अमेरिकी चुनाव: ट्रंप का चलेगा जादू या बिडेन मारेंगे बाजी, जानें क्या हैं समीकरण

फरवरी महीने के करीब अमेरिका में प्राइमरी चुनाव शुरू हुए थे, जो कि पार्टी के भीतर ही होते हैं। रिपब्लिकन पार्टी की ओर से लगभग 90 फीसदी वोट लेकर डोनाल्ड ट्रंप लगातार दूसरी बार राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बने, तो दूसरी ओर डेमोक्रेट्स पार्टी की ओर से पूर्व उपराष्ट्रपति जो बिडेन ने बाजी मार ली।

Update:2020-07-27 11:31 IST

नई दिल्ली: विश्व की सबसे ताकतवर देश अमेरिका में राष्ट्रपति के चुनाव होने हैं। प्राइमरी चुनाव खत्म हो गया है और तस्वीर साफ है कि जंग मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पूर्व उपराष्ट्रपति जो बिडेन के बीच होगी। अब हर किसी की नज़रें तीन नवंबर की तारीख पर टिक गई हैं, क्योंकि वर्तमान समय में पूरी दुनिया इस वक्त कोरोना वायरस के संकट से जूझ रही है गौरतलब है अमेरिका इस महामारी का सबसे बड़ा शिकार हुआ है। अमेरिका में इस वायरस ने जबरदस्त तबाही मचाई है। बता दें कि अब तक करीब चालीस लाख लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं, डेढ़ लाख से अधिक की मौत हो गई है।

बराक ओबामा के उपराष्ट्रपति रहे जो बिडेन

फरवरी महीने के करीब अमेरिका में प्राइमरी चुनाव शुरू हुए थे, जो कि पार्टी के भीतर ही होते हैं। रिपब्लिकन पार्टी की ओर से लगभग 90 फीसदी वोट लेकर डोनाल्ड ट्रंप लगातार दूसरी बार राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बने, तो दूसरी ओर डेमोक्रेट्स पार्टी की ओर से पूर्व उपराष्ट्रपति जो बिडेन ने बाजी मार ली। डोनाल्ड ट्रंप एक बिजनेसमैन रहे, फिर राजनीति में आए और राष्ट्रपति बन गए। उनकी छवि को लेकर पिछले कई सालों से दुनिया और अमेरिका में चर्चाएं जारी हैं। दूसरी ओर जो बिडेन कई सालों तक सीनेटर रहे, फिर बराक ओबामा के उपराष्ट्रपति रहे और अब राष्ट्रपति बनने का सपना देख रहे हैं।

अमेरिका में चुनावी हालात पर एक नज़र

एक तरफ अमेरिका जब चुनाव की सरगर्मियां बढ़ ही रही थीं उसी समय कोरोना वायरस के संकट ने दस्तक दी। फिर भी अमेरिका में प्राइमरी चुनाव हुए, जिसमें दोनों पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों को चुना। लेकिन उसके बाद जब राष्ट्रपति चुनाव के लिए प्रचार, टीवी डिबेट्स की बारी आई तो कोरोना वायरस आ गया और ये सब रुक गया है। हालांकि, बीच-बीच में दोनों उम्मीदवारों ने कुछ प्रेस कॉन्फ्रेंस (पार्टी स्तर पर) की, समर्थकों से मुलाकात की। अभी अमेरिकी चुनाव पूरा रुक सा गया है, लेकिन कामकाज और भाषणों के दम पर अप्रवूल रेटिंग सामने आ रही हैं। जिसमें जो बिडेन अभी काफी हदतक आगे हैं और डोनाल्ड ट्रंप पिछड़ते जा रहे हैं।

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कौन किसको दे रहा मात

अमेरिका की राजनीति में अप्रूवल रेटिंग काफी मायने रखती है, फिर चाहे वो कांग्रेसमैन हो या फिर राष्ट्रपति। हर हफ्ते, हर रोज और हर महीने के हिसाब से अलग-अलग एजेंसियां, न्यूज़ चैनल रेटिंग्स निकालते हैं। जिनमें राष्ट्रीय, लोकल और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा होती है। इस वक्त राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनज़र रेटिंग में जो बिडेन आगे चल रहे हैं यानी अप्रूवल रेटिंग के आधार पर अभी चुनाव हो जाएं तो वो राष्ट्रपति बन जाएंगे। यही डोनाल्ड ट्रंप की चिंता को बढ़ा रहा है और अब ट्रंप भी डिफेंसिव मोड में आ गए हैं।

डोनाल्ड ट्रंप का अप्रूवल रेट 42 फीसदी तो बिडेन का 52 फीसदी

अमेरिका में इसी हफ्ते की रेटिंग के आधार पर डोनाल्ड ट्रंप का अप्रूवल रेट 42 फीसदी और जो बिडेन का अप्रूवल रेट 52 फीसदी है। और ये अंतर कई अलग-अलग एजेंसियों में दिख रहा है। जून महीने के बाद से ही जो बिडेन और डोनाल्ड ट्रंप के बीच 10 प्वाइंट से अधिक का अंतर रहा है, जो अधिकतम 13 प्वाइंट्स तक गया है। यही कारण है कि पिछले कुछ दिनों से डोनाल्ड ट्रंप ने कमान अपने हाथ में ली है, उनके बयानों में डिफेंसिव मोड दिख रहा है और चुनाव की चिंता से दूर जाते दिख रहे हैं।

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यहां जानें आखिर क्यों है डोनाल्ड ट्रंप की ये स्थिति

