किसान आन्दोलन को बदनाम करने की कोशिश कर रही है सरकार: अजय कुमार लल्लू

देश के किसानों को एक तरफ आतंकवादी और भारत विरोधी बताया जा रहा है तो आन्दोलन स्थल पर विभिन्न प्रकार के षड़यंत्रों के माध्यम से उसे बदनाम करने की भी कोशिश की जा रही है, जो लोकतांत्रिक, संवैधानिक और राजनैतिक मर्यादा के विपरीत है।

Update: 2020-12-11 13:57 GMT
प्रवीन ने अपनी पहचान छिपाने के लिए बाल-दाढ़ी बढ़ा रखे थे। वह अपनी कार में सवार हो रहा था। इस दौरान पुलिस ने उसकी पहचान की और उसे हिरासत में ले लिया।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार ‘लल्लू’ ने कहा कि किसानों द्वारा अपने जायज हक के लिए जारी आन्दोलन एवं भारत बंद की व्यापक सफलता से भयभीत भारतीय जनता पार्टी और उनकी सरकारें किसान आन्दोलन को बदनाम करने का षड़यंत्र और कुचक्र करती प्रतीत हो रही हैं। देश के किसानों को एक तरफ आतंकवादी और भारत विरोधी बताया जा रहा है तो आन्दोलन स्थल पर विभिन्न प्रकार के षड़यंत्रों के माध्यम से उसे बदनाम करने की भी कोशिश की जा रही है, जो लोकतांत्रिक, संवैधानिक और राजनैतिक मर्यादा के विपरीत है।

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किसानों के विरूद्ध दुष्प्रचार की योजना

उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी चुनिन्दा उद्योगपतियों के दबाव में किसान विरोधी अध्यादेश को वापस लेने के बजाय पूरे देश में किसान विरोधी अभियान चलाने जा रही है, जो सर्वथा अनुचित है। उत्तर प्रदेश के साथ ही पूरे देश में पत्रकार वार्ता और चैपाल का आयोजन कर किसानों के विरूद्ध दुष्प्रचार की योजना नैतिकता के विरूद्ध है।

सरकार चैपालों के माध्यम से जनता को गुमराह करना चाहती है, लेकिन प्रदेश की जनता सब-कुछ समझ रही है कि कैसे चंद बड़े उद्योगपतियों को फायदा पहुँचाने के लिए कांट्रेक्ट फार्मिंग के लिए कानून लाया गया है। भंडारण की असीमित छूट से आवश्यक वस्तुओं की काला बाजारी बढ़ेगी और उनके मूल्यों के निर्धारण का अधिकार अलिखित रूप से उद्योगपतियों के हाथ में चला जायेगा।

 

इससे गेहूँ, चावल, दलहन-तिलहन आदि फसलों का मूल्य असीमित रूप से बढ़ेगा, जिससे देश की गरीब और आम जनता की थाली खाली होती जायेगी।

फोटो-सोशल मीडिया

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जमीन में मजदूर बनाने का कुचक्र रच रही

सरकार शान्ता कुमार कमेटी की रिपोर्ट लागू करने का षड़यंत्र कर रही है, जिससे एफ0सी0आई0 के माध्यम से न्यून्तम समर्थन मूल्य पर खरीद ही न करनी पड़े। साथ ही साथ अध्यादेश के माध्यम से किसान को ठेका प्रथा में फंसाकर उसे अपनी ही जमीन में मजदूर बनाने का कुचक्र रच रही है।

उन्होंने कहा कि दिल्ली में आन्दोलनरत किसान भीषण ठंडी में अपनी जान गंवा रहे हैं और सरकार उनकी मांगों को मानने के बजाय उनके आन्दोलन को बदनाम करने व कुचलने का खेल खेल रही है जो चुनी हुई सरकार के लिए अनैतिक है।

सरकार को चाहिए कि किसानों के हित में उनकी मांगों को स्वीकार कर आन्दोलन को समाप्त कराना चाहिए न कि प्रेस वार्ता और चैपाल के माध्यम से देश की जनता को गुमराह करने का खेल खेलना चाहिए।

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