अपनी ही रणनीति में फंस गए PM इमरान खान, मुसीबत में घिरा पाकिस्तान
पाकिस्तान में 85 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं, जबकि 1800 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। कोरोना वायरस को लेकर इमरान खान की रणनीति शुरू से ही भ्रम से भरी रही है। लॉकडाउन को लेकर सेना और सरकार के बीच मतभेद खुलकर सामने आए हैं।
इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान जिस कोरोना को शुरूआत में साधारण फ्लू बता रहे थे। उससे आज पाकिस्तान में 85 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं, जबकि 1800 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। कोरोना वायरस को लेकर इमरान खान की रणनीति शुरू से ही भ्रम से भरी रही है। लॉकडाउन को लेकर सेना और सरकार के बीच मतभेद खुलकर सामने आए हैं।
हर 100 टेस्ट में से 23 लोग कोरोना पॉजिटिव
जब सेना ने लॉकडाउन लगाया तो देश के ही कट्टर इस्लामिक समूहों ने इसका पालन नहीं किया। बाद में सरकार को कट्टर इस्लामिक समूहों की मांगों के आगे घुटने टेकने पड़े। बता दें कि इन्हीं के कहने पर देश में मस्जिद खोले गए थे। आज हालात ऐसे पैदा हो गए हैं कि हर 100 टेस्ट में से 23 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए जा रहे हैं।
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ईद से दो हफ्ते पहले हटाया गया लॉकडाउन
प्रधानमंत्री इमरान की रणनीति थी कि कहीं कोरोना के चलते पहले से ही खराब पड़ी अर्थव्यवस्था पस्त ना हो जाए। लेकिन सरकार दोनों चीजों को संभालने में नाकामयाब रही। पाकिस्तान में ईद से पहले नौ मई को ही लॉकडाउन भी हटा दिया गया। बता दें कि आर्थिक तंगी की वजह से पाकिस्तान पहले से ही लॉकडाउन लागू करने के पक्ष में नहीं था।
देश को वायरस के साथ जीना सीखना होगा
पाक PM इमरान ने तो यहां तक कह दिया था कि लोगों के रोजगार पर कोई संकट ना आए इसलिए कोरोना के बढ़ते मामलों और इससे हो रही मौतों के बाद भी देश को वायरस के साथ जीना सीखना होगा। लॉकडाउन में सख्ती ना अपनाने को लेकर इमरान खान को आलोचना का भी शिकार होना पड़ा। हालांकि उन्होंने सफाई देते हुए कहा था कि वह कोरोना से बचाने के लिए लोगों को भुखमरी से मरने नहीं दे सकते।
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संक्रमण फैलने की स्पीड हुई तेज
पाकिस्तान में कोरोना वायरस के संक्रमण की फैलने की स्पीड अब काफी तेज हो चुकी है। एक समाचार एजेंसी के मुताबिक, सरकारी डेटा से ये पता चलता है कि लॉकडाउन हटाने से पहले तीन हफ्तों में बीस हजार मामले सामने आए थे, लेकिन लॉकडाउन खुलने के बाद तीन हफ्तों में दोगुने मामलों की पुष्टि हुई है।
कोरोना टेस्टिंग की रफ्तार बढ़ने के साथ ही मामलों की पुष्टि होने की रफ्तार भी बढ़ी है। हालांकि लॉकडाउन के दौरान रोजाना किए जाने वाले टेस्ट में से पॉजिटिव पाए जाने वाले मामलों का औसत 11.5 प्रतिशत था, जबकि लॉकडाउन हटने के बाद यह औसत 15.4 फीसदी हो गया। सरकारी डेटा के मुताबिक, यह अनुपात 23 फीसदी हो चुका है।
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बढ़ते मामलों को बढ़ने से रोकने के लिए उठाए जाएं ये कदम
विश्लेषकों का मानना है कि मामलों की बढ़ती संख्या पर काबू पाने के लिए धार्मिक स्थलों, शॉपिंग एरिया व अन्य सावर्जनिक स्थानों पर भीड़ इकट्ठा होने से रोकने के लिए और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए। कई पाकिस्तानी डॉक्टरों का भी कहना है कि कोरोना वायरस से बचाव के लिए लॉकडाउन के प्रतिबंध फिर से लागू किए जाने की सख्त जरूरत है।
लाहौर के ज्यादातर अस्पताल मरीजों से हुए फुल
एक तरफ तेजी से कोरोना वायरस के मामले बढ़ते जा रहे हैं, वहीं पाकिस्तान में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी होने के चलते महामारी को और न्यौता मिल रहा है। यंग डॉक्टर्स एसोसिएशन के जनरल सेक्रटरी सलमान काजमी ने कहा, लाहौर के ज्यादातर अस्पतालों में जगह नहीं बची है, जिसके चलते हम कोरोना मरीजों के मेयो हॉस्पिटल भेज रहे हैं। वहां पर कोरोना के मामलों के लिए 400 से ज्यादा बेड की व्यवस्था की गई है।
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हालांकि मेयो के सीईओ असद असलम ने इन दावों को खारिज कर दिया है कि लाहौर के सभी अस्पताल मरीजों से भर गए हैं। उनका कहना है कि, हम अभी कई मरीजों को संभाल सकते हैं।
क्या बिना आर्थिक नुकसान के सोशल डिस्टेंसिंग हो सकता है लागू?
पाकिस्तान ने ईद से दो हफ्ते पहले ही नौ मई को लॉकडाउन हटाया दिया था। पाकिस्तान में बढ़ते मामलों के बीच ट्रांसपोर्ट और ज्यादातर कारोबार भी शुरू हो चुके हैं। लेकिन फिलहाल सिनेमा हॉल, स्कूल-कॉलेज बंद रखे गए हैं। पूरी दुनिया पर इस बात पर बहस है कि क्या सघन आबादी वाले विकासशील देश बिना आर्थिक नुकसान के सोशल डिस्टेंसिंग को लागू कर सकते हैं।
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क्या है हर्ड इम्युनिटी?
कुछ अधिकारियों का कहना है कि विकासशील देशों में हर्ड इम्युनिटी विकसित होने पर वायरस के प्रकोप को रोका जा सकता है। हर्ड इम्युनिटी एक ऐसी परिस्थिति है, जिसमें ज्यादा आबादी में संक्रमण के खिलाफ इम्युनिटी विकसित हो जाएगा। वे संक्रमण को रोक सकेंगे। हालांकि, वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने उन देशों को आगाह किया है हर्ड इम्युनिटी बनाने के लिए लॉकडाउन लागू ना करने या सोशल डिस्टेंसिंग में ढील देने को लेकर सोच रहे हैं।
लॉकडाउन के सख्त प्रतिबंधों को हटाने की पैरवी करने वाले लोगों ने भी पाकिस्तान में सड़कों, शॉपिंग मॉल्स और मस्जिदों में भीड़ देखकर चिंता जताई है।
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