धमाके से कांपेगा यूपी: मासूमों के हाथों में बारूद, चल रहा मौत का रोजगार

आतिशबाजी बनाने वालों और दुकानदारों ने स्टॉक बढ़ाना शुरू कर दिया है। जिले में पहले एक सैकड़ा से ज्यादा लोगों के पास आतिशबाजी बनाने और बेचने का लाइसेंस था, पर दो साल पहले रामसनेहीघाट के धरौली में पटाखा बनाते समय हुए विस्फोट के बाद सभी लाइसेंस निलंबित कर दिए गए थे।

Update:2020-11-06 18:27 IST
जब हमने इन बच्चों से पूछा कि वह यह काम क्यों कर रहे हैं, तो वह जवाब नहीं दे पाए। इनमें से कई नाबालिग बच्चे अपनी उम्र तक नहीम बता पाए। उनका कहना था कि वह यहां कई दिनों से काम कर रहे हैं।

लखनऊ: दिवाली नजदीक है। ऐसे में आतिशबाजी बनाने वालों और दुकानदारों ने स्टॉक बढ़ाना शुरू कर दिया है। जिले में पहले एक सैकड़ा से ज्यादा लोगों के पास आतिशबाजी बनाने और बेचने का लाइसेंस था, पर दो साल पहले रामसनेहीघाट के धरौली में पटाखा बनाते समय हुए विस्फोट के बाद सभी लाइसेंस निलंबित कर दिए गए थे। जिसके बाद जांच-पड़ताल के बाद 22 लाइसेंस का नवीनीकरण किया गया है। इनमें 12 लोगों के पास बनाने, बेचने दोनों जबकि बाकी के पास सिर्फ बेचने का ही लाइसेंस है।

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गोरखधंधे में छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल

लेकिन फिर भी जिले में पटाखों का गढ़ माने जाने वाले जैदपुर में कई स्थानों पर अभी भी आबादी के बीच चोरी-छिपे पटाखे बनाए जा रहे हैं। और तो और इस गोरखधंधे में छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल हैं। ऐसे में यदि जरा सी चिंगारी लगी तो जनपद में एक और बड़ा हादसा हो सकता है।

(फोटो:सोशल मीडिया)

यहां एक बात आपको और बता दें कि इनमें उसी परिवार के कई बच्चे शामिल हैं जो साल 1996 में पटाखा बनाते समय हादसे का शिकार हो गए थे, फिर भी ये लोग बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ करने से बाज नहीं आ रहे। ऐसे में बड़ा सवाल पुलिस और प्रशासन पर भी खड़ा होता है कि क्या एक बार फिर किसी बड़े हादसे का इंतजार किया जा रहा है या फिर इस काम में भी सबकी सांठगांठ है।

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मामला जैदपुर का है। सबसे ज्यादा आठ लाइसेंसी नगर पंचायत जैदपुर में ही हैं। जैदपुर के चार लोगों के पास पटाखा बनाने और बेचने दोनों जबकि चार लोगों के पास सिर्फ बेचने का लाइसेंस है। आबादी से दो-दो किलोमीटर दूर पटाखा बनाने का गोदाम है। लेकिन यहां पटाखा बनाने वाले लोग इस काम में छोटे-छोटे मासूम बच्चे को भी लगाए हैं।

बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़

ये लोग इन मासूम बच्चों की जिंदगी से खुलेआम खिलवाड़ कर रहे हैं। और तो और इनमें से कई बच्चे ऐसे भी हैं तो ठीक से अपना नाम और उम्र भी नहीं बता पा रहे। इनमें उसी परिवार के कई बच्चे शामिल हैं जो साल 1996 में पटाखा बनाते समय हादसे का शिकार हो गए थे, फिर भी ये लोग बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ करने से बाज नहीं आ रहे।

जब हमने इन बच्चों से पूछा कि वह यह काम क्यों कर रहे हैं, तो वह जवाब नहीं दे पाए। इनमें से कई नाबालिग बच्चे अपनी उम्र तक नहीम बता पाए। उनका कहना था कि वह यहां कई दिनों से काम कर रहे हैं।

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पटाखे का काम करने वाले इरफान अहमद हमारी जावेद आतिश्बाज के नाम से दुकान है। हमारे पास पिछले 20 सालों से पटाखे बनाने का लाइसेंस है। उन्होंने बताया कि वह अनार, महताब और गोले बनाते हैं। वहीं बच्चों के पटाखे बनाने का काम करने की बात को नकारते हुए

बच्चों के पटाखे बनाने की बात

इरफान अहमद ने कहा कि बच्चे खाना देने आए थे। वह वहां काम नहीं करते हैं। हालांकि बाद में उन्होंने अपनी गलती मानी। वहीं आतिशबाज मोहम्मद कादिर और अल्ताफ ने बताया कि कोरोना का वदह से धंधा ठीक नहीं चल रहा, ऐसे में हमारा कर्जा पूरा हो जाए, तो वह बड़ी बात होगी।

वहीं जब हमने बच्चों के पटाखे बनाने के धंधे में शामिल होने की बात पर बाराबंकी के एसपी डॉ. अरविंद चतुर्वेदी से बात की तो उनका कहना है कि बच्चों के पटाखे बनाने की बात की जांच कराएंगे। इसके लिए वह अधिकारियों से जांच करवा रहे हैं। अगर ऐसी शिकायतें सही पाईं गईं तो संबंधित के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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रिपोर्ट- सरफराज वारिस

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