डोनाल्ड ट्रंप जब से राष्ट्रपति बने हैं, उनके एक्शन, बयान और काम करने का तरीका हमेशा ही लोगों के निशाने पर रहा है। चुनाव की शुरुआत के वक्त वो काफी कॉन्फिडेंट थे कि वो आसानी से चुनाव जीत जाएंगे। और अमेरिकी चुनाव का इतिहास भी यही कहता है कि अगर कोई राष्ट्रपति दोबारा उम्मीदवार बनता है तो 95 फीसदी चांस उसके ही जीतने के होते हैं। बिल क्लिंटन, बराक ओबामा जैसे नाम इसका उदाहरण हैं। लेकिन कोरोना वायरस ने अमेरिका के चुनाव को पूरी तरह से बदलकर रख दिया।

डोनाल्ड ट्रंप बैकफुट पर

शुरुआत में डोनाल्ड ट्रंप की ओर से इसे एक साधारण वायरस बताया गया, लेकिन जब इसने अमेरिका में पैर पसारने शुरू किए तो हालात बेकाबू हो गए। हालांकि, उसके बाद भी जून महीने के अंत तक डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका की लड़ाई को बढ़िया बताते रहे और चुनाव को सर्वोपरि रखते रहे। लेकिन अब जब अमेरिका में हर रोज 70 हजार मामले आ रहे हैं और लॉकडाउन भी खुल गया है तो डोनाल्ड ट्रंप बैकफुट पर हैं। जुलाई महीने तक उन्होंने खुद मास्क पहनना शुरू किया, अब एक बार फिर वो खुद ही व्हाइट हाउस की ब्रीफिंग कर रहे हैं।

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अमेरिकी चुनाव का मुद्दा

अमेरिकी चुनाव का मुद्दा अब पूरी तरह से बदल चुका है, जिसका सबसे बड़ा कारण कोरोना वायरस ही रहा। अमेरिकी मीडिया, अमेरिकी सोशल मीडिया और क्रीटिक्स ने डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा लड़ी गई इस लड़ाई को पूरी तरह फेल बताया। कोरोना को लेकर हालात इस कदर बन गए कि अमेरिका में मास्क पहनना या नहीं पहनना भी एक राष्ट्रीय और राजनीतिक मुद्दा बन गया। अमेरिकी चुनाव में जो अहम मुद्दे हो चुके हैं।

>कोरोना वायरस का संकट और उससे निपटने का तरीका

>चीन के साथ संबंध, शी जिनपिंग और डोनाल्ड ट्रंप का कनेक्शन

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>पुलिस रिफॉर्म्स पर डोनाल्ड ट्रंप का आक्रामक रवैया

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एजेंसी की रेटिंग में जो बिडेन ने लीड किया है

डोनाल्ड ट्रंप को टक्कर देने वाले जो बिडेन भले ही उम्र में उनसे बड़े हों, लेकिन इस वक्त वो अमेरिकी चुनावों का मुद्दा बन गए हैं। जून के बाद से लगभग हर एजेंसी की रेटिंग में जो बिडेन ने लीड ली है, इसके अलावा वो ऐसे राज्यों में भी बढ़त बना रहे हैं जिन्हें व्हाइट पावर हाउस माना जाता है। यानी जिन्हें रिपब्लिकन पार्टी का गढ़ माना जाता है, इनमें फ्लोरिडा, टेक्सस, जॉर्जिया जैसे राज्य शामिल हैं। डोनाल्ड ट्रंप का लगातार फेल होना, साथ ही साथ जो बिडेन का पुराना राजनीतिक रिकॉर्ड उनके पक्ष में जा रहा है।

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बराक ओबामा की ओर से अब जो बिडेन के पक्ष में प्रचार

हालांकि, इस दौरान उनपर भी कई तरह के आरोप लगे हैं जैसे यौन शोषण का मामला हो, रिश्वत का मामला हो जिसके कारण वो भी बैकफुट पर आए हैं। यही कारण है कि खुद बराक ओबामा की ओर से अब जो बिडेन के पक्ष में प्रचार किया जा रहा है। लेकिन अमेरिकी मीडिया और एक्सपर्ट की मानें तो जो बिडेन अगले राष्ट्रपति बन सकते हैं।

आक्रामक रवैया अमेरिकी लोगों को पसंद आता है

अगर ट्रेंड को ही आधार बनाया जाए तो अमेरिकी चुनाव के नतीजे चौंका भी सकते हैं। क्योंकि 2016 के चुनाव में किसी ने नहीं सोचा था कि डोनाल्ड ट्रंप इतने बड़े अंतर से चुनाव जीत जाएंगे। ऐसे में डोनाल्ड ट्रंप को अपने ऊपर पूरा भरोसा है, इसलिए वो बार-बार Silent majority का जिक्र करते हैं। क्योंकि कुछ सर्वे में ये भी दिखाया गया है कि व्हाइट पावर हाउस के इलाकों में ट्रंप की पकड़ मजबूत हुई है, विदेश से आकर अमेरिका में बसने वाले लोगों पर सख्त रुख लोगों को भाया है।

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3 नवंबर का इंतज़ार

चीन-रूस के खिलाफ आक्रामक रवैया अमेरिकी लोगों को पसंद आता है। इसके अलावा डेमोक्रेट्स का गन कल्चर के खिलाफ रवैया और व्हाइट सुप्रीमेसी का उस मुद्दे के प्रति प्रेम भी डोनाल्ड ट्रंप के लिए कारगर साबित हो सकता है। यही कारण है कि डोनाल्ड ट्रंप को काफी उम्मीद दिखाई देती है और नतीजों को लेकर वो अपने पूरे पत्ते खोलने से इनकार करते हैं और कहते हैं कि 3 नवंबर के बाद ही बात की जाएगी।

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