कृषि कानूनों पर ये राज्य ला चुके हैं प्रस्ताव, जानें कौन-कौन रहा खिलाफ

केंद्र द्वारा पास कराए गए कानूनों को बेअसर करने के लिए पंजाब, छत्तीसगढ़, राजस्थान और केरल में इन कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया गया है। ये राज्य किसानों के समर्थन में हैं और कानूनों के खिलाफ। 

Update:2021-01-12 15:10 IST
कृषि कानूनों पर ये राज्य ला चुके हैं प्रस्ताव, जानें कौन-कौन रहा खिलाफ

नई दिल्ली: केंद्र के नए कृषि कानूनों पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी मंगलवार को इन तीनों कानून के लागू होने पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने इस मसले को सुलझाने के लिए कमेटी का गठन कर दिया है, जिसमें चार लोग शामिल होंगे। इस कमेटी में भारतीय किसान यूनियन के जितेंद्र सिंह मान, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, अशोक गुलाटी (कृषि विशेषज्ञ) और अनिल शेतकारी को शामिल किया गया है।

कोर्ट ने आदेश में कही ये बात

आपको बता दें कि लंबे वक्त के बाद भी सरकार और किसानों के बीच बातचीत के जरिए कोई हल ना निकलने के चलते SC ने यह फैसला किया है। हालांकि हरीश साल्वे ने इस पर कहा है कि ये किसी पक्ष के लिए जीत नहीं है, बल्कि कानून की प्रक्रिया के जरिए जांच का प्रयास ही होगा। चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर इस समस्या का समाधान निकालना है तो कमेटी के सामने जाना होगा।

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(फोटो- सोशले मीडिया)

सरकार कानून लागू करना चाहती है, लेकिन आपको हटाना है। ऐसे में कमेटी के सामने चीजें स्पष्ट होंगी। कोर्ट ने कहा कि हमें लगता है कि कमेटी के जरिए इस समस्या का हल निकल सकता है। जाहिर है कि बीते डेढ़ महीने से इन तीनों कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन जारी है। बड़ी तादाद में किसान दिल्ली से सटी सीमाओं पर बैठकर धरना दे रहे हैं।

कई राज्य कानूनों के खिलाफ

कृषि कानूनों के पास होने के बाद से ही किसान इसके खिलाफ हैं। इन कानूनों के खिलाफ देश भर के कई राज्यों जैसे- पंजाब, महाराष्ट्र, राजस्थान में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। यही नहीं बीजेपी शासित राज्य यानी हरियाणा के भी किसान इस प्रदर्शन में शामिल हैं। हालांकि दिल्ली की सीमाओं पर पंजाब और हरियाणा के किसान बड़ी तादाद में मौजूद हैं। गौरतलब है कि इस प्रदर्शन को ना केवल नेता बल्कि अभिनेता से भी समर्थन हासिल हुआ है। केवल इतना ही नहीं विदेशों के नेताओं ने भी इस मामले में दखलअंदाजी करने की कोशिश की है।

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इन राज्यों में लाया गया कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव

वहीं कई राज्य ऐसे हैं, जहां पर इस फैसले को पूरी तरह से नाकार दिया गया, यानी इन राज्यों की सरकार ने कृषि कानूनों को लागू ना करने का फैसला किया है। केंद्र द्वारा पास कराए गए कानूनों को बेअसर करने के लिए पंजाब, छत्तीसगढ़, राजस्थान और केरल में इन कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया गया है। ये राज्य किसानों के समर्थन में हैं और कानूनों के खिलाफ।

कांग्रेस शासित पंजाब की सरकार ने 20 अक्तूबर को इन कानूनों के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पास कर तीन नए बिल पेश किए। जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP ना देने पर तीन साल की सजा और जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है। बता दें कि पंजाब सरकार शुरू से ही इन कानूनों के खिलाफ है और इन्हें वापस लेने की मांग कर रही है।

इसके बाद 27 अक्तूबर को कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ सरकार ने केंद्र की मोदी सरकार के कृषि कानूनों को निष्प्रभावी करने के लिए कृषि उपज मंडी संशोधन बिल 2020 पारित किया। ये सिलसिला यहीं खत्म नहीं हुआ, इसके बाद राजस्थान की विधानसभा में 31 अक्तूबर को इन कानूनों के खिलाफ तीन कृषि संशोधन विधेयक पेश किए गए। जिनके तहत किसानों को उत्पीड़न करने वाले आरोपी को तीन से सात साल की जेल और पांच लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान रखा गया।

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(फोटो- सोशल मीडिया)

केरल में भी लाया गया कृषि बिल के खिलाफ प्रस्ताव

इन राज्यों के बाद केरल में भी कृषि बिल के खिलाफ प्रस्ताव लाया गया। विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की मौजूदगी में सर्वसम्मति से ये प्रस्ताव पास किया गया। प्रस्ताव में किसानों की समस्या दूर करने और कानूनों को वापस लेने की बात कही गई है। उस दौरान मुख्यमंत्री विजयन ने कहा था कि अगर किसानों का आंदोलन जारी रहता है तो केरल भी गंभीर रूप से प्रभावित होगा। इसमें जरा सा भी शक नहीं है कि अगर दूसरे राज्यों से खाद्य पदार्थों की आपूर्ति बंद हुई तो राज्य को भूखा रहना होगा।

कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पेश करने वाले राज्यों में ज्यादा कांग्रेस शासित हैं। जाहिर है कि कांग्रेस शुरू से इन कानूनों के खिलाफ है और शुरुआत से ही किसानों के प्रदर्शन का समर्थन कर रही है। कांग्रेस के दिग्गज इसे लेकर कई बार केंद्र को निशाने पर ले चुकी है। इन राज्यों के अलावा दिल्ली, पश्चिम बंगाल जैसे राज्य भी केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ हैं। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने कानूनों को लागू होने पर रोक लगा दी है। साथ ही कमेटी का भी गठन कर दिया गया है, ताकि इस समस्या का समाधान हो सके।

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