आने वाला है अब तक का सबसे खतरनाक भूकंप, जब फट जाएगी धरती, मचेगी तबाही

स्टडी रिपोर्ट लिखने वाले स्टीवन जी. वोस्नोस्की के अनुसार भूकंप आने पर भारत के चंडीगढ़, देहरादून और नेपाल में काठमांडू जैसे बड़े शहरों पर इसका सीधा असर पड़ेगा। आने वाले भूकंप की तीव्रता इतनी अधिक होगी कि इनके झटकों से दुनिया के सबसे बड़े शहरों में से एक भारत की राजधानी दिल्ली में भारी जान माल का नुकसान हो सकता है।

Update:2020-10-22 17:52 IST
इन विश्लेषणों के जरिए प्रागैतिहासिक काल (प्रीहिस्टोरिक) में आए भूकंपों की टाइमिंग और तीव्रता का अनुमान लगाते हुए भविष्य में भूकंप के खतरों का अंदाजा लगाया गया है।

नई दिल्ली: भारत के अरुणाचल प्रदेश से लेकर नेपाल और पाकिस्तान तक पूरे हिमालयन क्षेत्र में किसी भी समय एक के बाद एक आठ बार भीषण भूकंप आ सकते हैं।

भूकंप की तीव्रता इतनी अधिक होगी कि इससे भारी तबाही मचने का अंदेशा है। दावा किया जा रहा है कि इससे पहले कभी भी लोगों ने इतना खतरनाक भूकंप नहीं देखा होगा।

यह चेतावनी एक हालिया स्टडी के जरिये दी गई है। जिसमें जिओलॉजिकल, हिस्टोरिकल और जियोफीजिकल डेटा की समीक्षा कर भूकंप को लेकर ताजा भविष्यवाणी की गई है।

जिसमें विशेषज्ञों की तरफ से बताया गया कि इसमें कोई हैरत की बात नहीं होगी। अगर ये भीषण भूकंप हमारे जीवनकाल में ही आ जाए।

ताजा भविष्यवाणी में ये भी कहा गया है कि भविष्य में हिमालय क्षेत्र में आने आने भूकंप की सीक्वेंस वैसी ही हो सकती है जैसी 20वीं सदी में एलेयूटियन जोन में थी। यह जोन अलास्का की खाड़ी से पूर्वी रूस के कमचटका तक फैला हुआ है।

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भूकंप के बाद फट गई धरती(फोटो:सोशल मीडिया)

दिल्ली तक महसूस किये जा सकेंगे झटके

स्टडी लिखने वाले स्टीवन जी. वोस्नोस्की के अनुसार भूकंप आने पर भारत के चंडीगढ़, देहरादून और नेपाल में काठमांडू जैसे बड़े शहरों पर इसका सीधा असर पड़ेगा।

आने वाले भूकंप की तीव्रता इतनी अधिक होगी कि इनके झटकों से दुनिया के सबसे बड़े शहरों में से एक भारत की राजधानी दिल्ली में भारी जान माल का नुकसान हो सकता है। बता दें कि दिल्ली की आबादी 2 करोड़ से ज्यादा है।

चेतावनी के पीछे इन बातों का दिया गया है आधार

प्राप्त जानकारी के अनुसार सिस्मोलॉजिकल रिसर्च लेटर्स जर्नल में अगस्त में आई इस स्टडी में चट्टानों के सतहों के विश्लेषण (स्ट्रैटिग्राफिक), स्ट्रक्चरल ऐलानिलिस, मिट्टी के विश्लेषण और रेडियोकार्बन ऐनालिसिस जैसे बेसिक जिओलॉजिकल सिद्धांतों के आधार पर ये सारी बातें कही है।

इन विश्लेषणों के जरिए प्रागैतिहासिक काल (प्रीहिस्टोरिक) में आए भूकंपों की टाइमिंग और तीव्रता का अनुमान लगाते हुए भविष्य में भूकंप के खतरों का अंदाजा लगाया गया है।

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भूकंप आने के बाद मची तबाही की फोटो(सोशल मीडिया)

पाकिस्तान और नेपाल भी भूकंप की जद में

स्टडी लिखने वाले स्टीवन जी. वोस्नोस्की अमेरिका के रेने स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ नवादा में जिऑलजी और सिस्मोलॉजी के प्रफेसर हैं। स्टडी में कहा गया है कि हिमालयन क्षेत्र पूरब में भारत के अरुणाचल प्रदेश से लेकर पश्चिम में पाकिस्तान तक फैला हुआ है।

पूर्व में यह क्षेत्र बड़े भूकंप का केंद्र भी रह चुका है। उन्होंने कहा कि 'ये भूकंप फिर आएंगे और वैज्ञानिक आधार पर कहा जा सकता है कि अगर हमारे जीवनकाल में ही अगला भीषण भूकंप आ गया तो इसमें कोई हैरान करने वाली बात नहीं होगी।

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