क्या उत्तर-प्रदेश की योगी सरकार 'ब्राह्मण विरोधी' है?
हाल-फिलहाल जो कहानी 2-3 जुलाई की रात को आठ पुलिसकर्मियों के शहीद होने से शुरू होती है, वो 10 जुलाई को सुबह 6:30 बजे के लगभग विकास दुबे की मौत के साथ खत्म हो जाती है।
शाश्वत मिश्रा
उत्तर-प्रदेश। भारत की राजनीति का गढ़। देश को सबसे ज़्यादा प्रधानमन्त्री देने का गौरव भी इसी प्रदेश को हासिल है। यह प्रदेश पिछले 14-15 दिनों से चर्चा का विषय बना हुआ है। वजह थी आठ पुलिस कर्मियों का हत्यारा 'विकास दुबे'।
'...मज़बूरन' विकास दुबे को मारना पड़ा
विकास दुबे के ऊपर साठ से ज़्यादा मुकदमें दर्ज हैं। इन मुकदमों की जानकारी ख़ुद उत्तर-प्रदेश के डीजीपी हितेंद्र चंद्र अवस्थी ने दी थी। उनके अनुसार- 'विकास के ऊपर चौबेपुर थाने में साठ मुकदमें दर्ज हैं जिनमें कई हत्या और हत्या के प्रयास जैसे संगीन मामले भी शामिल हैं।'
हाल-फिलहाल जो कहानी 2-3 जुलाई की रात को आठ पुलिसकर्मियों के शहीद होने से शुरू होती है, वो 10 जुलाई को सुबह 6:30 बजे के लगभग विकास दुबे की मौत के साथ खत्म हो जाती है। इस पूरे घटनाक्रम में पुलिस विकास दुबे के पांच गुर्गों का एनकाउंटर करती है, और अंत में उज्जैन से लौटते वक़्त कानपुर नगर के 17 किमी पहले भौती क्षेत्र में 'मज़बूरन' पुलिस को विकास दुबे को भी मारना पड़ता है।
एडीजी(क़ानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार का विकास दुबे की मौत के बाद बयान जारी होता है। जिसमें वो साफतौर पर कहते नज़र आते हैं कि उसे (विकास दुबे) पूछताछ के लिए यूपी लाया जा रहा था और उससे पूछताछ नहीं हो सकी।
इन बातों के कई मायने निकल कर सामने आते हैं। इन कथनों से साफतौर पर ये समझा जा सकता है कि वे लोग पूरी तरह से सुरक्षित हैं जिन लोगों ने विकास दुबे को संरक्षण दे रखा था।
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मुद्दा 'विकास' नहीं, 'दुबे' हुआ
बात यहाँ पर ख़त्म नहीं होती है बल्कि बात यहाँ से शुरू होती है। क्योंकि अब इस रियल लाइफ फ़िल्म में इंट्री होती है बिन बुलाये मेहमानों की, यानि राजनेताओं की। ये देश का वो विपक्ष है जिसे हर मुद्दे पर सवाल उठाना होता है।
इनके लिए सवाल उठाना तब और लाज़िमी हो जाता है जब उसमें वोटों का मसला आता है। ये विपक्ष विकास दुबे की मौत पर तो खुश है क्योंकि उसके जाने के साथ इनके नेताओं का भविष्य बच जाता है। इनकी पार्टियां सवालों के घेरे में आने से बच जाती हैं।
इसीलिए अब इनके लिए मुद्दा 'विकास' नहीं बचता है बल्कि मुद्दा बन जाता है 'दुबे'।
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ब्राह्मणों पर सियासी पारा चढ़ा
जी हां, अब उत्तर-प्रदेश की सियासत में बात होने लगी है 'ब्राह्मणों' की। विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि मौजूदा योगी सरकार 'ब्राह्मण विरोधी' है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा जहाँ विकास दुबे के एनकाउंटर पर वीडियो जारी कर सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जज से पूरे कांड की न्यायिक जाँच की मांग करती हैं। वहीँ उनकी पार्टी के नेता उदित राज ने दो ट्वीट कर योगी सरकार पर सवाल उठाये हैं। पहले ट्वीट में उन्होंने लिखा, 'गुंडा जाति का है तो नायक & ग़ैर जाति का खलनायक।'
तो दूसरे ट्वीट में उन्होंने साफ़ तौर पर प्रदेश के मुखिया पर सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने लिखा, 'अगर विकास दुबे ठाकुर होता तो क्या ऐसा ही व्यवहार होता?'
