बंगाल में आयोग इस बार ज्यादा सतर्क, पिछले चुनाव से इस बार दो चरण ज्यादा

पश्चिम बंगाल में हिंसा और उपद्रव की आशंका और सियासी दलों के बीच कड़ी सियासी जंग को देखते हुए 8 चरणों में मतदान कराने का फैसला किया गया है। 2016 के विधानसभा चुनाव के दौरान बंगाल में छह चरणों में मतदान कराए गए थे मगर इस बार मतदान के लिए दो चरण और बढ़ा दिए गए हैं।

Update: 2021-02-26 13:53 GMT
बंगाल में आयोग इस बार ज्यादा सतर्क, पिछले चुनाव से इस बार दो चरण ज्यादा

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान कर दिया है। पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा 8 चरणों में मतदान होगा। असम में तीन चरणों में जबकि बाकी तीन अन्य राज्यों तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में एक ही चरण में 6 अप्रैल को मतदान का काम पूरा हो जाएगा। सभी राज्यों में विधानसभा चुनाव के नतीजे एक साथ 2 मई को घोषित किए जाएंगे। इन पांच राज्यों में 18 करोड़ मतदाता उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे।

आयोग ने इसलिए बढ़ाए दो चरण

पश्चिम बंगाल में हिंसा और उपद्रव की आशंका और सियासी दलों के बीच कड़ी सियासी जंग को देखते हुए 8 चरणों में मतदान कराने का फैसला किया गया है। 2016 के विधानसभा चुनाव के दौरान बंगाल में छह चरणों में मतदान कराए गए थे मगर इस बार मतदान के लिए दो चरण और बढ़ा दिए गए हैं। इसके पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि आयोग सभी मतदान केंद्रों पर सुरक्षा बलों की व्यापक रूप से तैनाती करना चाहता है।

मतदान की शुरुआत 27 मार्च को

मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करते हुए बताया कि पश्चिम बंगाल में विधानसभा की 294 सीटों के लिए मतदान की शुरुआत 27 मार्च को होगी। 1 अप्रैल को दूसरे चरण, 6 अप्रैल को तीसरे चरण, 10 अप्रैल को चौथे चरण, 17 अप्रैल को पांचवें चरण, 22 अप्रैल को छठे चरण, 26 अप्रैल को सातवें चरण और 29 अप्रैल को आठवें चरण की वोटिंग होगी।

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बंगाल में आयोग विशेष रूप से सतर्क

पश्चिम बंगाल में चुनाव को लेकर चुनाव आयोग सबसे ज्यादा सतर्कता बरत रहा है। पश्चिम बंगाल में हाल के दिनों में राजनीतिक हिंसा की कई घटनाएं हुई हैं जिनमें कई कार्यकर्ता मारे गए हैं। माना जा रहा है चुनाव के दौरान भी हिंसा की घटनाएं हो सकती हैं।

पिछली बार के विधानसभा चुनाव के दौरान तृणमूल कांग्रेस ने ममता की अगुवाई में जोरदार प्रदर्शन करते हुए 211 सीटों पर जीत हासिल की थी। दूसरे नंबर पर कांग्रेस 44 सीटें जीतने में कामयाब हुई थी जबकि भाजपा के खाते में सिर्फ तीन सीटें आई थीं।

इस बार होगी 125 कंपनियों की तैनाती

पिछले बार के विधानसभा चुनाव के दौरान केंद्रीय सुरक्षा बलों के करीब एक लाख जवानों की बंगाल में तैनाती की गई थी। इस बार भी चुनाव आयोग की ओर से सुरक्षाबलों की काफी ज्यादा संख्या में तैनाती की तैयारी है। आयोग के सूत्रों के मुताबिक चुनाव में हिंसा की घटनाओं को रोकने के लिए केंद्रीय सुरक्षा बलों की इस बार 125 कंपनियों की तैनाती की जाएगी।

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बदल चुकी हैं राज्य की सियासी स्थितियां

पिछले चुनाव के बाद राज्य की सियासी स्थितियां बिल्कुल बदल चुकी हैं। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य में अपनी सियासी ताकत दिखाई थी और पार्टी 18 लोकसभा सीटों पर विजय हासिल करने में कामयाब हुई थी।

सियासी मन पंडित भी भाजपा के शानदार प्रदर्शन पर हैरान रह गए थे क्योंकि किसी को भी भाजपा के इतनी ज्यादा सीटें पाने की उम्मीद नहीं थी। राज्य की 42 लोकसभा सीटों में टीएमसी को 22 सीटों पर विजय हासिल हुई थी।

इस बार होगी जोरदार जंग

लोकसभा चुनाव के बाद ही भाजपा ने राज्य में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सत्ता से बेदखल करने के लिए पूरी ताकत लगा रखी है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लगातार पश्चिम बंगाल का दौरा कर रहे हैं।

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पिछले एक महीने के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पश्चिम बंगाल पर विशेष रूप से फोकस किया है। भाजपा ने दूसरे राज्यों के पार्टी पदाधिकारियों को भी पश्चिम बंगाल में लगा रखा है। इसलिए माना जा रहा है जी इस बार यहां तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच जोरदार जंग होगी।

जानकारों का कहना है कि यही कारण है कि आयोग इस बार के विधानसभा चुनाव को लेकर ज्यादा सतर्कता बरत रहा है। इसी कारण इस बार विधानसभा चुनाव के मतदान के लिए दो चरण बढ़ा दिए गए हैं ताकि विभिन्न मतदान केंद्रों पर सुरक्षाबलों की व्यापक स्तर पर तैनाती की जा सके।

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