भूकंप ने हिलाई इमरान की कुर्सी, कभी भी गिर सकती है सरकार
वहीं इमरान खान के लिए दूसरी सबसे बड़ी मुसीबत पाकिस्तानी फौज का साथ छोड़ देना भी है। इमरान खान की बढ़ती मुश्किलों और देश में खराब होती छवि की वजह से अब पाकिस्तान सेना नेतृत्व ने भी इमरान को खुलेआम समर्थन देना बंद कर दिया है और उनसे किनारा कर लिया है।
नई दिल्ली: केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा, आर्टिकल 370 को हटाये लगभग दो महिने का वक्त हो गया है, लेकिन जम्मू-कश्मीर को लेकर पाकिस्तान की चाहत कम नहीं हो रही है, प्रतिदिन सीमापार से नई नई चाल चली जा रही है, लेकिन भारतीय सेना की मुस्तैदी से दुश्मन देश की सभी साजिश नाकाम हो रही है।
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खबर है कि पाकिस्तान की बदहाल आर्थिक व्यवस्था के बीच इमरान खान अपने ही देश में बुरी तरह घिरते जा रहे हैं। जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान में इमरान सरकार खतरे में है, ऐसा माना जा रहा है कि सिर्फ घरेलू समस्याओं से आम जनता का ध्यान भटकाने के लिए इमरान खान कश्मीर मामले को हवा देने में जुटे हैं।
स्थानीय लोगों की मानें तो इमरान के लिए आने वाले दो महीने बेहद कठिन हो सकते है। जहां उन्हें अपनी सरकार बचाने के लिए काफी मशक्कत करना पड़ सकता है।
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बताया जा रहा है कि देश की खराब आर्थिक हालत और घरेलू समस्याओं से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए इमरान खान लगातार कश्मीर को लेकर पीएम मोदी के खिलाफ बड़े-बड़े बयान दे रहे हैं। इसके साथ ही संदिग्ध चंदे को लेकर चुनाव आयोग कभी भी इमरान की पार्टी के चुनाव को अमान्य करार दे सकता है।
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ऐसे गिरेगी सरकार...
खबर है कि इमरान खान की पाकिस्तान में कश्मीर मसले पर काफी आलोचना हो रही है, इतना ही नहीं वो बलूचिस्तान नेशनल पार्टी की मदद से पाकिस्तान में सरकार चला रहे हैं।
बलूचिस्तान नेशनल पार्टी अब पार्टी 5000 लापता लोगों की रिहाई के लिए इमरान खान पर दबाव बना रही है। इसके जवाब में इमरान 500 लोगों को भी नहीं ढूंढ पाए हैं।
इस कारण से बलूचिस्तान में जमियत ए उलेमा (जेयूआई) इस्लाम की सहयोगी बीएनपी इमरान सरकार से अपना समर्थन वापस ले सकती है।य. इस बात का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है।
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मार्च निकालने की घोषणा...
बताते चलें कि बीएनपी के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान ने अक्टूबर 2019 में इमरान खान के खिलाफ मार्च निकालने की घोषणा की है।
ये भी बन सकती है मुसीबत...
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वहीं इमरान खान के लिए दूसरी सबसे बड़ी मुसीबत पाकिस्तानी फौज का साथ छोड़ देना भी है। इमरान खान की बढ़ती मुश्किलों और देश में खराब होती छवि की वजह से अब पाकिस्तान सेना नेतृत्व ने भी इमरान को खुलेआम समर्थन देना बंद कर दिया है और उनसे किनारा कर लिया है।
तालिबान से अमेरिका का समझौता...
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अफगानिस्तान को लेकर पाकिस्तानी पीएम इमरान खान का तालिबान से अमेरिका का समझौता नहीं करा पाना भी उनकी सरकार गिरने का एक बड़ा कारण बन सकता है।
ऐसे कयास लगाये जा रहे हैं कि अमेरिका और पाकिस्तान दोनों को उम्मीद थी कि अगस्त के दूसरे हफ्ते में तालिबान से समझौता हो जाएगा लेकिन सारी प्लानिंग नाकाम हो गई और तालिबान ने आखिरकार शांतिवार्ता को ध्वस्त कर दिया।
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