गंगासागर मेला बना सियासी मुद्दा: ममता की मांग की अनदेखी, अब शाह का एलान
गंगासागर मेले को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी काफी दिनों से यह मांग केंद्र सरकार से करती रही है। उनका आरोप था कि केंद्र सरकार की ओर से इस प्रमुख मेले की उपेक्षा की जा रही है।
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव की तारीखों के एलान के काफी पहले से ही भारतीय जनता पार्टी और तृणमूल कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंक रखी है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लगातार राज्य का दौरा करके भाजपा की चुनावी संभावनाओं को मजबूत बनाने में जुटे हुए हैं। दो दिवसीय दौरे पर पश्चिम बंगाल पहुंचे शाह ने 24 परगना जिले में आयोजित एक जनसभा में बड़ा एलान करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल में भाजपा की सरकार बनने पर गंगासागर मिले को राष्ट्रीय मेले का दर्जा दिया जाएगा।
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ममता पहले से करती रही हैं मांग
गंगासागर मेले को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी काफी दिनों से यह मांग केंद्र सरकार से करती रही है। उनका आरोप था कि केंद्र सरकार की ओर से इस प्रमुख मेले की उपेक्षा की जा रही है।
उनका कहना है कि मैं काफी दिनों से केंद्र सरकार से मांग करती रही हूं मगर मेरी मांग की अनदेखी की जाती रही है। मजे की बात यह है कि अब शाह ने खुद ही इसे लेकर बड़ा एलान किया है।
शाह के इस बड़े एलान का मकसद
एक हफ्ते के भीतर दूसरी बार पश्चिम बंगाल के दौरे पर पहुंचे शाह ने 24 परगना जिले के नामखाना में पांचवी परिवर्तन यात्रा को हरी झंडी दिखाई। इसके बाद हुई सभा में उन्होंने गंगासागर को अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक पर्यटन केंद्र बनाने की बात भी कही।
शाह ने गंगासागर तट का मुआयना करने के साथ हुई कपिल मुनि मंदिर में पूजा अर्चना भी की। गंगासागर का हिंदुओं में काफी महत्व है और शाह के एलान को बड़ा सियासी दांव माना जा रहा है।
मछुआरों के लिए भी बड़ी योजना
जिले के मछुआरों को आकर्षित करने के लिए उन्होंने भाजपा के सत्ता में आने पर उनके लिए अलग मंत्रालय स्थापित करने का भी भरोसा दिया। इसके साथ ही एक और चुनावी एलान करते हुए कहा कि उन्हें साल में 6000 रुपए की आर्थिक मदद भी दी जाएगी। बंगाल के चार लाख मछुआरों को सरकार की ओर से यह सुविधा मिलेगी।
महिलाओं को 33 फ़ीसदी आरक्षण का वादा
तृणमूल कांग्रेस पर गुंडागर्दी करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने मतदाताओं को आश्वस्त किया कि उन्हें तनिक भी भयभीत नहीं होना चाहिए क्योंकि मतदान के दिन तृणमूल का कोई भी गुंडा सड़क पर नजर नहीं आएगा।
बंगाल में चुनावी बाजी जीतने के लिए शाह इन दिनों चुनावी घोषणाएं करने में लगे हुए हैं। उन्होंने मतदाताओं से एक और बड़ा वादा करते हुए कहा कि राज्य में भाजपा के सत्ता में आने पर महिलाओं को 33 फ़ीसदी आरक्षण दिया जाएगा।
तृणमूल के सिंडिकेट से लड़ाई
उन्होंने कहा कि जनता ने ममता सरकार को सत्ता से बेदखल करने का फैसला कर लिया है। भाजपा ने पश्चिम बंगाल को सोनार बांग्ला बनाने की लड़ाई शुरू की है। उन्होंने कहा कि मतदाताओं को यह समझना होगा कि भाजपा को मिला हर वोट घुसपैठ को रोकने वाला साबित होगा।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि पश्चिम बंगाल में भाजपा की लड़ाई तृणमूल के सिंडिकेट से है। तृणमूल कांग्रेस के लोग केंद्र की ओर से चलाई जा रही योजनाओं का लाभ आम लोगों तक नहीं पहुंचने देते। केंद्र सरकार की ओर से भेजी गई राहत सामग्रियों को डकारा जा रहा है।
भ्रष्टाचार की कराएंगे जांच
पीएम किसान निधि का पैसा किसानों तक नहीं पहुंच रहा है और बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की शिकायतें हैं। उन्होंने कहा कि हम लोगों को आश्वस्त करना चाहते हैं कि भाजपा की सरकार बनने पर भ्रष्टाचार के सारे मामलों की उच्चस्तरीय जांच कराई जाएगी और सारे भ्रष्टाचारियों को कानून के हवाले किया जाएगा।
सरकारी कर्मचारियों पर भी डोरे डाले
सरकारी कर्मचारियों पर डोरे डालते हुए उन्होंने सातवां वेतन आयोग लागू करवाने का वादा भी किया। उन्होंने कहा कि राज्य की आर्थिक स्थिति पूरी तरह बदहाल हो चुकी है और यही कारण है कि अब तक सातवां वेतन आयोग यहां नहीं लागू हो पाया है।
भाजपा की सरकार बनने पर यहां सातवां वेतन आयोग लागू करने के साथ ही शिक्षकों को उचित वेतन देने के लिए कमेटी का गठन भी किया जाएगा। शाह ने अपने पिछले दौरे की तरह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक पर एक बार फिर तीखा हमला बोला।
उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस की मुखिया अपने भतीजे को बढ़ावा देने में जुटी हुई है और भतीजे का कल्याण छोड़कर उनके मन में कोई भी अभिलाषा बाकी नहीं रह गई है।
जल्द होगा चुनाव तारीखों का एलान
पश्चिम बंगाल में जल्द ही चुनाव की तारीखों का एलान होने वाला है। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 22 फरवरी को प्रस्तावित दौरे के बाद किसी भी दिन राज्य में चुनाव की तारीखें घोषित की जा सकती है।
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यही कारण है कि भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच लड़ाई दिन-प्रतिदिन तीखी होती जा रही है और दोनों दलों ने एक-दूसरे पर सियासी हमले और तेज कर दिए हैं। भाजपा ने चुनाव को अपनी प्रतिष्ठा की लड़ाई बना लिया है और देखने वाली बात यह होगी कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भाजपा के हमलों का जवाब कहां तक देने में कामयाब हो पाती हैं।
रिपोर्ट- अंशुमान तिवारी
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