कभी कट्टर नक्सली थे मिथुन चक्रवर्ती, डिस्को डांसर से छा गए लोगों के दिलों पर
फिल्मी दुनिया में अपने अभिनय से धाक जमाने वाले मिथुन चक्रवर्ती का राजनीति का सफर ज्यादा अच्छा खास नहीं रहा है। मिथुन चक्रवर्ती फिल्म उद्योग में प्रवेश करने से पहले एक कट्टर नक्सली थे। मिथुन चक्रवर्ती ने अपने फिल्मी कॅरियर की शुरुआत 1976 की फिल्म ‘मृगया’ से की थी।
श्रीधर अग्निहोत्री
नई दिल्ली। बंगाली फिल्मी कलाकारों का हिन्दी फिल्मों में विशेष योगदान रहा है चाहे वह गीतकार गायक संगीतकार अभिनेत्री अथवा अभिनेता क्यों न हो। मिथुन चक्रवर्ती भी उनमें से एक कलाकार हैं। सत्तर के दशक में कडे़ संघर्ष के बाद उन्हे फिल्मों में काम मिलना शुरू हुआ पर अस्सी के दशक में फिल्म डिस्कोे डांसर से उन्होंने लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई।
मिथुन चक्रवर्ती का जन्म 16 जून, 1947 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर में एक मध्यम वर्गीय बंगाली परिवार में हुआ था। उनका बचपन का नाम गौरांग चक्रवर्ती था। उन्होंने अपनी पढाई कोलकाता के ही विख्यात स्कॉटिश चर्च कॉलेज से की। फिर रसायन विज्ञान में स्नातक की डिग्री ली। इसके बाद वे भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान, पुणे से जुड़े और वहीं से स्नातक भी किया।
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डिस्को डांस की युवा पीढी बेहद दीवानी
मिथुन चक्रवर्ती फिल्म उद्योग में प्रवेश करने से पहले एक कट्टर नक्सली थे। लेकिन उनके परिवार को कठिनाई का सामना तब करना पड़ा जब उनके एकमात्र भाई की मौत दुर्घटनावश बिजली के करंट लगने से हो गयी। इसके बाद मिथुन अपने परिवार में लौट आये और नक्सली आन्दोलन से खुद को अलग कर लिया।
राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित
मिथुन चक्रवर्ती ने अपने फिल्मी कॅरियर की शुरुआत 1976 की फिल्म ‘मृगया’ से की थी। इस फिल्म के लिए उन्हें दमदार अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
मिथुन चक्रवर्ती की किस्मत का सितारा साल 1982 में प्रदर्शित फिल्म ‘डिस्को डांसर’ से ही चमका। इस फिल्म की सफलता के बाद मिथुन चक्रवर्ती की छवि एक डांसिग स्टार के रूप में बनने लगी। उनके डिस्को डांस की युवा पीढी बेहद दीवानी हो गयी।
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मिथुन चक्रवर्ती को राजनीति से जुड़ने का न्योता
फिल्म ‘डिस्को डांसर’ की सफलता के बाद निर्माताओं और निर्देशकों ने अधिकतर फिल्मों में मिथुन चक्रवर्ती की डांसिग अभिनेता की छवि को भुनाया। करीब 60 से 70 फिल्मों में काम कर चुके मिथुन चक्रवर्ती कई राष्ट्रीय और फिल्मफेयर पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।
फिल्मी दुनिया में अपने अभिनय से धाक जमाने वाले मिथुन चक्रवर्ती का राजनीति का सफर ज्यादा अच्छा खास नहीं रहा है। साल 2011 में जब टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने बंगाल की सत्ता संभाली तो उन्होंने मिथुन चक्रवर्ती को राजनीति से जुड़ने का न्योता दिया था।
उन्होंने मिथुन को राज्यसभा सदस्य बनाने का काम किया। लेकिन फिर साल 2016 के आखिर में मिथुन चक्रवर्ती ने राज्यसभा से इस्तीफा देकर राजनीति से संन्यास ले लिया। उस वक्त मिथुन ने अपनी सेहत का हवाला देकर राजनीति छोड़ी थी। क्योकि शारदा चिटफंड घोटाले में मिथुन चक्रवर्ती का भी नाम आया था।
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