इन्होंने कही ये बात, गुरू गोरखनाथ शिव का रूप

दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में गुरु गोरखनाथ जी पर एक शोधपीठ की स्थापना की गयी है। उन्होंने कहा कि गुरु गोरखनाथ जी पर एक इनसाइक्लोपीडिया तैयार किया जाना आवश्यक है, जिससे वर्तमान और भावी पीढ़ी उनके विषय में जान सके।

Update:2023-06-11 17:27 IST

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लखनऊ: केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ0 रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा कि महायोगी गोरखनाथ जैसे महान व्यक्तित्व पर संगोष्ठी का आयोजन किया जाना अत्यन्त प्रशंसनीय है। गुरु गोरखनाथ जी को शिव का रूप माना जाता है।

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प्रत्येक व्यक्ति सुख-दुःख में शिव को याद करता है। उनके द्वारा दी गयी शिक्षाएं न सिर्फ भारत में बल्कि कई देशों में भी जानी जाती हैं।

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आज यहां उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान में युग प्रवर्तक महायोगी गोरखनाथ पर त्रिदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी पर मुख्य अतिथि के तौर पर उन्होंने कहा कि योग के माध्यम से ही तन व मन को स्वस्थ रखा जा सकता है।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों से योग को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। नये भारत के निर्माण व ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की संकल्पना को साकार करने में योग का विशेष महत्व है। उन्होंने कहा कि भारत विश्वगुरु बनने की दिशा में काफी आगे बढ़ चुका है।

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कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए उ0प्र0 हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ0 सदानन्द प्रसाद गुप्त ने कहा कि नाथ साहित्य काफी समृद्ध साहित्य है। गुरु गोरखनाथ के भजन ने सूक्ति का रूप ले लिया है।

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साहित्यकार डॉ0 कन्हैया सिंह ने कहा...

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वरिष्ठ साहित्यकार डॉ0 कन्हैया सिंह ने कहा कि इतिहास के शून्य समय में गुरु गोरखनाथ ने एक अलख जलायी। उन्होंने सामाजिक समरसता का समाज को जो संदेश दिया वह आज भी अत्यन्त प्रासंगिक है।

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गौरतलब है कि योगी सरकार ने गुरु गोरखनाथ जी के अभ्युदय की समकालीन परिस्थितियों तथा सामाजिक, धार्मिक व आध्यात्मिक परिवर्तन में गोरखनाथ की अद्वितीय भूमिका का समग्र शोधपरक विवेचन भी युगधर्म है।

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दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में गुरु गोरखनाथ जी पर एक शोधपीठ की स्थापना की गयी है। उन्होंने कहा कि गुरु गोरखनाथ जी पर एक इनसाइक्लोपीडिया तैयार किया जाना आवश्यक है, जिससे वर्तमान और भावी पीढ़ी उनके विषय में जान सके।

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