना सीखते हैं। बाबर अली 9 वर्ष की उम्र से लोगों को पढ़ा रहे हैं। आज 23 साल के हो चुके बाबर अली किसी तरह से बनाए गए अपने स्कूल में 300 से ज्यादा गरीब बच्चों को पढ़ा रहे हैं। इस काम के लिए उन्होंने 6 शिक्षकों को भी रखा है।

 

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आदित्य कुमार

 

'साइकिल गुरुजी' के नाम से मशहूर साइंस ग्रेजुएट आदित्य कुमार शिक्षा के सच्चे वाहक और प्रसारक हैं। ये शिक्षा को उन जगहों तक पहुंचाते हैं, जहां स्कूलों की पहुंच नहीं। आदित्य हर रोज अपनी साइकिल पर सवार होकर 60-65 किमी सफर करके लखनऊ के आसपास के इलाकों में झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले गरीब बच्चों को पढ़ाते हैं। स्वयं एक गरीब परिवार में जन्मे आदित्य 1995 से यह कार्य कर रहे हैं। आदित्य अपनी साइकिल पर ही ब्लैक बोर्ड लेकर घूमते हैं। जहां उन्हें कुछ छात्र मिलकर रोक लेते हैं, वे वहीं बैठकर पढ़ाने लगते हैं।

 

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सुपर 30 वाले आनंद कुमार

 

बिहार के पटना जिले में रहने वाले शिक्षक आनंद कुमार न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया के इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स के बीच चर्चित नाम हैं। इनका 'सुपर 30' प्रोग्राम विश्व प्रसिद्ध है। इसके तहत वे आईआईटी-जेईई के लिए ऐसे 30 मेहनती छात्रों को चुनते हैं, जो बेहद गरीब परिवार से हों। 2018 तक उनके पढ़ाए 480 छात्रों में से 422 अबतक आईआईटियन बन चुके हैं। आनंद कुमार की लोकप्रियता का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि डिस्कवरी चैनल भी उनपर डॉक्युमेंट्री बना चुका है। उन्हें विश्व प्रसिद्ध मेसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और हार्वर्ड युनिवर्सिटी से भी व्याख्यान का न्योता मिल चुका है।

 

ममता मिश्रा

सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाली शिक्षिका ममता मिश्रा के पढ़ाने के तरीके से देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने रेडियो प्रोग्राम मन की बात में उनके प्रयासों की सराहना करते हुए उनकी तारीफ की। बाद में उनकी हौसलाअफजाई करते हुए उन्हें एक पत्र भी लिखा था। वे उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के ही विकासखंड चाका स्थित एक सरकारी माध्यम परिषदीय विद्यालय में बतौर शिक्षिका सेवाएं दे रहीं हैं। आज ममता मिश्रा के सरकारी स्कूल के बच्चों को क्षेत्र के निजी स्कूल के बच्चों के बराबर आंका जाता है। हो भी क्यों न, उनके पढ़ाने का तरीका कुछ ऐसा है कि हर-एक बच्चा पढ़ाई में अव्वल है।

 

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एक रुपया में पढ़ाते हैं आरके श्रीवास्तव

बिहार के रोहतास जिला के बिक्रमगंज में रजनीकांत का आशियाना है। बिक्रमगंज से 2008 में पढाना प्रारम्भ किया था, जिसके अन्तर्गत आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों को इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की तैयारी करवाना प्रारंभ किया ,उसी दायरे से गरीब विद्यार्थियों के लिए उम्मीद की एक किरण निकलती है। कभी रजनीकांत को खुद के लिए ऐसे ही किसी गुरु की तलाश थी, लेकिन बदकिस्मती से उनकी उम्मीद पूरी नहीं हुई। घर की तंगहाली के बीच वे टीवी के ऐसे मरीज बन गए कि आईआईटी की प्रवेश परीक्षा तक नहीं दे पाए। इसके बाद शिक्षण को पेशा बना कई आईआईटियन बन रहा है।

 

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पारिश्रमिक के रूप में 1 रुपया

वर्तमान में मैथेमैटिक्स गुरू आरके श्रीवास्तव को देश की प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थाएं अतिथि शिक्षक के रूप में अपने यहा पढ़ाने के लिये बुलाते है। जिसके लिये इनका नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी दर्ज है। इसके अलावा 450+ नाइट क्लासेज ( पूरी रात लगातार 12 घंटे) गणित पढाने के लिये उनका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी दर्ज है। गूगल ब्वाय कौटिल्य पंडित के गुरु के रूप में भी देश इन्हे जानता है।

इनका नाइट क्लासेज अभियान अद्भुत, अकल्पनीय है। स्टूडेंट्स को सेल्फ स्टडी के प्रति जागरूक करने लिये 450 क्लास से अधिक बार पूरी रात लगातार 12 घंटे गणित पढ़ा चुके हैं। इनकी शैक्षणिक कार्यशैली की खबरें देश के प्रतिष्ठित अखबारों में छप चुकी हैं।

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