मौत की बारिश! बस यही महीना क्यों बन रहा काल, जाने ये राज

मौसम विभाग के अनुसार, लो प्रेशर वाला एक सिस्टम 10 दिनों तक एक्टिव होता है। इसके लगातार बनने की वजह से अगस्त और सितंबर महीने में बारिश हुई। कई ऐसे इलाके जहां कम बारिश हुई थी, सीजन के खत्म होते-होते वहां भारी बारिश हो चुकी

Update:2023-06-24 13:42 IST
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नई दिल्ली: बारिश और बाढ़ समूचे देश में अपना कहर बरपा रखा है। बाढ़ के कारण महाराष्ट्र, केरल, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और बिहार की क्या स्थिती हुई है, यह किसी से छिपी नहीं है। इस वर्ष की बारिश अभी तक के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिये हैं, आकड़े बताते हैं कि इस बार सितंबर महीने में सबसे ज्यादा बारिश हो रही है।

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102 साल का रिकॉर्ड टूटा...

बताया जा रहा है कि सितंबर महीने में हुई बारिश ने 102 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। जून से सितंबर महीने तक औसत से 9 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है। मानसून में ज्यादा बारिश का आंकड़ा सिर्फ एक पॉइंट से कम रह गया है।

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बहरहाल, बारिश ने बिहार और यूपी में जम कर कहर ढा रहा है। यूपी में बारिश की चपेट में आकर 80 लोगों की मौत हुई है, तो वहीं बिहार में 29 लोगों ने जान गंवाई है।

बताते चलें कि 15 दिन की लगातार बारिश से बिहार की राजधानी पटना नदी में तब्दील हो गई है। बताया जा रहा है कि पूरा शहर पानी-पानी हो गया है।

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मौसम विभाग ने जारी की चेतावनी...

बारिश के संदंर्भ में मौसम विभाग ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि अगले 24 घंटे दोनों राज्यों पर भारी बारिश हो सकती है। दोनों राज्यों में भारी बारिश की चेतावनी दी गई है।

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देर से लौट रहा है मानसून...

जानकारों का मानना है कि आमतौर पर सितंबर महीने में इतनी बारिश नहीं देखी जाती. ये मानसून के लौटने का वक्त होता है. लेकिन इस बार सितंबर महीने में जोरदार बारिश हो रही है।

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मौसम विभाग ने कहा...

मौसम विभाग के मुताबिक, इस बार मानसून देरी से लौट रहा है। मानसून 15 अक्टूबर तक लौट सकता है। इस बार पहली दफा है जब मानसून 60 साल में पहली बार देरी से लौटेगा। 1960 के बाद ये पहली बार होगा कि मानसून इतनी देरी से विदा होगा।

मौसम विभाग के बयां करते इशारे...

मौसम विभाग के रिकॉर्ड इस बात की ओर इशारा करते हैं कि 1901 के बाद ऐसा तीसरी बार हुआ है, जब सितंबर महीने में इतनी बारिश हुई है। सितंबर महीने में एक दिन रहते 247.1 एमएम की बारिश हो चुकी है।

ये औसत बारिश से 48 फीसदी ज्यादा है। 1983 में सितंबर महीने में 255.8 एमएम की बारिश हुई थी। सोमवार की बारिश में इस रिकॉर्ड के टूटने की संभावना है। बिहार और गुजरात में बारिश का रेड अलर्ट जारी हो चुका है।

बताते चलें कि 1901 के बाद 1917 में सितंबर महीने में सबसे ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की गई थी। 1917 में सिर्फ सितंबर महीने में 285.6 एमएम की बारिश हुई थी।

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मानसून लगातार दे रहा धोखा...

इस वर्ष की मानसून शुरुआत से ही अपना दोहरा रवैया अपनाया है। ज्ञात हो कि इस बार मानसून देरी से आया, उस पर जून महीने में बारिश में 33 फीसदी की कमी रही।

बिहार के जिन इलाकों में सितंबर के आखिरी हफ्ते में भारी बारिश हुई है, वहां जून महीने में काफी कम बारिश हुई थी।

मध्य बिहार की बात की जाये तो कुछ इलाकों में इतनी कम बारिश हुई थी कि धान की रोपनी बमुश्किल हो पाई, बताया जा रहा है कि आज वो इलाके पानी में डूबे हैं, मानसून ने जाते-जाते पूरे बिहार को अपनी आगोश में ले लिया है।

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28 सितंबर को पूरे देश में हुई भारी बारिश...

बताते चलें कि बिहार के 16 जिले बाढ़ की चपेट में हैं, वहीं यूपी और मध्य प्रदेश में बारिश ने कहर बरपाया हुआ है। उत्तराखंड मे भी भारी बारिश दर्ज की गई है। रविवार तक देश में 956.1 एमएम की बारिश रिकॉर्ड की गई। ये औसत से 9 फीसदी ज्यादा था।

सितंबर में भारी बारिश के मुख्य कारण...

मौसम विभाग ने सितंबर महीने में भारी बारिश के मुख्य कारण बताये हैं। पैसिफिक ओसन के ऊपर बना अल नीनो का इफेक्ट। जिसने मानसून को दबाया और जुलाई में कम बारिश हुई, ठीक उसी वक्त इंडियन ओशन में मानसून के अनुकूल वातावरण तैयार हुआ।

इसके साथ ही मौसम विभाग ने बताया कि बंगाल की खाड़ी में बना कम दबाब का क्षेत्र लगातार बनने की वजह से लंबे वक्त तक भारी बारिश होती है, जो हमने सितंबर महीने में देखी है।

लो प्रेशर सिस्टम...

मौसम विभाग के अनुसार, लो प्रेशर वाला एक सिस्टम 10 दिनों तक एक्टिव होता है। इसके लगातार बनने की वजह से अगस्त और सितंबर महीने में बारिश हुई। कई ऐसे इलाके जहां कम बारिश हुई थी, सीजन के खत्म होते-होते वहां भारी बारिश हो चुकी थी। जिन इलाकों में 20 फीसदी कम बारिश हुई थी, वहां सीजन खत्म होते वक्त 28 फीसदी की सरप्लस बारिश हो चुकी थी।

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इसके साथ ही उन्होंने बताया कि खासकर दक्षिण भारत में मानसून ने खूब छकाया है, 19 जुलाई तक दक्षिण भारत के कई हिस्सों में 30 फीसदी कम बारिश हुई थी।

बताया जा रहा है कि वहां सुखा जैसी स्थिति बन गई थी, सितंबर खत्म होते-होते वहां 16 फीसदी सरप्लस बारिश दर्ज की गई। मानसून जाते-जाते सितंबर को सराबोर कर गया।

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