इस पूरे मुद्दे की अगुवाई कांग्रेस पार्टी करती नज़र आ रही है। पार्टी के एक और नेता व पूर्व कैबिनेट मंत्री जितिन प्रसाद ने भी इस मुद्दे पर सवाल खड़े किये हैं। उन्होंने कुछ दिनों पहले 2022 चुनावों को मद्देनज़र 'ब्राह्मण चेतना संवाद कार्यक्रम' का भी आयोजन किया था।
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इस सरकार में ब्राह्मणों का दमन हो रहा- कांग्रेस
ब्राह्मणों के मुद्दे पर जितिन प्रसाद का कहना है 'वो दौर अब खत्म हो गया है यूपी में जब ब्राह्मण ‘प्रिव्लेज्ड क्लास’ में माना जाता था। अब तो पीड़ित समाज हो गया है। जितिन के मुताबिक, ‘इस सरकार में जितना ब्राह्मणों का दमन हुआ है शायद ही कभी इतना हुआ हो। मंत्रिमंडल में जो ब्राह्मण हैं उन पर फैसले लेने की कोई ताकत नहीं। ये बात सब जानते हैं। पुलिस में ब्राह्मण होने के बावजूद पीड़ितों को इंसाफ नहीं मिल रहा है। जाहिर है कोई तो ऐसा होने से रोक रहा है।’
ब्राह्मण समाज आइसोलेट फील कर रहा- सपा
तो समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अभिषेक मिश्रा का कहना है कि 'कई बार ब्राह्मण समाज के लोगों का फोन आता है तो वह इस बात का जिक्र करते हैं हमारे समाज के लोग इस वक्त आइसोलेट फील कर रहे हैं।'
वह आगे कहते हैं, ‘एक विशेष जाति के लोगों की जिस तरह से हत्याएं हो रही हैं उससे सवाल उठना लाजिमी हैं। हमारी सरकार के वक्त हम पर बीजेपी वाले जातिवादी होने का आरोप लगाते थे लेकिन इस वक्त कितना जातिवाद है ये किसी से छुपा नहीं रहा है।’
हालांकि बसपा की तरफ से किसी ने इस मुद्दे पर कोई बयान नहीं दिया है। लेकिन मायावती ने विकास दुबे के एनकाउंटर की सुप्रीम कोर्ट के देख-रेख में जांच की मांग की है।
चीफ़-होम सेक्रेट्री व डीजीपी ब्राह्मण- भाजपा
बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता मनोज मिश्र कहते हैं, ‘योगी सरकार को ब्राह्मण विरोधी बताना एकदम गलत है। आज के दौर में सरकार के सबसे अहम पद चाहे चीफ सेक्रेट्री हो या होम सेक्रेट्री या डीजीपी सभी ब्राह्मण हैं। ऐसे में जो ये आरोप लगा रहे हैं वे झूठ बोल रहे हैं। बीजेपी सरकार में जाति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं है।’
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ब्राह्मणों पर सियासत क्यों?
विकास दुबे की मौत के बाद इसकी जाति पर बहस तेज़ हो गयी है. सभी लोगों के ज़ेहन में सिर्फ एक ही सवाल छाया है। आखिर 'विकास' के 'दुबे' पर राजनीति क्यूँ शुरू हो गयी है? इसका जवाब है, पूरे प्रदेश में लगभग 12 प्रतिशत ब्राह्मण हैं। हर पार्टी इस समाज के वोट को साधने में लगी रहती है। लेकिन इतिहास यही रहा है कि इस वर्ग का वोट कोई एक पार्टी हासिल करने में कामयाब नहीं हुई।
बीजेपी सरकार में क्या है 'ब्राह्मण' गणित
मौजूदा योगी सरकार के 56 मंत्रियों के मंत्रिमंडल में 9 ब्राह्मणों को जगह दी गई। लेकिन पदों पर बैठकर निर्णय लेने वाला कोई मंत्री नहीं है। यहां तक कि उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा भी ख़ुद से निर्णय नहीं ले पाते। कई बार तो यह भी देखा गया है कि मुख्यमंत्री ने कई मंत्रियों द्वारा लिए गए फ़ैसलों को पलट दिया।
बात अग़र मंत्रियों की करें तो श्रीकांत शर्मा व सतीश द्विवेदी को छोड़ किसी को अहम विभाग नहीं दिए गए। श्रीकांत शर्मा के बारे में कहा जाता है कि उन्हें शीर्ष नेतृत्व की ओर से दिल्ली से यूपी भेजा गया है। जबकि 8 क्षत्रियों को मंत्री बनाया गया है और सभी को ब्राह्मणों से बेहतर विभाग दिए गए।
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