बढ़ रहा खतरा: हिमालय में पिघल रही बर्फ, मुश्किल में 15 करोड़ लोग

हिमालय में पिघलते हुए बर्फ और ग्लेशियर की वजह से अरब सागर में एक खतरनाक स्थिति पैदा होने वाली है। ऐसा माना जा रहा है कि हिमालय के पिघलते बर्फ से अरब सागर का फूड चेन बिगड़ सकता है।

Update: 2020-05-07 12:44 GMT
बढ़ रहा खतरा: हिमालय में पिघल रही बर्फ, मुश्किल में 15 करोड़ लोग

नई दिल्ली: हिमालय के पिघलते हुए बर्फ और ग्लेशियर की वजह से अरब सागर में एक खतरनाक स्थिति पैदा होने वाली है। ऐसा माना जा रहा है कि हिमालय के पिघलते बर्फ से अरब सागर का फूड चेन बिगड़ सकता है। साथ ही अरब सागर के जीव-जन्तुओं को ऑक्सीजन और खाने की समस्या हो जाएगी।

फूड चेन के लिए बेहद खतरनाक है शैवाल

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से एक फोटो ली है। जिसमें यह साफ-साफ दिखाई दे रहा है कि अरब सागर में हरे रंग की एल्गी (शैवाल) काफी तेजी से बढ़ रहा है। यह शैवाल अरब सागर के फूड चेन के लिए बेहद खतरनाक है।

यह भी पढ़ें: न्यूज ट्रैक की खबर का असर: जिला प्रशासन ने चालू करवाये बन्द पड़े कम्युनिटी किचन

तटीय इलाकों में तेजी से फैल रहा शैवाल

इस हरे रंग का शैवाल यानि एल्गी का नाम नॉक्टीलुका सिन्टीलैंस है। जो एक मिलीमीटर आकार की होती है। इसे सी-स्पार्कल के नाम से भी जाना जाता है। तस्वीरों में एल्गी अरब सागर के किनीरों पर काफी अधिक मात्रा में दिखाई दे रही है। जो कि तेजी से भारत-पाकिस्तान, ओमान, ईरान समेत अरब सागर से सटे हुए कई देशों के तटीय इलाकों में तेजी से फैल रही है।

ऑक्सीजन में आएगी कमी

हैरान करने वाली बात यह है कि इस शैवाल के बारे में 20 साल पहले तक कोई जानता भी नहीं था। लेकिन अब नॉक्टीलुका सिन्टीलैंस अरब सागर के प्लैंकटॉन्स का खत्मा कर रही है। आपको बता दें कि अगर प्लैंकटॉन्स खत्म हो जाता है तो समुद्र में ऑक्सीजन की कमी आ जाएगी। केवल इतना ही नहीं अगर ऐसा होता है तो इससे पूरे अरब सागर की फूड चेन बिगड़ जाएगी।

इसलिए लेता है ज्यादा ऑकसीजन और खाना

बता दें कि नॉक्टीलुका सिन्टीलैंस रात में चमकता भी है और ऐसे में यह समुद्र से और ज्यादा ऑक्सीजन और खाना लेता है। और इससे समुद्र क जानवरों के लिए खतरा गहराता जा रहा है। ऐसे में मछलियां मरने जाएंगी। इसे लेकर साइंस मैगजीन नेचर में एक रिपोर्ट भी छपी थी।

यह भी पढ़ें: 1212 श्रमिकों को लेकर अमेठी पहुंची श्रमिक स्पेशल ट्रेन, यात्रियों को नहीं मिली ये सुविधा

15 करोड़ लोगों के लिए बड़ी मुश्किल

एल्गी की तेजी से बढ़ती हुई मात्रा से अरब सागर के किनारे रहने वाले करीब 15 करोड़ लोगों का जीवन निर्वाह करना बेहद मुश्किल हो जाएगा। क्योंकि अरब सागर के किनारे रहने वाले लोग समुद्री जीवों और मछलियों का व्यापार करते हैं, इसी से ये अपना जीवनयापन करते हैं। अगर एल्गी तेजी से इसी तरह बढ़ती रही तो मछलियां मर जाएंगी और लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।

बता दें कि सर्दियों के मौसम में जब हिमालय की ओर से ठंडी हवाएं बहती हैं तो अरब सागर का पानी ठंडा हो जाता है। जिसके बाद समुद्र के नीचे मौजूद गर्म और पोषक तत्वों से भरा पानी ऊपर आने लगता है। यहीं वो वक्त होता है, जब फाइटोप्लैंकटॉन तेजी से पनपते हैं, जिन्हें मछलियां बहुत ही चाव के साथ खाती हैं।

यह भी पढ़ें: जन्मदिन पर बच्ची ने की ये ख्वाहिश, पुलिस अधिकारी ने किया पूरा

मछलियों के लिए होती है परेशानी

लेकिन हिमालय की पिघलती बर्फ और ग्लेशियर के चलते मॉनसून के मौसम में बहने वाली गर्म और उमस भरी हवा समुद्र के पानी की ऊपरी सतह को नुकसान पहुंचाती हैं। जिसके चलते फाइटोप्लैंकटॉन पनप नहीं पाते। इसके अलावा पानी के सभी पोषक तत्व भी खत्म हो जाते हैं। इससे मछलियों को परेशानी हो जाती है।

इसी वक्त का इंतजार करते हैं एल्गी यानि नॉक्टीलुका सिन्टीलैंस। क्योंकि इनके लिए ना तो सूरज की रोशनी और ना तो पानी के पोषक तत्वों की जरूरत होती है। ये सभी तरह के सूक्ष्मजीव को खा सकते हैं। एल्गी फाइटोप्लैंकटॉन्स को खाना शुरू कर देते हैं।

यह भी पढ़ें: यूपी के प्रवासी मजदूरों की सूची नहीं दे रही है योगी सरकार: अजय कुमार लल्लू

ये एल्गी समुद्र के ऊपरी हिस्से पर तैरने लगते हैं और धीरे-धीरे करके समुद्र की ऊपरी सतह को ढंक लेते हैं। ये इतनी तेजी से फोटोसिंथेसिस की प्रक्रिया को बढ़ाते हैं कि अन्य समुद्री जीवों को फोटोसिंथेसिस की प्रक्रिया करने के लिए पर्याप्त रोशनी और ईंधन नहीं बचता।

अरब सागर में दो तरह से ऊर्जा पाने के चलते नॉक्टीलुका सिन्टीलैंस की संख्या तेजी से बढ़ रही है। नॉक्टीलुका सिन्टीलैंस भारत, पाकिस्तान, ओमान, यमन, सोमालिया के तटों को नीले से हरे रंग में तब्दील कर रहे हैं। इनकी रोकथाम के लिए कई देश डिसैलिनेशन प्लांट भी लगा रहे हैं।

यह भी पढ़ें: इन जिलों में पहुंची श्रमिकों से भरी स्पेशल ट्रेन, प्रियंका गांधी ने किया ट्वीट- कही ये बात

देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Tags:    

Similar News