इस देश में भारतीयों को देखते ही डिटेंशन सेंटरों में बंद करने का आदेश, वजह जान रो देंगे
इन कामगारों में से अधिकतर तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, कश्मीर, बिहार, दिल्ली, राजस्थान, कर्नाटक, हरियाणा, पंजाब और महाराष्ट्र से हैं। नौकरी छिन जाने की वजह से भारतीय कामगारों को भीख मांगने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
नई दिल्ली: कोरोना काल में आर्थिक संकट की वजह से सऊदी अरब में बड़े पैमाने पर भारतीय कामगारों की नौकरियां छूट गई है। काम बंद होने की वजह से सैकड़ों कामगार अपने देश भारत वापस लौटकर आना चाहते हैं लेकिन वर्क परमिट के एक्सपायर होने से वे वहीं पर फंसे हुए हैं।
उनके पास जो थोड़े बहुत पैसे बचे थे वे खाने पीने में खर्च हो गये। मजबूरन उन्हें सड़कों पर भीख मांगकर अपना पेट भरना पड़ रहा है। लेकिन अफ़सोस की बात ये कि सऊदी पुलिस ने उन्हें ऐसा करने से रोक रही है।
सऊदी प्रशासन नहीं चाहता कि लोग इस तरह से खुले में सड़कों पर बैठकर भीख मांगते फिरे। जिससे उनकी बदनामी हो। इसलिए ऐसे लोगों को अब पकड़-पकड़कर जेद्दाह स्थित डिटेंशन सेंटर में डाल जा रहा है।
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यूपी, बिहार, दिल्ली और कई राज्यों के कामगार फंसे
इन कामगारों में से अधिकतर तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, कश्मीर, बिहार, दिल्ली, राजस्थान, कर्नाटक, हरियाणा, पंजाब और महाराष्ट्र से हैं। नौकरी छिन जाने की वजह से भारतीय कामगारों को भीख मांगने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
सोशल मीडिया में एक वीडियो वायरल हो रहा है। वायरल हुए वीडियो में कामगार कहते हैं कि उनका अपराध सिर्फ यही है कि उन्होंने भीख मांगी। सऊदी प्रशासन ने उनके किराए के कमरे पर जाकर उनकी पहचान मालूम की और जेद्दाह स्थित डिटेंशन सेंटर में डाल दिया।
वीडियो में ये भी बताया गया है कि डिटेंशन सेंटर के कामगारों में से उत्तर प्रदेश से 39, बिहार से 10, तेलंगाना से पांच और महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर और कर्नाटक से चार लोग हैं। एक शख्स आंध्र प्रदेश से है। कोरोना वायरस महामारी की वजह से सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था भी बुरी तरह चरमरा गई है और यहां काम कर रहे विदेशी कामगार रोजगार विहीन हो गये हैं।
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कामगारों ने वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाला
कामगारों ने इस वीडियो के जरिये अपना दर्द बयान करते हुए कहा कि वे हर तरफ से निराश होकर बैठ गये हैं। एक भारतीय कामगार ने कहा, हमने कोई भी गुनाह नहीं किया है। हम अपने हालात की वजह से भीख मांगने पर मजबूर हुए क्योंकि हमारा काम छूट गया। अब हम डिटेंशन सेंटर में पड़े हुए हैं।
एक अन्य कामगार ने कहा, हम लोग पिछले चार महीनों से बहुत कठिनाईयों का सामना कर रहे थे। हमने देखा है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और इंडोनेशिया और श्रीलंका के कामगारों को उनके देश से मदद मिल रही है और उन्हें वापस भेजा रहा है जबकि हम यहां पर फंसे हुए हैं।
वायरल हुए वीडियो में एक वर्कर कहता है, मेरा भाई गुजर चुका है और मेरी मां की हालत गंभीर है। मैं भारत वापस जाना चाहता हूं। अमजद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर, नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी और सऊदी अरब में भारतीय राजदूत आसुफ सैय्यद को 450 भारतीय मजदूरों की हालत को लेकर एक पत्र लिखा है और केंद्र सरकार से उन्हें भारत लाने में मदद की अपील की है।
2.4 लाख भारतीयों में से अभी 40,000 ही वापस लौट पाए
विदेश मंत्रालय की हेल्पलाइन प्रवासी भारतीय सहायता केंद्र ने अमजद उल्ला खान के ट्वीट पर जवाब दिया है और उनसे सभी प्रवासियों की जानकारी मांगी है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2.4 लाख भारतीयों ने भारत लौटने के लिए रजिस्टर किया था। हालांकि, अभी तक सिर्फ 40,000 भारतीय ही वापस आ पाए हैं।
वहीं इस पूरे मामले में सामाजिक कार्यकर्ता और एमबीटी नेता अमजद उल्लाह खान ने कहा, स्थानीय प्रशासन ने जांच में पाया कि इन कामगारों का वर्क परमिट एक्सपायर हो चुका है और वे अवैध रूप से रुके हुए हैं तो उन्हें डिटेंशन सेंटर में रखा गया है।
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