सेना के इस खतरनाक हथियार से दुश्मन होंगे ध्वस्त, ट्रायल हुआ सफल

पुणे के सेंटर और ऑर्डिनेंस फैक्‍ट्री बोर्ड (OFB) ने साथ में मिलकर तैयार किया था, उसने सेना की ओर से हुए फाइनल ट्रायल को पूरा कर लिया है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन(DRDO) की ओर से कहा गया है कि अब यह कार्बाइन सेना के प्रयोग के लिए पूरी तरह से रेडी है।

Update:2020-12-28 14:35 IST
पुणे के सेंटर और ऑर्डिनेंस फैक्‍ट्री बोर्ड (OFB) ने साथ में मिलकर तैयार किया था, उसने सेना की ओर से हुए फाइनल ट्रायल को पूरा कर लिया है।

नई दिल्ली। भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन(DRDO) की तरफ से बीते दिनों बताया गया है कि एक कार्बाइन जिसे पुणे के सेंटर और ऑर्डिनेंस फैक्‍ट्री बोर्ड (OFB) ने साथ में मिलकर तैयार किया था, उसने सेना की ओर से हुए फाइनल ट्रायल को पूरा कर लिया है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन(DRDO) की ओर से कहा गया है कि अब यह कार्बाइन सेना के प्रयोग के लिए पूरी तरह से रेडी है। ऐसे में इस कार्बाइन को ज्‍वॉइन्‍ट वेंचर प्रोटेक्टिव कार्बाइन (JVPC) के तहत तैयार किया गया है। जबकि इस कार्बाइन के तैयार होने के बाद पुरानी पड़ चुकी कार्बाइन को हटाया जा सकेगा।

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नए हथियार का उद्देश्य

बता दें, सेनाओं में 9 एमएम की कार्बाइन का प्रयोग होता है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन(DRDO) की ओर से तैयार नई कार्बाइन को सेंट्रल आम्‍र्ड पुलिस फोर्सेज (CAPF) जैसे सीआरपीएफ(CRPF) और बीएसएफ(BSF) के साथ ही राज्‍यों की पुलिसबल भी प्रयोग कर सकेंगी। साथ ही इस नए हथियार का उद्देश्य लक्ष्य को बस चोट पहुंचाना या फिर उसकी क्षमताओं को खत्‍म करना होगा।

ऐसे में इसके प्रयोग के बाद लक्ष्य गंभीर रूप से घायल होगा लेकिन उसकी मौत नहीं होगी। जेवीपीवीएस(JVPVS) एक गैस ऑपरेटेड ऑटोमैटिक 5.56 x 30 एमएम की क्षमता वाला हथियार है। ये एक कार्बाइन का बैरल राइफल से छोटा है। इसे भारतीय सेना की जनरल स्‍टाफ क्‍वालिटेटिव रिक्‍वॉयारमेंट्स (जीएसक्‍यूआर) के हिसाब से ही तैयार किया गया है।

फोटो-सोशल मीडिया

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आर्म्‍स फैक्‍ट्री की तरफ से तैयार

जेवीपीसी(JVPC) की तरफ से इसे कभी-कभी मॉर्डन सब मशीन कार्बाइन (एमएसएमसी) भी कहते हैं। ये कार्बाइन एक मिनट में 700 राउंड फायरिंग कर सकती है। इस ज्‍वॉइन्‍ट डेवलपमेंट को अर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्‍टैब्लिशमेंट (एआरडीई) और ऑर्डिनेंस फैक्‍ट्री बोर्ड के तहत आने वाली कानपुर स्थित स्‍माल आर्म्‍स फैक्‍ट्री की तरफ से तैयार किया गया है।

वहीं एआरडीई(ARDI) रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन(DRDO) का ही हिस्‍सा है। इस हथियार को एसएएफ और इसका हथियार पुणे के खड़की स्थित अम्‍युनिशिन फैक्‍ट्री में तैयार किया गया है। सन् 1980 के प्रोजेक्‍ट पर काम करना शुरू किया था।

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